पहले के ज़माने के लोग समझते थे की गृह विज्ञान में सिर्फ खाना पकाने या सिलाई कढ़ाई की शिक्षा दी जाती है पहले के समय मैं इस विषय का कम प्रचलन था क्योंकि लोग समझते थे लड़कियों को गृह विज्ञान पढ़कर क्या करना उन्हें तो घर में रहकर चूल्हा चौका देखना है घर गुह्स्थी सम्हालनी है वे ये विषय पढ़कर क्या करेंगी उन्हें तो गृह के विज्ञान की शिक्षा घर पर ही मिल जायेगी इस विषय का महत्व तब लोग अच्छी तरह नहीं समझते थे क्योंकि तब के समय में लोगो की जरूरतें सीमित थी आज समय के बदलने के साथ - साथ लोगो की सोच की भी बदली है की आज महिलाओं का क्षेत्र सिर्फ घर तक सीमित नहीं है आज वे घर से बाहर निकलकर काम करती है जिसकी वजह से परिवार की आर्थिक मदद हो जाती है एक स्त्री को गृह विज्ञान के शिक्षण में यह सिखने को मिलता है की किस प्रकार अपने काम के साथ तालमेल बिथ्कार जिन्दगी को सफल और सुंदर बनाया जाए इसकी शिक्षा गृह विज्ञान में ही मिलती है परिवार और घर के वातावरण को शांत , सुव्यवस्थित बनाने के लिए छात्राओं के लिए गृह विज्ञान का पढ़ना बहुत जरूरी है ।
गृह विज्ञान के स्कोप
गृह विज्ञान स्नातक सामुदायिक एवं सामाजिक कार्य के क्षेत्रों तथा गैर-सरकारी संगठनों, अस्पतालों में खाद्य एवं पोषण से जुडे़ कार्यों तथा खाद्य सेवाओं में करियर खोज सकते हैं। स्नातकोत्तर डिग्रीधारियों के लिए बेहतर करियर के अवसर हैं। विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर तथा हेड/प्रोफेसर के रूप में अध्यापन व्यवसाय में कार्य ग्रहण करने के अतिरिक्त शिक्षा अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, मनोवैज्ञानिक तथा अनुसंधानकर्ता मीडिया के लिए कार्यक्रमों का विकास कर सकते हैं। गृहविज्ञान के छात्र पोषण सलाहकार, अनुसंधान सहायक, खाद्य वैज्ञानिक, डेमोन्स्ट्रेटर या खाद्य विश्लेषक के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। वे पारिवारिक सलाहकार के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। खाद्य उत्पादों, शिशु-आहार तथा पकाने के लिए खाद्य उत्पादों के विक्रय-संवर्धन के क्षेत्र में भी करियर के विकल्प हैं। ऐसा कोई भी व्यक्ति किसी होटल, टूरिस्ट रिसॉर्ट, रेस्तरां, खाद्य उद्योग के खाद्य परिरक्षण उत्पादन एकक में रखा जा सकता है। वस्त्र तथा पहनावा एवं पारिवारिक आवासन तथा फर्निशिंग में विशेषज्ञ डिजाइन से जुड़े कार्य कर सकते हैं। कुछ अन्य क्षेत्रों का विवरण नीचे दिया गया है :-
गृह विज्ञान में आहार पोषण (food and nutrition), गृह प्रबंध(home management ) गृह और उपभोक्ता (home and consumer economics)गृह निर्माण( construction of home ) , वस्त्र विज्ञान, (textile and clothing) बाल विकास(child development) ,पारिवारिक सम्बन्धो(family relationship), संचार शिक्षा (communication education) कन्फेक्शनरी एवं बेकरी
