मेरी पसंदीदा डिश बेबीकोर्न चिली पनीर

मैं पिछले साल 2016 अपने जन्मदिन के उपलक्ष्य और एक काम के सिलसिले में इंदौर शहर गई थी चूंकि मेरा जन्मदिन था इसलिए मुझे मेरी पसंद का चाइनीज खिलाया गया था मेरे जन्मदिन पर हम {chopstick city Chinese restaurant} गए थे यह बेबीकॉर्न चिली पनीर मैंने पहली बार वही पर ही खाया था नाम तो सूना जरुर था की बेबीकोर्न चिली नाम की डिश बनाई जाती है पर यह बेबीकोर्न चिली के साथ पनीर का combination इतना delicious लगा कि मैंने सोचा क्यों ना इसे अपने किचन में ट्राय किया जाए
बेबीकोर्न चिली पनीर 
बेबीकॉर्न चिली पनीर
सामग्री -
100 ग्राम बेबीकोर्न
100 ग्राम पनीर
1 कप शिमला मिर्च
1/4 टीस्पून नमक
1 टीस्पून ब्राउन तिल
2 चम्मच सोया सॉस
3 चम्मच टमाटर सॉस
2 चम्मच चिली सॉस
3 बड़े चम्मच कोर्नफ्लोर







विधि -
सबसे पहले आप बेबीकोर्न दोनों किनारों और बीच से चार टुकड़ो में काट ले
बेबीकोर्न को थोड़ा देर एक चुटकी नमक डालकर उबाल ले
उबालने से थोड़ा क्रिस्पी टेस्ट हो जाता है
सबसे पहले पनीर और बेबीकॉर्न में अच्छी तरह से कॉर्नफ्लोर मिला ले
नॉनस्टिक पैन में पनीर और बेबीकॉर्न को रोस्ट कर ले (दोनो को अलग - अलग ही रोस्ट करे )
तेल गरम करके तिल डाले और कटा हुई शिमला मिर्च डालें और पैन को ढककर छोड़ दे
तीनो सॉस और थोड़ा सा पानी मिलाए ।
बेबीकॉर्न, पनीर मिलाकर सूखने तक आंच पर रखे 
गर्म गर्म प्लेट में टेस्टी बेबीकोर्न चिली पनीर सर्व करें ।
delicious babycorn chilly with paneer 


टिप :
1 अगर आप सॉस की मात्रा ज्यादा करना चाहे तो ज्यादा कर लीजिए
2 इसमें आप शुरुआत में प्याज और लहसून भी दाल सकते है

3 जब बेबीकोर्न को उबाले तो उसमें नमक अवश्य डाले नमक से और ज्यादा क्रिस्पी हो हाते है बेबीकोर्न 

गुनगुनाते जाइए खाना बनाते जाइए


मैं गुजिया बेलते हुए (२०१३) 
          अपनी पाककला को केवल अपना शौक नहीं बल्कि मूड को मस्त बनाना है 
       रसोई में अपना हुनर आज़माना एक कला है जब खाना आपका मूड ऑफ़ रहेगा आप टेंशन में रहेगी तो आप खाना बनाने की शुरुआत में सब्जी को कटाने से लेकर परोसने तक सारा काम पूरे ध्यान से करेगी आप भूल जायेगी की आपको किस बात से तनाव हुआ था

        एक सर्वे में यह पाया गया कि बेकिंग से महिलाओं और पुरुषों में करीब 40% स्ट्रैस कम हो जाता है. खाना बनाना बोझ या सिरदर्द नहीं है कुछ लोग यह सोचकर खाना बनाने से पीछे हट जाते है के अरे खाना बनाने के लिए दस तरह के झंझट करने पड़ेगे बिलकुल नहीं आप खाना बनाना शुरू करिए एक -एक चीज अपने आप एक के बाद एक होती जायेगी इसलिए आप खाना बनाने को बोझ नहीं, बल्कि एक मनोरंजन समझे
खाना बनाना एक कला 

       जब आप कुकिंग करते है तो आप अपने तरीके नए नये प्रयोग करते है जब मैंने खाना बनाना शुरू किया था उस वक्त मेरी उम्र मात्र 24 साल थी धीरे - धीरे नई -नई चीजे बनानी शुरू की शुरुआत की बैंगन आलू की रसीली सब्जी से और तरह-तरह व्यंजन बनाती हूँ और आज खाना बनाने में एक्सपर्ट हो गई हूँ जब भी हमारे घर पर कोई अतिथि आते है तो मेरी मम्मी मुझसे ही कहती है की बेटा तुम ही बनाओ सब्जी तुम्हारे हाथ से सब्जी का रंग और स्वाद दोनों बढ़ जाते है शुरुआत में खाना बनाने में मुझसे ढेर सारी गलतियाँ होती है कभी आटे में पानी ज्यादा , कभी सब्जी में मिर्च ज्यादा , तो कभी चावल जल गया ऐसी छोटी -छोटी ना जाने कितनी तरह की गलतियाँ होती है पर मई ये सोचती हूँ की किचन ऐसी जगह है जहां धीरे धीरे हर गलती आप ठीक करते है कोशिश करते हुए उसमें सुधार करते है आप खाना बनाने में जब गलती हो जाती है तो यह अगली बार ध्यान रखते है की अगली बार यह नहीं करेगे l

