मित्रों मैंने आज से करीब 9 साल पहले सन
२००९ में ब्लॉग लिखना शुरू किया उस वक्त नया - नया ब्लॉग लिखना शुरू किया था तब
मैंने बहुत ही कम पोस्ट्स लिखी थी मैं सं २०११ तक ब्लॉग पर सक्रिय रही उस वक्त
छतीसगढ़ में कोई इतनी कम उम्र की महिला नहीं थी जो ब्लोगिंग सक्रिय थी मैं उस वक्त
छतीसगढ़ की पहली महिला ब्लोगर थी पर मैं अपनी पढ़ाई - लिखाई के चलते ज्यादा दिनों तक
ब्लॉग पर सक्रिय रूप से लिख नहीं पाई और मैंने ब्लॉग लिखना बंद कर दिया मित्रों तब
कॉलेज की पढ़ाई में ज्यादा समय देने के कारण मैं ब्लॉग पर तो नहीं पर अपने मोबाइल
की डायरी में कुछ - कुछ लिखती रहती थी लिखाई - पढ़ाई के अलावा हमारे कोर्स के अन्य
कामों में ही उलझे रहने के कारण ब्लॉग लिखने की ओर ध्यान नहीं आता था ऐसा करते -
करते धीरे धीरे वक्त आगे बढ़ता चला गया २०११ के बाद मेरा ब्लॉग लिखना पूरी तरह बंद
हो गया ।
सन
२०११ के बाद मैंने बहुत सारी पढ़ाई पूरी की जैसे एम्.एस सी ( ह्यूमन डेवलपमेंट )
२०१३ में , बी.एड(२०१४) , पी.जी .डी .सी.ए(२०१५) इतना सब करने में 7 साल बीत गये इस
बीच मैं एक शिक्षक बनने के लिए परीक्षाएं देती रहती हूँ मेरे मम्मी - पापा , मित्र
,रिश्तेदार सब मुझसे अक्सर यही कहते रहते थे कि अपना ब्लॉग वापस से शुरू करके कुछ
लिखती क्यों नहीं हो कुछ जब आप इतना अच्छा लिख लेते हो तो लिखना चाहिए अपनी लेखनी
व्यर्थ मत जाने दो आप तो लिख लेते हो आप में लिखने का हुनर है तो आप लिखते क्यों
नहीं बहुत सारे लोग मेरे पापा श्री शरद कोकास
जो खुद एक बहुत अच्छे कवि और लेखक उनसे बहुत सारे लोग जो मुझे जानते थे उनसे कहते
थे अरे भैया बिटिया आजकल लिखती क्यों नहीं उसे कहिए वे लिखे तो बहुत अच्छा होगा
ऐसे बहुत सारे लोग मुझे प्रेरित करते रहते थे पर मित्रों मेरा ब्लॉग लिखने के लिए मन
ही बनता नहीं था ना मुझे खुद यह महसूस होता था कि ब्लॉग वापस शुरू करके लिखना
चाहिए क्योंकि आज लोगों की सबसे बड़ी डिमांड ब्लॉग है आप लिखिए तो लिखी हुई बात
लोगो के लिए काम आयेंगी पर ऐसा कोई ख़याल दिमाग तक नहीं पहुँच पाता था मुझे लगता था
क्या लिखा जाएं ब्लॉग फालतू टाइम वेस्ट चीज है
फिर अभी सन २०१७ में जब मैं अगस्त में
रक्षाबन्धन का त्यौहार मनाने जबलपुर अपनी ननिहाल गई वहाँ मेरा ननिहाल बहुत बड़ा है
बहुत मामा ,मौसियाँ , भाई - बहन है रक्षाबन्धन पर बरसों एक परम्परा सी चली आ रही
है बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती तो बहाई उसे गिफ्ट देता है चाहे बहन छोटी हो या
बड़ी पर मेरे भाई - बहनों ने मुझसे राखी बंधवाने के बात करने शुरू की सबको पता था
कि मैं कुछ न कुछ लिखती हूँ और अच्छा लिखती हूँ मैंने कहा मैं तो बस अपने लिए
लिखती हूँ मोबाइल डायरी में सबने कहा उस हुनर को जो ना जाने कब बंद पड़ा है उसे
बाहर लेकर आओ कुछ नया सर्च करो , नया लिखो , अपने लिए वक्त दो अपनी लेखनी को आगे
लेकर जाओ कितनी अच्छी बात है कोपल दीदी की आपको बिना कुछ किए इतना लिखना आता है
हमें कुछ लिखना है तो हम किसी को ढूंढते है की कोई हमारे लिए लिख दे और आप चुप
बैठे घर पर हो इतने साल से आपके मन में जो विचारों का पिटारा है उसे खोल दो फिर
देखो कैसे लोग आपका लिखा हुआ पढ़ते है मामा - मामी ,भाई बहनों से कहा पर मैं लिखूं
क्या तो भाई बहनों ने कहा आप सर्च करो हजारों टोपिक्स लिखने के लिए आपको चुटकियों
में मिल जायेंगे बस आप एक बार ट्राय तो करो सबने मेरे दुर्ग वापस आते समय कहा बस आप
फिर से अपने ब्लॉग पर लिखना शुरू कर दो यही गिफ्ट है हमारे लिए राखी का और ऑल द
बेस्ट कहकर मुझे ट्रेन में बैठा दिया ।
जब वापस दुर्ग आई तो कुछ दिनों तक सोच विचार
करती रही की क्या लिखूं , कैसे लिखूं इसी उधेड़बुन में थोड़े दिन बीत गए फिर बहुत सोच विचार किया ब्लॉग्गिंग की दुनिया फिर कदम बढाने के लिए प्रेरित किया की चलो अब बहुत सा वक्त यूंही वेस्ट हो गया अब लिखना शुरू कर
ही देना चाहिए फिर इस तरह एक नए सिरे से 26.08.2017 से ब्लोंगिग
की दुनिया का नया सफर शुरू हो गया और अब में ब्लोंगिग की दुनिया में सक्रिय हूँ उसके
बाद मैं एक से बढ़कर एक पोस्ट लिख रही हूँ और आगे भी लिखती रहूँगी ।
इतने वक्त में मित्रों मुझे एक बात अच्छी
तरह समझ आ गई प्रेरित तो आपको सब करते है सब कहते है करो , आगे बढ़ों , यूं कैन डू
इट , गो अहेड , और भी बहुत कुछ पर जब तक आप खुद को किसी चीज के लिए प्रेरित ना कर
लो ना तब आप कुछ नहीं कर सकते आगे नहीं बढ़ सकते ।
हाथों में आगे बढ़ने की मशाल पर खुद ही रास्तो पर चलना पड़ता
है
राहों में हजारों के हाथ मिल तो जाते है पर खुद ही गिरना
उठाना पड़ता है
6 टिप्पणियाँ:
शुभकामनाएं। लिखती रहें।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’कुछ पल प्रकृति संग : ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
धन्यवाद सुशील जी
धन्यवाद सेंगर जी
Excellent line, publish your book with best
Hindi Book Publisher India
धन्यवाद टीम बुक
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