की जानकरी मिल जाती है गृह विज्ञान का उद्देश्य नित्य परिवर्तनशील समाज में घर, सामाजिक तथा पारिवारिक जीवन के कल्याण और स्वास्थ्य को बनाए रखना है। गृह प्रबंधन के लिए कौशल एवं वैज्ञानिक ज्ञान अपेक्षित होता है जो मात्र घर के कार्यकलापों तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह एक चुनौतीपूर्ण व्यवसाय का आधार भी बनता है। समय, ऊर्जा, धन-राशि, स्थान एवं श्रम के संरक्षण के लिए श्रेष्ठ उपयोगिता प्राप्त करने हेतु उपलब्ध संसाधनों का श्रेष्ठ उपयोग गृह-प्रबंधन है। घर निर्माता को परिवार के सदस्यों के लिए उपलब्ध संसाधनों से श्रेष्ठ संभव खाद्य, पहनावा, आश्रय स्थल, स्वास्थ्य, शिक्षा और मनोरंजन उपलब्ध कराने की योजना विवेकपूर्ण ढगं से बनानी चाहिए। गृह विज्ञान एक ऐसा शैक्षिक विषय है जो नितांत रूप में छात्राओं को प्रिय है। पाठ्यक्रम का उद्देश्य न केवल महिलाओं को बेहतर गृहिणी बनाना है, बल्कि यह समृद्ध सामाजिक तथा पारिवारिक जीवन के लिए विशेषज्ञ परामर्श देने हेतु समाज को सक्षम बनाने के लिए उनके लिए उपयोगी है। गृह विज्ञान प्रकृति में अधिकांशतः वैज्ञानिक है और इसलिए विश्लेषिक मस्तिष्क एवं वैज्ञानिक कुशाग्र बुद्धि होना आवश्यक है। इस क्षेत्र में एक व्यावहारिक सोच, सौंदर्यपरक, सर्जनशील तथा युक्तिसंगत अभिवृत्ति होना अपेक्षित है।
गृह विज्ञान व्यवसायी के रूप में संभावनाएं
केटरिंग(खानपान)
केटरिंग का कार्य कुछ विशेष स्थानों जैसे स्कूल एवं अस्पतालों में किया जा सकता है। इनके अतिरिक्त, विभिन्न प्रकार की संस्थापनाओं जैसे स्कूल कॉलेज में कैंटीन चलाने में भी यह उपयोगी है। प्रशिक्षित व्यवसायी उन व्यक्तियों के लिए भी केटरिंग सेवाएं चला सकते हैं जो कारखानों, कार्यालयों में कार्य करते हैं और भोजन की, विशेष रूप से दोपहर के भोजन की व्यवस्था नहीं कर सकते या व्यवस्था करने का समय नहीं होता।
कन्फेक्शनरी एवं बेकरी
यदि किसी गृह विज्ञान के स्नातक/स्नातकोत्तर हुए व्यक्ति ने गृह विज्ञान में बेकरी एंड कन्फेक्शनरी अध्ययन किया हो तो वो व्यक्ति कन्फेक्शनरी , आइसक्रीम पार्लर तथा बेकरी चला सकते हैं। वे व्यक्ति अपने निजी ऐसे उत्पादों को विकसित करने के लिए अभिनव कौशल का प्रयोग कर सकते हैं जो अधिक पोषक हों और पुराने उत्पादों से भिन्न हो तथा जो पार्टियों या डाइनिंग टेबल पर विविधता को बढ़ा सकें।
परिरक्षण
अचार, जैम, जैली, मुरब्बे आदि के रूप में सब्जियों एवं फलों के परिरक्षण का कार्य चलाया जा सकता है इन परिलक्षित सामग्रियों को बाजार से खरीदने की आवश्यकता, परम्परागत रूप से घर पर कार्य करने में व्यस्त महिलाओं के पास समय होने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए निश्चित रूप से बढ़ जाती है।
पकाने/परोसने के लिए तैयार खाद्य
सब्जियों को साफ करने/छिलका उतारने की लघु इकाइयां स्थापित की जा सकती हैं ताकि गृहणियों द्वारा इन्हें पकाने के लिए तैयार किया जा सके। स्वस्थ्य रहन-सहन को बढ़ावा देने के लिए फास्ट फूड के साथ-साथ सलादबार स्थापित करने के लिए विभिन्न प्रकार के सलाद तैयार किए जा सकते हैं।
संसाधन प्रबंधन
संसाधन प्रबंधन में घरों के किफायती तथा प्रभावी रूप में प्रबंधन के अध्ययन का कार्य किया जाता है घर में आवास डिजाइन, फर्निशिगं के बारे में मूल तथ्य निहित होते हैं जो रुपयों और श्रम बचाने के साथ-साथ अधिकांश कार्य न्यूनतम उपकरणों से करने की पद्धति सिखाएंगे।
आंतरिक सज्जा