   मुझे भी मुझे टेंशन होता है रसोई में खाना बनाते हुए मेरा सारा टेंशन दूर हो जाता है क्योंकि मेरा मानना है की जब आप कुकिंग करते है तो आप उस काम में पूरी लगन से जुट जाते है जिस बात से टेंशन हो रहा होता है काम करने की लगन में उस बात को भूल जाते है जिससे टेंशन हो रहा था

       कुकिंग बनाते हुए मोबाइल में अपनी पसंद के गाने सुने सिर्फ सुने नहीं साथ में गुनगुनाते हुए खाना बनाइए फिर देखिये आपके खुश रहने से खाना भी बढ़िया बनेगा और मूड भी मस्त रहेगा

      आप खाना बनाते समय अपने खाना बनाने नए तरीके बनाइए एक जैसी विधि से नहीं अलग अलग तरीके से बनाइये l  

     किचन को अपने हिसाब से जमाएं कौन सी चीज कहाँ रखनी है जैसे बर्तन , खाने बनाने के सामान मसाले अलग डिब्बो में रखे हर चीज किचन में व्यवस्थित रखे जिन चीजो से आपको खाना बनाना है अगर उन सामग्री की व्यवस्था नहीं कर पा रही है स्मार्ट कुकिंग करने के लिए बाजार में मिलने वाले तरह-तरह के मसालों का प्रयोग खाने में करें. इस के लिए पौष्टिकता, टेस्ट और सुगंध बढाने वाले मसालों का ध्यानपूर्वक चयन कर खरीद कर घर में रखें l


     खाने में नई -नई डिश प्रयोग करने के लिए रेसिपी बुक्स पढ़े अगर बाहर किसी और शहर में जाती है वहां के खास व्यंजन को देखे नोट करे और वापस आकर आप उन्हें बनाने की कोशिश करिए

      खाना बनाते वक्त अपने ध्यान को सिर्फ खाना बनाने में लगाइए उस विषय का मत सोचिये जिससे आपको तनाव हो रहा था  

     खाना एकदूसरे को जोड़ता है, फिर चाहे वह फ्रैंड हो या परिवार वाले, अच्छे भोजन की सब की चाह रहती है

     कुकिंग करते समय तरह-तरह के व्यंजनों को काटना पड़ता है, जिस में सब्जियों के कलर और मसालों के फ्लेवर काटने वाले की नसों को शांति प्रदान करते हैं, जिस से तनाव कम होता है

    सब्जियों को काटना, मसलना, क्रश करना, स्लाइस करना, छीलना आदि सभी काम को जब हम ध्यान से करते है तो हम समस्या भूल जाते है और तनावमुक्त हो जाते हैं

    कुकिंग में क्रिएटिविटी खूब होती है. जितना आप उसे सही तरीके से पेश करेंगे, उतने ही आप नए-नए तरीके सोचेंगे इससे आपको ज्यादा खुशी महसूस होगी

    अगर आप अच्छा खाना बनाती हैं, तो अधिकतर फ्रैंड या परिवार वाले आप के इस हुनर की तारीफ करते नहीं थकते. की वाह आपने क्या पुलाव बनाया है या बहुत अच्छी सब्जी बनी है इस से आप का मनोबल ऊंचा होता है और नई नई चीजे ट्राय करती है

   जब आप खाना किसी दोस्त या परिवार वालों की पसंद का बनाती हैं और वे उसे खुश हो कर खाते हैं और खाना खाते हुए अपनी खुशी जाहिर करते है किए आज यह डिश में मझा आ गया l

   आप रसोई के कलाकार है और खाना बनाना एक कला है, जो हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है और शांति देती है l

   खाना बनाना आने पर आप अपना मनपसंद खाना खा सकते हैं, जिस से आप को सुकून मिलेगा और तनाव दूर होगा जैसे किसी व्यक्ति को चाइनीज पसंद है या मीठा तो आप अपनी पसंद का खाना  खाने पर खुशी मिलती है और यही खुशी तनाव कम करती है l

       आप खाना बनाएगी फिर खिलाकर किचन साफ़ करेंगी इससे समय भी कटेगा भी तनाव कम हो जाएगा l

       आजकल हर किसी की जिन्दगी में भागदौड़ और काम का प्रेशर ज्यादा है तो आप स्मार्ट कुकिंग करिए और खाना बनाने की तैयारी पहले से करके रखे l

      आज क्या खाना बनाऊँ यह सबसे बड़ा टेंशन है आपको खाना में क्या क्या बनाना है यह पहले से सोच ले की आज मुझे गोभी आलू बनाना है दाल रोटी चावल बनाना है या आप एक हफ्ते का मीनू भी बनाकर रखा सकता है l

      आप खाना बनाएगे तो आप सब्जी में मिर्च नमक , दाल में कितना नमक डालना है उस पर ध्यान रखेगे आप उसके स्वाद को चखकर देखेंगे l

