educational trip |
छात्र जीवन में हम अनेक विषयों की अनेंको
पुस्तके पढ़नी होती है शिक्षा की प्रक्रिया का उदेश्य ऐसी सीखने की परिस्थितियों को
छात्र के सामने लेकर आना है की जिससे छात्र सीखे और अनुभव ले सके और अपनी सुनने
वाली इन्द्रियों से सीखने का अनुभव लेते है ।
क्लास में शिक्षा लेते समय छात्र को अपनी
याद करने वाली शक्ति और कल्पना शक्ति से काम लेना होता है कई बार छात्र पुस्तकों
से पढ़कर या टीचर ने जो ज्ञान दिया है उसे भूल जाते है क्योंकि बहुत छोटी सी बात है
हम वास्तविक रूप में जो देखते है वह हमें जल्दी याद हो जाता है अगर हमें क्लास में
ताजमहल के बारे में पढाया जा रहा है तो हम उसका वास्तविक अनुभव नहीं ले पाते है
यदि शिक्षक छात्रों को आगरा ले जाकर वह ताजमहल दिखाए तो तभी उन्हें वास्तविक ज्ञान
मिल पाता है इससे छात्रों को प्रत्यक्ष
रूप से उस विषय को देखने को मिलता है उसके बारे में छोटी - छोटी जानकारी देखने से
मिलती है इसलिए इसे शैक्षिक पर्यटन कहते है ।
कुछ
विषय ऐसे होते है जिन्हें हम पुस्तकों से पढ़कर उतने अच्छे से नहीं समझ सकते है
जितना हम उन्हें अपनी आँखों से देखकर समझ पायेंगे और वास्तविक अनुभव से सीखने
मिलेगा जैसे इतिहास , भूगोल , प्राकृतिक दृश्य . ऐतिहासिक स्थल ऐसे विषय का ज्ञान
प्रत्यक्ष दिखाकर दिया जाए तो छात्र उन्हें अधिक रूचि लेकर पढ़ेंगे और समझेगे कुछ
छात्रों को इतिहास बहुत बोरिंग सब्जेक्ट लगता
है अगर टीचर उन्हें ऐतिहासिक पर्यटन पर लेकर जाए तो इतिहास जैसे बोरिंग सब्जेक्ट
भी बहुत सजीव , रोचक और वास्तविक लगने लगेगा ।
चाहे वो कोई भी विषय हो एक शिक्षक को
पढ़ाते समय वास्तविक ज्ञान देना चाहिए जैसे ताजमहल ,एज्नता एलोरा,कुतुबमीनार, झरने,पहाड़,समुद्र,लाल
किला, विभिन्न मन्दिर, चित्तौडगढ़ किला ,कुरुक्षेत्र परियोजनाएं , संसद भवन
,विधानसभा का पर्यटन कराना चाहिए ।
छात्र ऐतिहासिक इमारत देखेगा तो यह सोचेगा
की पूर्वजो ने इसे बनाने में कितना समय और कितनी मेहनत की होगी ।
विविध
तरह की इमारत,भौगोलिक दृश्य, औद्योगिक मील.खाद्य भंडार खेती कैसे पैदा होती
है ,गाँव के उद्योग कचहरी , राजकीय इमारत
बैंक ,व्यापार को जब छात्र देखेगा तो उनका दैनिक जीवन में उपयोग करने का ज्ञान
मिलेगा ।
इससे एक छात्र को सीखने के साथ -साथ आनन्द
भी मिलता है
छत्र एक स्थलों को देखने से स्थापत्य कला
,चित्रकला सौन्द्र्यवोध करना सीख जाते है
एक साथ बहुत सारे छात्र शैक्षिक पर्यटन के
जब जाते है तो उनमें आपसी एकता , भाईचारा एक दुसरे की मदद करना जैसे गुण आ जाते है
एक शिक्षक को
शैक्षिक पर्यटन का नियोजन इस तरह करना चाहिए
- शैक्षिक पर्यटन कराने के ख़ास उद्देश्य के बारे सोचना चाहिए ।