जिस व्यक्ति ने आंतरिक सज्जा की कला में प्रशिक्षण लिया है वो व्यक्ति आंतिरक सज्जा का काम कर सकते हैं। ऐसे केन्द्र कार्यालयों, अस्पतालों, स्कूल जैसी विभिन्न संस्थापनाओं की सज्जा सेवाएं भी प्रदान कर सकते हैं।
हॉबी सेंटर : ऐसे हॉबी सेंटर चलाए जा सकते हैं जहां इच्छुक व्यक्ति, मोमबत्ती, कागज के फूल बनाने, सजावटी वस्तुएं बनाने, खिलौने, रंगोली, आभूषण डिजाइनिंग, बर्तन बनाने, वाल पेंटिंग तथा घरेलू बेकार सामग्रियों से उपयोगी वस्तुएं बनाना सीख सकते हैं।
स्वास्थय केंद्र :
स्वास्थ्य केंद्र विभिन्न रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों को आहार आवश्यकताओं की विशेष सलाह दे सकते हैं। उपयुक्त थेरोपिटिक पोषण एवं शारीरिक शिक्षा, गृह विज्ञान स्नातकों को ऐसे समर्थन केंद्र स्थापित करने में सक्षम करेगी जो विशेष आहार की आवश्यकता वाले व्यक्तियों के लिए उपयोगी हो सकते हैं। आहार एवं व्यायाम द्वारा स्वस्थ रहने और मोटापे तथा उससे जुड़ी स्थितियों के प्रबंधन के लिए व्यक्तियों का मार्गदर्शन किया जा सकता है।
प्रशिक्षण केन्द्र
विभिन्न क्षेत्रों तथा महाद्वीपों की विभिन्न पाक कला सीखने के इच्छुक व्यक्तियों को प्रशिक्षण देने के लिए हॉबी सेंटर चलाए जा सकते हैं। स्नातक/ स्नातकोत्तर अस्पतालों, नर्सिंग होम तथा फिटनेस सेंटर में आहारविद् के रूप में कार्य की खोज कर सकते हैं; अन्यथा राष्ट्रीय/ अंतर्राष्ट्रीय एजेंसिंयों में आहार विशेषज्ञ तथा आहार परामर्शदाता बन सकते हैं।
श्रृगांर केंद्र
इस क्षेत्र के जनता में विकास होने की व्यापक संभावना है। श्रृंगार केंद्र खोलने के लिए गृह विज्ञान शिक्षा के अंतर्गत प्रशिक्षण दिया जा सकता है जहां वे चमड़ी तथा बालों की देख-रेख सेवाएं दे सकते हैं। आभूषण, हेयर स्टाइल चुनने, और चेहरे के मेक-अप की अद्वितीय विशेषता के अनुसार व्यक्तिगत मार्गदर्शन किया जा सकता है।
चाइल्ड केयर /डे केयर सेंटर तथा मोबाइल क्रेच
महिलाएं जो घर से बाहर जाकर काम करती है उनके लिए एक समस्या आती है वे अपने छोटे बच्चों को कहाँ रखे शिशुओं को -देख-रेख की आवश्यकता होती है। जिन बच्चों को 12 वर्ष की आयु का होने तक व्यस्कों द्वारा देख-रेख किए जाने की आवश्यकता होती है और जिन्हें घर पर अकेले नहीं छोडा़ जा सकता, उनके लिए गृह विज्ञान स्नातक डे केयर सेंटर, क्रेच, नर्सरी स्कूल एवं आफ्टर स्कूल सेंटर जैसी चाइल्डहुड केयर यूनिट चला सकते हैं।
वृद्धाश्रम :
परिवारों के विखंडन में वृद्धि ने कई वृद्ध व्यक्तियों को अपने परिवारों से अलग वृद्धाश्रम में जाकर रहने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे वृद्धाश्रम का प्रबंधन गृह-विज्ञान स्नातकों द्वारा किया जा सकता है, जहां वृद्ध व्यक्तियों के लिए उपयुक्त खाद्य सेवाओं एवं भावनात्मक प्रगाढ़ता सहित विभिन्न प्रकार के गतिविधियों की व्यवस्था की जा सकती है।
कपड़ा एवं परिधान डिजाइनिंग :
गृह विज्ञान का यह क्षेत्र पहनावे के चयन, निर्माण तथा देख-रेख, पारिवारिक आय, व्यवहार तथा विभिन्न वस्त्रों की रासायनिक प्रकृति, बुनाई के प्रकार, क्वालिटी, रंग, कपड़ों के सिकुड़ने तथा टिकाउपन, प्राकृतिक रेशों जैसे रेशम, ऊनी, सूती धागों की क्वालिटी, सिंथेटिक कपड़ों जैसे नायलोन, रेयोन, टेरी-कोट आदि के प्रकार पर प्रकाश डालता है।