      सब्जियों को रात में काट कर, कच्चे मसाले की सामग्री को पीस कर, भिगो कर और भाप दे कर पहले से फ्रिज में रख लें l

     कितने लोगो के लिए कितनी रोटियाँ बनानी है उसके हिसाब से रात में पहले से आटा गूथकर फ्रिज रख ले l

     अगर दाल बनानी है तो उसे पहले से भिगो कर रखें ताकि जल्दी पक जाए. इस से उस के पोषक तत्त्व भी कायम रहते हैं और गल भी जल्दी जाती है l


       महिलाओं के लिए शेफ रणवीर बरार कहते हैं, ‘‘महिलाएं अपना ध्यान न रख कर पूरे परिवार का खयाल रखती हैं. इस से उन का मूडऔर मौरलदोनों ही नीचे चले जाते हैं. ऐसे में उन्हें अपना खयाल पहले रखना चाहिए ताकि उन्हें काम के दौरान किसी प्रकार का तनाव न रहे.’’

कामकाजी स्त्री और खानपान

             

मेरे खाने में क्या है 
         महिलाओं को अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि उन्हें ऑफिस के साथ घर भी सम्हालना होता है कई बार महिलाएं बाकी जिम्मदारियो को निभाने के चक्कर में अपना ध्यान देना भूल जाती है कामकाजी महिलाओं को अपने खाने में उन चीजो को लेना चाहिए जिनसे उन्हें भरपूर पोषण मिले स्फूर्ति मिले खाने में विटामिन ,जिंक , प्रोटीन, कैल्शियम की मात्रा ज्यादा ले  कामकाजी महिला को अपने समय और सुविधा के हिसाब से एक हेल्दी डाईट चार्ट बनाना चाहिए और उसी के अनुसार चलना चाहिए 

       सुबह उठने के लिए अलार्म ना लगाएं क्योकि आप जब अलार्म लगाकर सोती है तो या तो आप समय पर उठना भूल जाती है या फिर अलर्म के चक्कर में नींद नहीं पूरी होती है अपने दिमाग में यह बात फिट कर ले की आपको इतने बजे सोना है इतने बजे उठना है आपकी नींद अपने आप एक फिक्स टाइम पर खुल जायेगी फिर नो ऑफ़ अलार्म क्लॉक 

       अपने दिन की शुरुआत पानी पीकर करे उसके बाद आप ग्रीन टी, ब्लैक टी ले सकती है 
काम और खाना 
   सुबह का नाश्ता -
नाश्ता पर अवश्य ध्यान देना चाहिए क्योंकि आपने रात का डिनर अगर 8 बजे किया है या 9 बजे किया है उसके बाद आप खाने बनाने से लेकर किचन साफ़ करने व अन्य काम करती है तो सुबह तक आपका शुगर लेवल डाउन हो जाता है और सुबह उठने के बाद बच्चों का टिफिन ,घर के लोगों के लिए नाश्ता बनाती है ऐसे में आपको जरूरत है की आप स्वयं भी नाश्ता करे यदि आपका ओफिस सुबह 9 बजे से है आप सुबह के नाश्ते में विटामिन ए वाले फल जैसे सेब,पपीता,स्ट्राबेरी खाना काफी फायदेमंद होता है पर आपके पास कम समय है तो आप सिर्फ एक गिलास दूध या कोई भी फल खा सकती है या दूध में कोर्न्प्लेक्स,दलिया,ओटमील और उसमें थोड़े द्रैफ्रूट्स मिलाकर खा सकती है या  दलियासैंडविच अपने साथ कोई फल रख ले समय मिलने पर खा सकती है 

 दिन का खाना  -
कामकाजी महिलाओं को अपने नाश्ते और लंच चार से पाँच घंटे का अंतर रखना चाहिए लंच में स्वास्थ्यवर्धक आहार लेना चाहिए आप अपने लंच में सब्जी ,दाल,दही या छाछ ,चपाती को शामिल करे चापती में मिक्स आते की चपाती खा सकती है हरी सब्जियां खाना आपके लिए फायदेमंद है अगर आप अंडा खाती है तो हरी सब्जी और दाल की जगह अंडे उबालकर रख ले आपके लंच में सलाद जरुर रखे सलाद में ककडी,गाजर,मूली,चुकंदर,प्याज और थोड़ा सा नीबू डालकर खाएं आदि रखे खाने में चावल और रोटी की मात्रा कम रखे सलाद की ज्यादा रखे ब्रोकली ,पालक , लौकी आदि का सेवन करे एक प्लेट ब्राउन राईस में  केचप मिलाकर खा सकती है एक कटोरी जरुर खाए व् पाँच तरह की दाल भी बना के खा सकती है 

