मैं कई रिश्तों का नया पुराना आईना हूँ

   
मैं रिश्तों का नया पुराना आईना
       ये कविता मैंने प्यारी सखियाँ के लिए लिखी है जो अपना नया जीवन शुरू करने जा रही है वैवाहिक बंधन में बंधने जा रही है
        जिनके जीवन में रिश्तों की नई शुरुआत होने वाली है , ज़िन्दगी की गाड़ी अब नया सफर तय करेगी जिसमें नया साथी होगा आप जो महसूस करेंगी उसे वो हमसफ़र समझेगा साथ देगा

     एक नई दुल्हन अपनीनई ज़िन्दगी के लिए नए रिश्तों महसूस करती है उसे शब्दों का भावनाओं का रूप देकर अपनी कविता में लिखा है ।


मैं कई रिश्तों का नया और बीता आईना हूँ
कभी कुछ नई हूँ कभी कुछ पुरानी हूँ ।
अधूरी थी आपकी बनने से पहले यूँ
जीवनसाथी की संगिनी बनी तो पूरी हुई हूँ ।
मै बेटी हूँ बहू हूँ पत्नी हूँ पर बोझ नही हूँ
मैं कई रिश्तों की जिंदगी हूँ ।
माता पिता के बगिया की खिलती हुई कली हूँ
जीवनसाथी के प्रीत बन्धन में जो बंधू तो दोनों परिवारोँ की नई बेल हूँ ।
नयी जिंदगी को जो जन्म दूँ तो दोनों परिवारों की वृक्ष हूँ
मम्मी पापा आपके आँगन की ही नही अब दो दो आंगनों की लाज व मान हूँ ।
मैं बेटी बहू पत्नी ही नही कई रिश्तों की मजबूत डोर हूँ
माँ पापा दूर नहीं हूँ आपके सुख दुःख में साथ खड़ी हूँ ।
माँ तुम्हारी परछाई हूँ पर तुम में ही समाई हूँ
पिता का मजबूत कन्धा तो थामा है
पर आपके दर्द आपकी खुशियां ना भूली हूँ ।
बिटिया दोनों आंगनों की मिटिया हूँ कई रिश्तों से जुडी हूँ
पिया के संग जो प्रेमपथ पर चली हूँ पर
अपना घर गलियां प्यारे दिन नहीँ भूली हूँ ।
मैं तो बदली हूँ मेरा नाम वही है पर
मैं नयी पहचान से जुडी हूँ ।
मैं बेटी बहू पत्नी कई रिश्तों का मान बढ़ाने चली हूँ
मै बेटी नही हूँ नई पहचान बनाने आगे बढ़ी हूँ ।
हर फर्ज निभाऊ हर किसी की जिंदगी हूँ
पर अकेली नही हूँ किसी से उम्रभर के बन्धन में बंधी हूँ ।
होती तो है रंगीली जिंदगी पति के सिंदूर से ही
अब मैं ऊम्रभर पतिप्रेम के रंगो मेँ ही रंगी हूँ ।
मैं बेटी नही हूँ सबकी खुशियोँ का खजाना सबकी दुखों की दवा हूँ
मान बढ़ाने नये रिश्ते नई पहचान बनाने
संग आपके नये जीवन का आरंभ करने चली हूँ ।
मैं बेटी हूँ बहू हूँ पत्नी हूँ मम्मी पापा पर जहाँ भी हूँ जिदँगीभर आपसे ही जुडी हूँ
नई है मेरी पहचान नया है मेरा नाम पर मैं जीवनसाथी के जीवन की धूप छाँव की साथी हूँ ।
मैं बेटी बहू पत्नी मैं कई रिश्तों का मजबूत वृक्ष बनने चली हूँ
नई खुशियां नए रंग प्यार सबकी जिंदगी में भरने चली हूँ ।
मैं रिश्तों की नई दुनिया को आगे रचने चली हूँ ।
मैं बेटी हूँ पर अब किसी की बहू किसी की पत्नी बनने चली हूँ ।
जीवन के नए पथ पर जीवनसाथी के साथ आगे बढ़ने चली हूँ
आप सब जुड़े है मुझसे उम्रभर के लिए मैं नए रिश्तों को जोड़ने चली हूँ


उम्मीद है आप सखियों को पसंद आये

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