मानव विकास
मानव विकास परिवार के सदस्यों में भावनात्मक संबंध मजबूत करता है। परिवार में सबसे महत्वूर्ण बच्चे होते हैं। उन्हें विकास के एक प्रेरक परिवेश में लाया जाना चाहिए। बच्चों को उनके अभिभावकों तथा परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा उनके भावी जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए चरित्र प्रबलता दी जानी चाहिए।
पहले के ज़माने के लोग समझते थे की गृह विज्ञान में सिर्फ खाना पकाने या सिलाई कढ़ाई की शिक्षा दी जाती है पहले के समय मैं इस विषय का कम प्रचलन था क्योंकि लोग समझते थे लड़कियों को गृह विज्ञान पढ़कर क्या करना उन्हें तो घर में रहकर चूल्हा चौका देखना है घर गुह्स्थी सम्हालनी है वे ये विषय पढ़कर क्या करेंगी उन्हें तो गृह के विज्ञान की शिक्षा घर पर ही मिल जायेगी इस विषय का महत्व तब लोग अच्छी तरह नहीं समझते थे क्योंकि तब के समय में लोगो की जरूरतें सीमित थी आज समय के बदलने के साथ - साथ लोगो की सोच की भी बदली है की आज महिलाओं का क्षेत्र सिर्फ घर तक सीमित नहीं है आज वे घर से बाहर निकलकर काम करती है जिसकी वजह से परिवार की आर्थिक मदद हो जाती है एक स्त्री को गृह विज्ञान के शिक्षण में यह सिखने को मिलता है की किस प्रकार अपने काम के साथ तालमेल बिथ्कार जिन्दगी को सफल और सुंदर बनाया जाए इसकी शिक्षा गृह विज्ञान में ही मिलती है परिवार और घर के वातावरण को शांत , सुव्यवस्थित बनाने के लिए छात्राओं के लिए गृह विज्ञान का पढ़ना बहुत जरूरी है ।
गृह विज्ञान के स्कोप
गृह विज्ञान स्नातक सामुदायिक एवं सामाजिक कार्य के क्षेत्रों तथा गैर-सरकारी संगठनों, अस्पतालों में खाद्य एवं पोषण से जुडे़ कार्यों तथा खाद्य सेवाओं में करियर खोज सकते हैं। स्नातकोत्तर डिग्रीधारियों के लिए बेहतर करियर के अवसर हैं। विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर तथा हेड/प्रोफेसर के रूप में अध्यापन व्यवसाय में कार्य ग्रहण करने के अतिरिक्त शिक्षा अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, मनोवैज्ञानिक तथा अनुसंधानकर्ता मीडिया के लिए कार्यक्रमों का विकास कर सकते हैं। गृहविज्ञान के छात्र पोषण सलाहकार, अनुसंधान सहायक, खाद्य वैज्ञानिक, डेमोन्स्ट्रेटर या खाद्य विश्लेषक के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। वे पारिवारिक सलाहकार के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। खाद्य उत्पादों, शिशु-आहार तथा पकाने के लिए खाद्य उत्पादों के विक्रय-संवर्धन के क्षेत्र में भी करियर के विकल्प हैं। ऐसा कोई भी व्यक्ति किसी होटल, टूरिस्ट रिसॉर्ट, रेस्तरां, खाद्य उद्योग के खाद्य परिरक्षण उत्पादन एकक में रखा जा सकता है। वस्त्र तथा पहनावा एवं पारिवारिक आवासन तथा फर्निशिंग में विशेषज्ञ डिजाइन से जुड़े कार्य कर सकते हैं। कुछ अन्य क्षेत्रों का विवरण नीचे दिया गया है :-
गृह विज्ञान में आहार पोषण (food and nutrition), गृह प्रबंध(home management ) गृह और उपभोक्ता (home and consumer economics)गृह निर्माण( construction of home ) , वस्त्र विज्ञान, (textile and clothing) बाल विकास(child development) ,पारिवारिक सम्बन्धो(family relationship), संचार शिक्षा (communication education) कन्फेक्शनरी एवं बेकरी