शाम के छुटपुट नाश्ते -
अक्सर काम करते करते आपको बीच में कुछ ना कुछ खाने का मन करता है और आप कुछ ऐसी चीजे खा लेती है जो आपकी सेहत को बिगाड़ देते है ऐसे में आप अपने पास अपनी दराज में फल,सेब , अनार, पपीता ,स्प्राउट्स, चना मुरमुरा मूंगफली ,आंवला,टमाटर रखे या गेंहू की बिस्किट खाए उबले हुए कोर्न प्याज टमाटर नीबू के साथ खाएं इससे आपकी भूख मिट जायेगी और हेल्थ भी नहीं बिगड़ेगी याद रखे शाम के स्नैक्स में और रात के खाने में ज्यादा गेप नहीं होना चाहिए क्योंकि आपको रात को खाना भी बनाना है और घर के अन्य काम भी निपटाने है काम ज्यादा होने पर चाय कॉफ़ी नहीं नारियल पानी या हर्बल टी पिए । 
 ऑफिस की पार्टीस में भी आप ध्यान रखे कि ऐसा खाना ना खाए जिससे आपका फिगर बिगड़ जाए


   रात का खाना
रात का खाने में ध्यान रखे सोने से दो घंटे पहले खा ले खाने को पचने का पूरा समय दे खाने के तुरंत बाद ना सोये रात में कभी भी बिना खाना खाए नहीं सोये ज्यादा तेल वाली चीजे ना खाए कोशिश करे गेंहू की रोटी खाए कम मसाले वाली सब्जी खाएं ऐसा खाना पचने में आसान होता है और इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है अगर आप नों वेजीटेरियन है तो आप रात में कभी चिकन या मछली खा सकती है बिना ऑयल के या आप उसे बोयल करके भी खा सकती है रात के खाने में भी सलाद व् कच्ची सब्जिया ज्यादा खाइए  कल्शियम व् प्रोटीन की पूर्ती के लिए दूध जरुर पिएँ 

पानी अधिक पिएँ अपने पास हमेशा एक बोतल या जार में पानी भरकर रखे जैसे ही खत्म हो तो दोबारा आप स्वयं उठकर जाएं और भरकर लाएं इससे थोड़ी देर उठने से पैरो की एग्ज्र्साइज हो जायेगी  

यदि आपने अपने लिए डाइट चार्ट बनाया है तो फ़ॉलो कीजिए लटका के मत रखे 

मेथी दा चिकन



हर समय हम एक जैसे ही चिकन की डिश बनाते है किचन में हमेशा कुछ नया ट्राय करना
चाहिए ताकि बोरियत ना हो

तैयारी का समय - 15 मिनट
पकने में समय - 15 मिनट
4 लोगो के लिए

सामग्री - 
४०० ग्राम चिकन विथ हड्डी
2बड़े चम्मच तेल
1 1/4 छोटा चम्मच नमक
1/2 कप दूध/क्रीम
1 कप दही - 1 घंटे के लिए लटका दें
प्याज का पेस्ट (एक साथ पीसे)
1 मध्यम आकर की प्याज
2-3 कली लहसून
1/2'' टुकड़ा अदरक
1 छोटा च गर्म मसाला
1/2 छोटा च . हरी मिर्च

तड़का
1/2 च घी
1/4 काली मिर्च

विधि
1 डिश में 2 बड़े च तेल और प्याज का पेस्ट डाले मिलाएं बिना ढके 4 मिनिट माइक्रोवेव करे
2 चिकन धुले और निचोड़े हुए मेथी के पत्ते दही और नमक डाले अच्छी तरह मिलाएं
बिना ढके 8 मिनिट माइक्रोवेव करे हिलाएं और 3 मिनट ग्रिल करे 2-3 मिनट रुके ओवन से निकाले और ठंडा करे
3 दूध या क्रीम डाले और दुसरे हाथ से लगातार चलाते रहे परोसने के समय तक अलग रखे
4 परोसने के पहले . एक छोटे बाउल में तड़के की सारी सामाग्री को बिना ढके 15-20 मिनट माइक्रोवेव करे गर्म घी को गर्म चिकन पर डाले

माइक्रोवेव वाला मुर्ग पुलाव



बनने में समय 30 मिनट

पकने में समय 16 मिनट
चार लोगो के लिए

सामग्री -
4 कप बासमती चावल
250 ग्राम चिकन - टुकड़े काटे
3/4 छोटे चम्मच नमक
1/2 छोटे चम्मच हल्दी पाउडर

पेस्ट -
3 सुखी लाल मिर्च बीज निकाल दे
2 प्याज - बारीक काट ले
2 चम्मच तेल
12-14 कली लहसून
2 छोटे चम्मच कटी हुई अदरक
2 छोटे चम्मच सौंफ
1 छोटा चम्मच जीरा
1 टुकड़ा दालचीनी
2 मोटी इलायची के बीज
2 लौंग
4 साबुत काली मिर्च
5 तेजपत्ते

विधि
1 चावल को धो ले 
2 पेस्ट के लिए सारी सामाग्री थोड़े से पानी के साथ पीसे 
2 चिकन और तैयार पेस्ट को बड़े माइक्रोवेव डिश में अच्छे से मिलाएं ढंके और 3 मिनट को माइक्रोवेव करे 
3 चावल पानी समेत मिलाए नमक हल्दी डाले हल्के से मिलाएं डके और 13 मिनट माइक्रोवेव करे 
4 कांटे से हिलाएं 5 मिनट बाद परोसे 

