हमारा कोकास हाउस आज दस साल का हो गया

   
         आज एक दशक पूरा हो गया हमे हमारे कोकास हाउस में आये हुए हमारे घर का जन्मदिन है जश्न का दिन । आज से दस वर्ष पहले हमारी जिंदगी ही अलग थी आज बहुत व्यवस्थित है विचारों में भी नहीं था कि ऐसा भी दिन आयेगा जब हमारा भी सपनों का घर होगा जो पूरी तरह हमारा होगा ।
2006 जून को हमारे घर में बोरिंग हुई बस उस दिन से हमारे मकान बनने की शुरुआत हो गई इस ईंट गारे रेती सीमेंट से मकान बनने की पूरी प्रक्रिया को ड़ेढ साल लग गया कमरे बने , छत बनी औऱ अन्य काम पूरे हुए भव्य मकान बनते बनते इस घर बनने की पूरी प्रक्रिया में मेरे पापा मम्मी ने बहुत मेहनत की पापा रोज पूरे घर की तराई करने आते थे दोनो वक़्त बैंक जाने से पहले औऱ बैंक से घर आने के बाद भी । इन मेहनतों के बाद 2 दिसंबर 2007 को हमारा आशियाना बनकर पूरी तरह तैयार हो गया

       2 दिसंबर को हमने हमारे घर में प्रवेश किया औऱ घर का गृहप्रवेश का कार्यक्रम हुआ बहुत सारे लोग आए थे । वैसे तो कई बार हम घर में प्रवेश कर चुके थे पर उस दिन हम पहली बार अपने घर में सोए थे अगले दिन कोई प्लानिग नहीं थीं कि हम अभी आकर रहने लगेंगे क्योंकि हमारा विचार ऐसा था कि हम पहले पुराने घर में जायेगे वहां से जो सामान बेचना है वो बेचेंगे पर हमें यह करने का वक्त ही नहीं मिला ।
       हमारे घर के इंजीनियर चाचा पापा के मित्र राजू चाचा ने कहा की आज पुराने घर से सामान लेकर आ जाओ शाम तक मुझे यहाँ घर में सारा सामान मिलना चाहिए फिर क्या पापा मम्मी, मेरे दो मामा , दो मौसी घर गए और देख देखकर सारा सामान साड़ी औऱ कपड़ों की गठरी में बांधकर ले आये ट्रक में भरकर दो बार में सारा सामान आ गया सब कुछ बहुत तरीके से आया था एक भी सामान टूटा तक नहीं । मेरे स्कूल का बैग ट्रक से सामान उतारने वाले भैया ने कहा कि बेबी ये आपकी मम्मी ने दिया और कहा है कि ये बैग आपके ही हाथ में दे । मेरे स्कूल पहनने वाले जूते किताबे एक भी सामान टूटा नहीं था ।
फिर मामा लोगों ने फर्नीचर वगैरह सारा सामान जमा दिया । धीरे धीरे हम रोज एक - एक गठरी खोलते और एक - एक कमरे का सामान जमाते गए उस दिन से हम पूरी तरह नए घर में रहने लगे आज भी पुराने घर केलाबाड़ी की बहुत याद आती है। बहुत जल्दी हम बड़े घर मे रहने के लिए अभ्यस्त हो गए । इसी नए घर से मैंने 12 th पास किया और भी आगे की शिक्षा ग्रहण की ।

     हर साल कुछ ना कुछ नया रूप लिया है हमने और हमारे घर ने । 2007 से 2017 इन दस सालों में हमारे जीवन का बहुत कुछ बदला गया है । नई - नई चीजों के आने से घर में रौनक आ गई हैं । 2 दिसंबर को एक सपना नए घर और मकान बनाने में मेहनत करने वालों की वजह से साकार हो गया । औऱ आज 2 दिसम्बर 2017 को पूरे 10 साल हो गए हैं ।

कितनी जल्दी वक़्त बीत जाता है
इंसान सपनों में घर बनाता है
सपना होता है जब साकार हो तो
खुशियों का संसार बन जाता है।




2 टिप्पणियाँ:

Rajat Krishna ने कहा…

कोपल अभी पहली बार तुम्हारे ब्लॉग पर टिप्पणी लिखी है ।मिली होगी ।

कोपल कोकास ने कहा…

जी भैया मिल गई है बहुत अच्छा लगा आपका लिखना ।
वो भी घर पर जो पोस्ट लिखी उस पर आपकी टिप्पणी आई हैं 🤗

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