की जानकरी मिल जाती है गृह विज्ञान का उद्देश्य नित्य परिवर्तनशील समाज में घर, सामाजिक तथा पारिवारिक जीवन के कल्याण और स्वास्थ्य को बनाए रखना है। गृह प्रबंधन के लिए कौशल एवं वैज्ञानिक ज्ञान अपेक्षित होता है जो मात्र घर के कार्यकलापों तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह एक चुनौतीपूर्ण व्यवसाय का आधार भी बनता है। समय, ऊर्जा, धन-राशि, स्थान एवं श्रम के संरक्षण के लिए श्रेष्ठ उपयोगिता प्राप्त करने हेतु उपलब्ध संसाधनों का श्रेष्ठ उपयोग गृह-प्रबंधन है। घर निर्माता को परिवार के सदस्यों के लिए उपलब्ध संसाधनों से श्रेष्ठ संभव खाद्य, पहनावा, आश्रय स्थल, स्वास्थ्य, शिक्षा और मनोरंजन उपलब्ध कराने की योजना विवेकपूर्ण ढगं से बनानी चाहिए। गृह विज्ञान एक ऐसा शैक्षिक विषय है जो नितांत रूप में छात्राओं को प्रिय है। पाठ्यक्रम का उद्देश्य न केवल महिलाओं को बेहतर गृहिणी बनाना है, बल्कि यह समृद्ध सामाजिक तथा पारिवारिक जीवन के लिए विशेषज्ञ परामर्श देने हेतु समाज को सक्षम बनाने के लिए उनके लिए उपयोगी है। गृह विज्ञान प्रकृति में अधिकांशतः वैज्ञानिक है और इसलिए विश्लेषिक मस्तिष्क एवं वैज्ञानिक कुशाग्र बुद्धि होना आवश्यक है। इस क्षेत्र में एक व्यावहारिक सोच, सौंदर्यपरक, सर्जनशील तथा युक्तिसंगत अभिवृत्ति होना अपेक्षित है।
गृह विज्ञान व्यवसायी के रूप में संभावनाएं
केटरिंग (खानपान)
केटरिंग का कार्य कुछ विशेष स्थानों जैसे स्कूल एवं अस्पतालों में किया जा सकता है। इनके अतिरिक्त, विभिन्न प्रकार की संस्थापनाओं जैसे स्कूल कॉलेज में कैंटीन चलाने में भी यह उपयोगी है। प्रशिक्षित व्यवसायी उन व्यक्तियों के लिए भी केटरिंग सेवाएं चला सकते हैं जो कारखानों, कार्यालयों में कार्य करते हैं और भोजन की, विशेष रूप से दोपहर के भोजन की व्यवस्था नहीं कर सकते या व्यवस्था करने का समय नहीं होता।
कन्फेक्शनरी एवं बेकरी
यदि किसी गृह विज्ञान के स्नातक/स्नातकोत्तर हुए व्यक्ति ने गृह विज्ञान में बेकरी एंड कन्फेक्शनरी अध्ययन किया हो तो वो व्यक्ति कन्फेक्शनरी , आइसक्रीम पार्लर तथा बेकरी चला सकते हैं। वे व्यक्ति अपने निजी ऐसे उत्पादों को विकसित करने के लिए अभिनव कौशल का प्रयोग कर सकते हैं जो अधिक पोषक हों और पुराने उत्पादों से भिन्न हो तथा जो पार्टियों या डाइनिंग टेबल पर विविधता को बढ़ा सकें।
परिरक्षण: अचार, जैम, जैली, मुरब्बे आदि के रूप में सब्जियों एवं फलों के परिरक्षण का कार्य चलाया जा सकता है इन परिलक्षित सामग्रियों को बाजार से खरीदने की आवश्यकता, परम्परागत रूप से घर पर कार्य करने में व्यस्त महिलाओं के पास समय होने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए निश्चित रूप से बढ़ जाती है।
पकाने/परोसने के लिए तैयार खाद्य
सब्जियों को साफ करने/छिलका उतारने की लघु इकाइयां स्थापित की जा सकती हैं ताकि गृहणियों द्वारा इन्हें पकाने के लिए तैयार किया जा सके। स्वस्थ्य रहन-सहन को बढ़ावा देने के लिए फास्ट फूड के साथ-साथ सलादबार स्थापित करने के लिए विभिन्न प्रकार के सलाद तैयार किए जा सकते हैं।
संसाधन प्रबंधन