रंगोली हस्तकलाकृति और सृजन

                
मैं और मेरी मम्मी रंगोली बनाते हुए 

         घर-द्वार पर या आंगन में रंगो की छटा बिखरती रंगोली सबको प्रसन्न कर देती है रंगोली का हर प्रदेश में विदेश महत्व् है इसकी परम्परा अत्यंत प्राचीन है भारतीय धर्म और संस्कृति के साथ रंगोली प्राचीन काल से जुडी है रंगोली धरती पर तरह - तरह की आकृतियों को अंकित करने वाली बहुत प्राचीन लेकिन चित्ताकर्षक लोक कला है वात्सायन के कामसूत्र में उल्लेखित चौसठ कलाओं में चौथे स्थान पर वर्णित है  यह अति प्राचीन लोककला है मोहनजोदड़ो और हडप्पा में भी मंदी हुई अल्पना के चिन्ह मिलते है प्राचीन काल में लोगों का विश्वास था कि ये कलात्मक चित्र शहर व गाँवों को धन-धान्य से परिपूर्ण रखने में समर्थ होते है और जादुई प्रभाव से सम्पत्ति को सुरक्षित होते है इस नजरिये से धार्मिक और सामजिक अवसरों पर प्रचलन हुआ
मेरे द्वारा बनाई रंगोली 
      रंगोली को लोक तिथि , व्रत त्यौहार, उत्सव ,विवाह और अनुष्ठानो में सूखे और प्राकृतिक रंगो से बनाया जाता है इसके लिए प्रतोग किए जाने वाले पारम्परिक रंगो में सूखा या गीला आटा , चावल,सिन्दूर,रोली,हल्दी,सूखा आटा,लकड़ी के बुरादे , चारकोल,सूखे पत्तो के पाउडर प्रयोग किया जाता है कई जगह पर रंगोली बनाकर ही महिलाओं की दिनचर्या की शुरुआत होती है वे सुबह उठकर झाडू लगाने के बाद आंगन में पानी डालकर या गोबर से लीपने के बाद दरवाजे पर तुलसी चौरे के पास हर सुबह नई डिजाइन डालकर खुशी और आत्म संतुष्टि का अनुभव करती है रंगोली के बिना कोई भी शुभ अवसर पूरा नहीं होता है  ।

           रंगोली ललित कलाओं की विशिष्ट शैली है इसे भू-अलंकरणों में इसका उल्लेख मिलता है शास्त्रों में इसे आलेखन भी कहा है रंगोली भारत वर्ष में अलग-अलग स्थानों में रंगोली की अपनी परम्परा है राजस्थान में इसे मांडना कहते है मध्यप्रदेश में चौक मांडना, बंगाल में अर्चना तो उड़ीसा में ओसा, अलमोड़ा, गड़वाल में आपना कहते है मिथिला में अरिपन, तो उतरप्रदेश में सों रखना या चौक पुरना कहते है कुमाऊँ में थापा गुजरात में इस परम्परा को साथिया कहता है बुन्देल खंड में सांझी तो पहाडी क्षेत्र में आनी पाख्म्भा मणिपुर नाम से यह कला प्रसिध्द है भारत के दक्षिण भाग में केरल में ओनम तो आंध्र में मुगा कहते है दक्षिण में कोलम कहा जाता है महाराष्ट्र में रंगोली डालना कहते है महाराष्ट्र की रंगोली तो प्रसिध्द है ही नाम अलग है फिर भी मूल भावना एक ही है हमारी यह श्रध्दा है कि रंगोली के अस्तित्व मात्र से घर साफ़ सूचिता आरोग्य ,भक्ति ,ज्ञानव् खुशी से भर जाता है अपने -अपने क्षेत्र में हर मान्गिल्क अवसर पर रंगोली के माध्यम से मनुष्य की प्रार्थना भावना ,अपनेपन,आव्हान दिखाई देता है और इससे हमारी संस्कृति की पहचान बनती है
मेरी मम्मा दीपक वाली रंगोली बनाते हुए 
मेरे पापा ने बनाई दबंग वाली रंगोली 
कटोरी से बनाई 
      रंगोली को अंक्ति करने का माध्यम क्षेत्रीय विविधता लिए हुए है कही फूलो से सजाते है तो कंही चावल के आटे से , चूना गेरू के रंग का उपयोग गाँवों में किया जाता है महाराष्ट में पत्थर का चूरा बनाते है फिर रंगोली बनाते है उसमे रंग मिलाकर रंगीन बनाई जाती है सफेद और रंगीन रंगोली की मदद से बहुत सी सुंदर मनमोहक डिजाइन डाली जाती है रंगोली के साथ आज कल गुलाल के आकर्षक रंगो का उपयोग रंगोली में किया जाता है जिससे चिताकर्षक ,कलाकृतियाँ सजाई जाती है कहा जाता है विविध कलाकृतियों में देश की संस्कृति दिखाई देती है यह रंगोली कलाविष्कारो में बहुत उत्कटता से दिखाई देती है