- पर्यटन कितने दिन का होगा अवधि का निर्धारण करना ।
- उस व्यवस्था का चयन करना जिससे उतम उद्देश्य मिल सके ।
- शिक्षक को पर्यटन पर ले जाने से पहले स्वयं जाकर उस वातावरण का पर्यवेक्षण करना चाहिए ।
- संस्थागत नियम को ध्यान में रखते हुए अधिकारी से जाने की अनुमति लेना चाहिए ।
- पर्यटन की व्यवस्था करने के लिए जाने का दिन,समय, छात्रों की संख्या, निर्देशक कौन होगा । पर्यटन का के ख़ास उद्देश्य का निर्धारण, पैसो की व्यवस्था ,जाने के बारे मार्ग रास्ते के बारे में सोच विचार करना ।
- हर छात्र के लिए निर्देशक प्रत्र तैयार करना ।
- उन संस्थाओं से कोंटेक्ट करके पर्यटन के बारे में पूरी जानकारी देना चाहिए उनसे वहां आने की अनुमति लेना चाहिए और छात्र की देखने का दिन,समय के बारे में उन्हें सूचना देना चाहिए ।
- जिन स्थलों को देखना है वहां जाकर कहाँ ठहरेंगे और खाने की क्या व्यवस्था होगी इन बातों का पहले से निर्धारण कर लेना चाहिए ।
- पर्यटन के लिए यातायत की क्या सुविधा होगी इसका भी पूर्व निर्धारण करना चाहिए ।
- छात्रों को अपने साथ किन - किन चीजों को ले जाना है इस विषय में पहले ही निर्णय लेना चाहिए जैसे नोटबुक ,पेन ,कैमरा ,बिस्तर ,खाने का सामान आदि ।
- किन चीजों का बार किन छात्रों को दिया जाए इसके लिए शिक्षक को समूह बनाकर छत्र को बाँट लेना चाहिए और चार्ज दे देना चाहिए ।
- पर्यन शुरू करने के लिए छात्र कहाँ किस समय मिलंगे इसके लिए शिक्षक को पहले ही ख़ास निर्देश देना चाहिए ।
- हर छात्र को यह निर्देश देना चाहिए की कार्यक्रम के बारे में आने और जाने के समय का कड़ाई से पालन करे ।
- जब छात्र उस विशेष स्थान या संस्था का निर्क्ष्ण करे तब उनका उपयुक्त ढंग से पथ प्रदर्शन करना चेह वे जो भी प्रश्न पूछे उन्हें पूरा ज्ञान देने का प्रयास करना चाहिए ।
- छात्रो को देखी गई बातो को नोट करने का निर्देश देना चाहिए ।
- यह निश्चित करना चाहिए किए हर छात्र यह जानता है की उसे क्या निरीक्ष्ण करना है ।
- यदि पर्यटन स्थल पर रात में रुकना है तो दिनभर की देखी और अनुभव की गई वस्तुओं के विषय में चर्चा करना चाहिए छात्रों की शंका को समझ कर सही उतर देकर दूर करना चाहिए ।
- भ्रमण के कार्यक्रम समाप्त होने पर यदि दोसरे रास्ते वापस आना तो ज्यादा अच्छा रहेगा क्योंकि इससे छात्रों को और अच्छी नै बातों का ज्ञान हो जाएगा जो उनके सामान्य ज्ञान में बढ़ोतरी करेंगी ।
- पर्यटन समाप्त होने पर यात्र के दौरान पूरी की गयी गतिविधियों पर क्लास में खुलकर चर्चा होना चाहिए और उसके बाद हर छात्र को निर्धारित सीमा के अंतर्गत पर्यटन की रिपोर्ट बनाकर देने के लिए निर्देश देना चाहिए ।
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