संसाधन प्रबंधन में घरों के किफायती तथा प्रभावी रूप में प्रबंधन के अध्ययन का कार्य किया जाता है घर में आवास डिजाइन, फर्निशिगं के बारे में मूल तथ्य निहित होते हैं जो रुपयों और श्रम बचाने के साथ-साथ अधिकांश कार्य न्यूनतम उपकरणों से करने की पद्धति सिखाएंगे।
आंतरिक सज्जा: जिस व्यक्ति ने आंतरिक सज्जा की कला में प्रशिक्षण लिया है वो व्यक्ति आंतिरक सज्जा का काम कर सकते हैं। ऐसे केन्द्र कार्यालयों, अस्पतालों, स्कूल जैसी विभिन्न संस्थापनाओं की सज्जा सेवाएं भी प्रदान कर सकते हैं।
हॉबी सेंटर : ऐसे हॉबी सेंटर चलाए जा सकते हैं जहां इच्छुक व्यक्ति, मोमबत्ती, कागज के फूल बनाने, सजावटी वस्तुएं बनाने, खिलौने, रंगोली, आभूषण डिजाइनिंग, बर्तन बनाने, वाल पेंटिंग तथा घरेलू बेकार सामग्रियों से उपयोगी वस्तुएं बनाना सीख सकते हैं।
स्वास्थय केंद्र : स्वास्थ्य केंद्र विभिन्न रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों को आहार आवश्यकताओं की विशेष सलाह दे सकते हैं। उपयुक्त थेरोपिटिक पोषण एवं शारीरिक शिक्षा, गृह विज्ञान स्नातकों को ऐसे समर्थन केंद्र स्थापित करने में सक्षम करेगी जो विशेष आहार की आवश्यकता वाले व्यक्तियों के लिए उपयोगी हो सकते हैं। आहार एवं व्यायाम द्वारा स्वस्थ रहने और मोटापे तथा उससे जुड़ी स्थितियों के प्रबंधन के लिए व्यक्तियों का मार्गदर्शन किया जा सकता है।
प्रशिक्षण केन्द्र : विभिन्न क्षेत्रों तथा महाद्वीपों की विभिन्न पाक कला सीखने के इच्छुक व्यक्तियों को प्रशिक्षण देने के लिए हॉबी सेंटर चलाए जा सकते हैं। स्नातक/ स्नातकोत्तर अस्पतालों, नर्सिंग होम तथा फिटनेस सेंटर में आहारविद् के रूप में कार्य की खोज कर सकते हैं; अन्यथा राष्ट्रीय/ अंतर्राष्ट्रीय एजेंसिंयों में आहार विशेषज्ञ तथा आहार परामर्शदाता बन सकते हैं।
श्रृगांर केंद्र : इस क्षेत्र के जनता में विकास होने की व्यापक संभावना है। श्रृंगार केंद्र खोलने के लिए गृह विज्ञान शिक्षा के अंतर्गत प्रशिक्षण दिया जा सकता है जहां वे चमड़ी तथा बालों की देख-रेख सेवाएं दे सकते हैं। आभूषण, हेयर स्टाइल चुनने, और चेहरे के मेक-अप की अद्वितीय विशेषता के अनुसार व्यक्तिगत मार्गदर्शन किया जा सकता है।
चाइल्ड केयर /डे केयर सेंटर तथा मोबाइल क्रेच
महिलाएं जो घर से बाहर जाकर काम करती है उनके लिए एक समस्या आती है वे अपने छोटे बच्चों को कहाँ रखे शिशुओं को -देख-रेख की आवश्यकता होती है। जिन बच्चों को 12 वर्ष की आयु का होने तक व्यस्कों द्वारा देख-रेख किए जाने की आवश्यकता होती है और जिन्हें घर पर अकेले नहीं छोडा़ जा सकता, उनके लिए गृह विज्ञान स्नातक डे केयर सेंटर, क्रेच, नर्सरी स्कूल एवं आफ्टर स्कूल सेंटर जैसी चाइल्डहुड केयर यूनिट चला सकते हैं।
वृद्धाश्रम : परिवारों के विखंडन में वृद्धि ने कई वृद्ध व्यक्तियों को अपने परिवारों से अलग वृद्धाश्रम में जाकर रहने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे वृद्धाश्रम का प्रबंधन गृह-विज्ञान स्नातकों द्वारा किया जा सकता है, जहां वृद्ध व्यक्तियों के लिए उपयुक्त खाद्य सेवाओं एवं भावनात्मक प्रगाढ़ता सहित विभिन्न प्रकार के गतिविधियों की व्यवस्था की जा सकती है।