      रंगोली आँगन के मध्य में, कोनों पर, या बेल के रूप में चारों ओर बनाई जाती है। मुख्यद्वार की देहरी पर भी रंगोली बनाने की परंपरा है। भगवान के आसन, दीप के आधार, पूजा की चौकी और यज्ञ की वेदी पर भी रंगोली सजाने की परंपरा है। समय के साथ रंगोली कला में नवीन कल्पनाओं एवं नए विचारों का भी समावेश हुआ है। अतिथि सत्कार और पर्यटन पर भी इसका प्रभाव पड़ा है और इसका व्यावसायिक रूप भी विकसित हुआ है। इसके कारण इसे होटलों जैसे स्थानों पर सुविधाजनक रंगों से भी बनाया जाने लगा है पर इसका पारंपरिक आकर्षण, कलात्मकता और महत्त्व अभी भी बने हुए हैं।

      रंगोली बनाने के लिए बिंदु डालकर उसे आदी तिरछी रेखाओं से जोड़कर अनेक कलाकृतियाँ बनाई जाती है स्थान और समय को देखकर छोटी और बड़े आकृतियाँ बनाई जाती है और उसमे रंग भरे जाते है फूल-पत्तियाँ, पशु-पक्षी  , देवी-देवताओं के भी चित्र बनाए जाते है ज्यामितीय कलाकृति के साथ फ्री हैण्ड चित्राकृतियां भी बनाई जाती है
        ग्रामीण अंचलो में घर-आंगन बुहारकर लीपने के बाद रंगोली बनाने का रिवाज आज भी विद्यमान है परम्परागत गोबर से लिपे आंगन में गेरू ,हिमरिच खादी पांडू गलाया जाता है घोला जाता है उसके बाद बांस या खजूर की डंडी या खपच्ची पर कपड़ा लपेटकर मांडना या तूलिका तैयार की जाती है या कपड़े के छोटे छोटे टुकड़ों को घोल में भिगोकर हाथ की उंगलियों से रंगोली डालते है गोल,त्रिभुज, षटकोण,अष्टकोण,वर्ग,वृत,सरल रेखा  आकार बनाकर आड़ी तिरछी रेखाओं से बिन्दुओ को भरा जाता है रंगोली के चित्र रंग,चित्र विषय और समय ,स्थान और मान्यताओं के साथ बदल जाते है सौन्दर्य ,सृजन और लोकमंगल पर आधारित होते है रंगोली में शंख,चक्र,गडा,स्वास्तिक,कमल,कलश,मछली,मयूर,हंस,ध्वज,गोपद,ओम आदि शुभ चिन्हों का प्रयोग किया जाता है
दीपक व् स्वास्तिक चिन्ह वाली 
       रंगोली में बनाए जाने वाले चिन्ह जैसे स्वास्तिक ,कमल का फूल,लक्ष्मीजी के पग स्मुध्दी और मंगलकामना के सूचक समझे जाते है आज कई घरो ,देवालयों के आगे रोज रंगोली बनाई जाती है रीति-रिवाजो को सहेजती-संवारती यह कला आधुनिक परिवारों का भी अंग बन गई है
        शहरों में आजकल लोगो के पास समय कम है और कई घर ऐसे भी है जिनमे जगह कम है तो भी रंगोली अपना स्थान कायम रखे हुए है जिन स्त्रियों को रंगोली डालना नहीं आता है वे पेंट और स्टीकर का उपयोग करके भी तीज त्यौहार पर रंगोली बनाती है परन्तु कई महिलाएं आज भी इस भारतीय कला को जीवित रखते हुए हर रोज सुबह दरवाजे पर रंगोली डालकर अपने दिन की शरुआत करती है यह शौक उनकी कल्पना का आधार तो है ही नवीन सृजन करने की भावना का प्रतीक भी है
फूल वाली रंगोली 

       महाराष्ट्र में आजकल संस्कार भारती रंगोली का प्रयोग बहुत किया जा रहा है कोई भी तीज त्यौहार हो सामजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम हो , राष्ट्रीय त्यौहार हो , सार्वजनिक स्थानों पर चौराहों पर बड़ी ग्लीचानुमा रंगोली सबके मन को खुश कर देती है कम समय में बन जाती है इसलिए यह अपना महत्व बढाती जा रही है आजकल पानी पर,क्रिस्टल,मोतियों व् अनके तरीको से भी रंगोली बनाई जाती है
संस्कार रंगोली 


  







ज़िन्दगी में ज़रूरी है मसाले




भोजन को स्वादिष्ट बनाने ,रंगने या संरक्षित करने के उद्देश्य से उसमे मिलाए जाने वाले सूखे फल ,बीज जड ,छाल या सब्जियों को मसाला कहते है कभी-कभी मसाले का का उपयोग दुसरे फ्लेवर को छुपाने के लिए किया जाता है  