कपड़ा एवं परिधान डिजाइनिंग : गृह विज्ञान का यह क्षेत्र पहनावे के चयन, निर्माण तथा देख-रेख, पारिवारिक आय, व्यवहार तथा विभिन्न वस्त्रों की रासायनिक प्रकृति, बुनाई के प्रकार, क्वालिटी, रंग, कपड़ों के सिकुड़ने तथा टिकाउपन, प्राकृतिक रेशों जैसे रेशम, ऊनी, सूती धागों की क्वालिटी, सिंथेटिक कपड़ों जैसे नायलोन, रेयोन, टेरी-कोट आदि के प्रकार पर प्रकाश डालता है।
मानव विकास : मानव विकास परिवार के सदस्यों में भावनात्मक संबंध मजबूत करता है। परिवार में सबसे महत्वूर्ण बच्चे होते हैं। उन्हें विकास के एक प्रेरक परिवेश में लाया जाना चाहिए। बच्चों को उनके अभिभावकों तथा परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा उनके भावी जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए चरित्र प्रबलता दी जानी चाहिए।
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के पुनर्वास केंद्र
गृह विज्ञान स्नातक कम समझ वाले बच्चों के लिए पुनर्वास केंद्र खोल सकते हैं। ये केंद्र समाज के लिए न केवल एक सेवा होगी, बल्कि इनसे उनके तथा अन्य व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन में भी सहायता मिलेगी। सार्वभौम क्रांति के इस युग में गृहविज्ञान एक अच्छा वेतन देने वाला कार्य है। इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति प्रारंभ में 10000 से 15000 रु. प्रतिमाह का वेतन प्राप्त करने की आशा रख सकता है। तथापि, गृहविज्ञान व्यवसायियों का वेतन उनकी अपनी योग्यताओं, अनुभव, उन्हें रखने वाले संस्थानों के आकार तथा प्रकृति पर निर्भर करता है। श्रेष्ठ रिकार्ड एवं उच्च योग्यताधारी व्यक्ति उच्च पद प्राप्त कर सकते हैं विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में उनका वेतन अध्यापकों से तुलनात्मक होता है। विशेष व्यवसायियों का वेतन निश्चय ही उच्च होता है। अनुसंधान संस्थानों और निजी प्रलेखन केंद्रों में कार्यरत गृह विज्ञान व्यवसायियों की आय आकर्षक होती है।
गुह विज्ञान पढ़ने से एक व्यक्ति में मितव्ययिता , सौंदर्यानुभूति , नागरिको के विकास के लिए आदर्श और मूल्यों की जानकारी बीमारियों में किस तरह प्राथमिक चिकित्सा डी जाए आदि गुण आते है ।
आजकल केवल लड़की ही होमसाइंस विषय पढ़ती है बल्कि पुरुष भी इस विषय को बराबरी से पढ़ते है और दोनों को पढ़ना ही चाहिए क्योंकि भावी जीवन में दोनों को ही अपने - अपने परिवार दायित्व उठाना है तो उन्हें गुह विज्ञान के अध्ययन से अपने भावी जीवन में मदद मिलेगी ।
गुह विज्ञान पढ़ने से एक व्यक्ति में मितव्ययिता , सौंदर्यानुभूति , नागरिको के विकास के लिए आदर्श और मूल्यों की जानकारी बीमारियों में किस तरह प्राथमिक चिकित्सा डी जाए आदि गुण आते है ।
आजकल केवल लड़की ही होमसाइंस विषय पढ़ती है बल्कि पुरुष भी इस विषय को बराबरी से पढ़ते है और दोनों को पढ़ना ही चाहिए क्योंकि भावी जीवन में दोनों को ही अपने - अपने परिवार दायित्व उठाना है तो उन्हें गुह विज्ञान के अध्ययन से अपने भावी जीवन में मदद मिलेगी ।
2 टिप्पणियाँ:
बेहतरीन एवं ज्ञानवर्धक जानकारी का खजाना ....उत्कृष्ट लेखन
धन्यवाद सदा जी
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