हल्दी 

हल्दी 
                                    टर्मरिक भारतीय वनस्पति है यह अदरक की प्रजाति का  हल्दी 5-6 फुट तक बढने वाला पौधा है हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमात्कारिक पदार्थ के रूप में जाना जाता है हल्दी एक बहुत महत्वपूर्ण औषधि हल्दी अपने धार्मिक रूप के कारण बहुत शुभ मानी जाती है । विवाह की हल्दी रस्म में हल्दी का बहुत बड़ा स्थान हैरसोई की शान होने के साथ-साथ हल्दी कई चमात्कारिक औषधीय गुणों से भरपूर है आयुर्वेद में हल्दी को बेहद महत्व का इसलिय माना है क्योकि चलत के इलाज कफ़-खांसी अनेक बीमातियो के इलाज में मदद करती है हल्दी सौन्दर्य को बढाती है प्राचीनकाल से ही इसका प्रयोग रूप को निखारने के लिए किया जा रहा है आज हल्दी का प्रयोग उबटन व् क्रीमो में किया जा रहा है 

जीरा 
जीरा - 
                            जीरा क्यूमिनम सायमिनम एपियशी परिवार का फूल वाला पौधा है व्यक्ति के भोजन को जल्दी पचाता है इसके बीजो को सुखाकर बहुत से खानपान व्यंजनों में साबुत या पिसा हुआ डाला जाता है खाने को आकर्षक गंध देने का काम करता है 


धनिया
धनिया
 धनिया का मुख्य काम खाने को एक ख़ास तरह की महक देना होता है धनिया की तासीर ठंडी होती है 
धनिया के बीज सम्पूर्ण पाचन तन्त्र को मजबूत कर देता है धनिया बीज को रोज दो-तीन बार सौंफ की तरह चबाकर खाएं सौफ के साथ भी खा सकते है रोज आपको आपका चेहरा ताजा खिला दिखेगा 

सौंफ
सौंफ 

यह पाचन बहुत अच्छी होती है मोटी सौंफ को भुनकर व् मिश्री के साथ पीसकर अगर खाया जाए तो यह आँखों व् याददाश्त के लिए बहुत अच्छी होती है इन्दोर व् मध्य्प्रेध में कई जगह पोहे में सौफ डाली जाती है स्वाद बढाने के लिए।
अजवाइन - अजवाइन में साइमीन,अल्हेहाइड ,कार्बोन,लिनोनिन सुंगधित तत्व रहते है अजवाइन का प्रयोग पकवान बनाने में किया जाता है 

राई -

राई 

राई काली,पीली और बादामी रंग की होती है इसमें वसा की मात्रा ज्यादा होती है इसे हम खाद पदार्थ को सड़ने से बचाने के लिए प्रयोग करते है जैसे अचार के मसाले में राई डालते है ताकि वह सड़े नहीं 



हींग 
हींग हिंग का अंगरेजी नामAsafodiea है जो सौंफ की प्रजाति का पौधा है हींग का प्रयोग आचार करी,सॉसो में सुगंध लाने के लिए होता है इसके प्रतिजैव्की गुण की वजह से दवाइयों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है 

लहसून -
लहसून
 
 लहसून प्याज फूल एलिएसीकी एक प्राजाति है । लहसून पुरातन काल दे पाक और दवाइयों के लिए इस्तेमाल में लाइ जा रही है इसकी एक ख़ास सुन्द होती है स्वाद तीखा होता है  लहसुन पुरातन काल से दोनोंपाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इसकी एक खास गंध होती हैतथा स्वाद तीखा होता है रोज लहसन की पाँच कलियाँ खाई जाएं हदय के रोग नहीं होते है से लहसुन की पाँच लहसून का प्रयोग सब्जियों,पुलाव व् अन्य खाद्ध पदार्थ में डालने से आकर्षक व् बहुत गंध आती है लहसून रक्त को शुद्ध करता है शरीर में जो टूटफूट हुई उनकी मरम्मत करता है फेफडे व् गुर्दे के रोग के लिए अच्छा होता है आत के रोग ,वाट के रोगियों के लिए लहसून खाना अच्छा होता है 
प्याज
प्याज यह एक सुगंधकारक व् उपयोगी होता है आंखो व् पाचन के लिए अच्छा व् कच्चा प्याज खाना भी गुणकारी होता है , रक्तचाप, रोग से लड़ने की क्षमता ,आँखों को स्वस्थ रखता है बालो व् ख़ूबसूरती व् अन्य बीमरियों से बचाने में मदद करता है 

नमक नमक का प्रयोग खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए होता है 


नमक 









लौंग 




लौंग - लौंग कैरीयोफाइलस ऐरोमैटीकस पेड़ के फूल की खूखी कली होती है इसमें युगनेल और कैरीयोफाइलीन युक्त महक देने वाला तेल रहता है यूजीनिया कैरियोफैलेटा नाम के सदाबहार पेड़ की सूखे फूल की कली है लौंग का उपयोग भारतीय पकवानों में बहुत अधिक किया जाता है व् दवाई के रूप में भी इस मसाले का उपयोग भारतीय पकवानो मे बहुतायत मे किया जाता है। लौंग को पीसकर या साबुत खाने में डालने वह सुगंध से भर जाता है दांत के मंजन ,साबुन ,इत्र दवा के रूप में लौंग काम आती है 


इलायची
इलायची -  इलायची का सेवन मुखशुद्धि या मसाले के रूप में होता है इलायची दो तरह की होती है छोटी या बड़ी इलायची जहां बड़ी इलायची व्यंजनों को लजीज बनाने के लिए व्यंजन में मसाले के रूप में डाली जाती है वही हरी इलायची मिठाइयो की खुशबू बढ़ाने का काम करती है मेहमानों की आवभगत में इलायची प्रयोग होती है इलाच्य्ही औषधीय गुणों की खान है इलायची शीतल,तीखी ,मुख को शुद्द करने वाली वात,सांस,खांसी,बवासीर,खुजली,सूजन,उल्टी,छले,बदहजमी,जीमचलने रोगों में बहुत लाभ देती है 


दालचीनी दालचीनी सिन्नेमोमम जाईलैक्निक्म ब्राइन पेड़ की छल है सिनेमिक एल्देहाइड गंधयुक्त तेल रहता है जिसकी वजह से इसमें एक विशेष सुंगध होती है 
केसर 
केसर - केसर एक सुगंध देने वाला पौधा है इसके फूल को जाफ्र्ना कहते है  केसर (saffron) एक सुगंध देनेवाला पौधा है। यह मक्खन आदि खाद में स्वाद लाने के लिए प्रयोग की जाती है केसर आयुर्वेदिक नुस्खो में व्यंजनों ,पूजा में पान में भी काम आती हैकेसर उपयोगी गुणों से भरी होती है यह कफ रोकने मन को खुश करने वाली मस्तिष्क को मजबूत बनाने ह्दय और रक्त के लिए लाभकारी व्यंजनों और दूध खीर को रंग व् और सुंगध देने वाली होती है ।

तेजपत्ता तेज पत्ता बे लोरेल का सुगन्धित पता होता है ताजा या सूखे पत्तो को उनके ख़ास स्वाद और खुशबू के लिए खाना पकाने में इस्तेमाल किया जाता हाउ यह पेड़ की पत्ती होती है जिसे पीसकर या साबुत ही प्रयोग किया जाता है इसमें सिनेमिक एल्देहाइड महक व् स्वाद बढ़ाने तेल रहता है तेज पत्तियों में ऐसे गुण है जो उन्हें हाई ब्लड प्रेशर , शुगर,सर दर्द अल्सर व् एनी बीमरियों में के इलाज में मददगार है 
तेजपत्ता 


काली मिर्च - काली मिर्च में स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है पिपली कुल के मरीचपिप्पली नामक की लता के बारहमासी पौधे के अधपके और सूखे फलो का नाम काली मिर्च है  पके सूखे फलों को चिलको से निकालकर गोल मिर्च बनाई जाती है व् मसाले में प्रयोग की जाती है 

लाल मिर्च - 



काली मिर्च 

मिर्च कैप्सिकम वंश के एक पादप का फल है यह सोलेनेसी कुल का एक सदस्य है  लाल मिर्च का स्वाद तीखा होता है व्यंजन में स्वाद व् रंग बढाने के लिए प्रयोग किया जाता है 
लाल मिर्च -









मेथी 
मेथीमेथी एक वनस्पति है इसकी पत्तियाँ साग बनाने के काम आती है और इसके दाने समाले के रूप में डाले जाते है सेहत की दुष्टि से बहुत गुणकारी है मेथी हमे एक बेहतर सेहत और सौन्दर्य देती है मेथी हमें बेहतर स्वास्थ्य के साथ सौंदर्य भी प्रदान करती है। पेट की गडबडी, त्वचा की फुंसी,एसीडिटी मेथी एक गुणकारी दवा है जो पेट व् एनी रोगों को दूर करेक कांतिमय त्वचा और स्वस्थ शरीर देती है
मेथी के पत्ते व् बीज दोनों दवा के रूप में उपयोग में आती है मेथीदाने स्वाद में कडवे होते है पर इसका चूर्ण व् साबुत ही खाने से बहुत सी बीमारियाँ दूर हो जाती है मेथी के पत्ते व बीज (मेथीदाना) दोनों का उपयोग औषधि के रूप में होता है। मेथीदाने स्वाद में कड़वे होते हैं परंतु इसके चूर्ण का उपयोग कई बीमारियों में औषधि के रूप में किया जाता है। 



अमचूर - अमचूर सूखे कच्चे आम का पिआसा हुआ रूप है अमचूर सूखे कच्चे आम का पिसा हुआ रूप है सब्जियों व् मसाले के रूप में पोहे व् अन्य भोजन में खट्टापन लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है         

 एक सदाबाहर पेड़ है इससे दो मसाले मिलते है जायफल और जावित्री












अदरक -
अदरक 
अदरक जिन्जीबरसी कुल का पौधा हैअदरक का इस्तेमाल व्यंजन बनाने के बीच में किया जाता है अक्सर सर्दी के दिनों में खांसी जुकाम होने पर अदरक का प्रयोग खांसी सर्दी ठीक करने के लिए किया जाता है और कई बीमारियों के लिए भी बहुत फायेदेमंद है इसके अलावा भी अदरक कई और बीमारियों के लिए भी फ़ायदेमंद मानी गई है