विक्रम संवत् की शुरुआत करने वाले राजा विक्रमादित्य

     
सम्राट विक्रमादित्य 

 विक्रम संवत अनुसार विक्रमादित्य आज से (12 जनवरी 2016) 2287 वर्ष पूर्व हुए थे। विक्रमादित्य का नाम विक्रम सेन था। नाबोवाहन के पुत्र राजा गंधर्वसेन भी चक्रवर्ती सम्राट थे। गंधर्वसेन के पुत्र विक्रमादित्य और भर्तृहरी थे। कलि काल के 3000 वर्ष बीत जाने पर 101 ईसा पूर्व सम्राट विक्रमादित्य का जन्म हुआ। उन्होंने 100 वर्ष तक राज किया। -विक्रमादित्य उज्जैन नगरी के अनुश्रुत राजा थे , राजा विक्रम अपने ज्ञान , वीरता और विद्वान नीतियों उदारशीलता के लिए बहुत प्रसिध्द थे भी विक्रम, और विक्रमरका के नाम से भी जाने जाते थे. विक्रमादित्य के नाम , काम और विषयों को लेकर इतिहासकार कभी एक मत नहीं रहे कुछ महानुभावो ने विक्रमादित्य को मलेच्चा आक्रमंकारियो से भारत का परिमोचन कराने वाला भी बताया. इसके साथ ही इस महान शासक को शाकरी की उपाधि भी दी गयी थी. विक्रमादित्य इतने महान थे उनके नाम बाद के राजाओं और सम्राटों के लिए एक पदवी और उपाधि बन गया
      महाराजा विक्रमादित्य का सविस्तार वर्णन भविष्य पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है। विक्रमादित्य के बारे में प्राचीन अरब साहित्य में वर्णन मिलता है। उस वक्त उनका शासन अरब तक फैला था। नौ रत्नों की परंपरा उन्हीं से शुरू होती है
     हिन्दू धर्म के शिशुओ के विक्रम नाम विक्रमादित्य की लोकप्रियता और उनके जीवन के लोकप्रिय लोक कथाओं के कारण दिया जाता है विक्रमादित्य के महानता और उनके पराक्रम की 150 से भी ज्यादा कहानिया है
      विक्रमादित्य की गाथा बहोत से राजाओ से जुडी हुई ही जिसमे मुख्य रूप से जैन शामिल है. लेकिन कुछ दंतकथाओ के अनुसार उन्हें शालिवाहना से हार का सामना करना पड़ा था. विक्रमादित्य ईसा पूर्व पहली सदी के है. कथा सरितसागर के अनुसार वे उज्जैन के परमार वंश के राजा के पुत्र थे. हालाँकि इसका उद्देश बाद में 12 वी शताब्दियों में किया गया था
     
राजा विक्रम का मन्दिर 
विक्रमादित्य /
Raja Vikramaditya का गुप्त वंश (240-550 CE) के पहले काफी उल्लेख किया जाता है. ऐसा माना जाता है की गुप्त वंश आने के पहले विक्रमादित्य ने ही भारत पर राज किया था. इसके अलावा अन्य स्त्रोतों के अनुसार विक्रमादित्य को दिल्ली के तुअर राजवंश का पूर्वज माना जाता था. विक्रमादित्य माँ हरसिद्धि के भक्त थे। उनकी एक मूर्ति हरसिद्धि के समीप है। विक्रमादित्य के साथ कई लोक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। उन्होंने माँ हरसिद्धि को प्रसन्न करने के लिए अपना शीष अर्पित कर दिया था।
     महान विक्रमादित्य के पराक्रमो को प्राचीन काल में ब्रिहत्कथा कर गुनाध्या में बताया गया है. विक्रमादित्य के अवशेषों को ईसा पूर्व पहली सदी और तीसरी सदी के बीच देखा जा सकता है. उस काल में उपर्युक्त पिसाची भाषा आज हमें दिखाई नही देती
कष्ट जानने के लिए रात में भ्रमण
     राजा विक्रमादित्य के बारे यह कहा जाता है की राजा एक श्रेष्ठ और न्यायपूर्ण shaasn का व्यव्स्थाप भी थे जनता के कष्टों को जानने और राजकाल की पड़ताल के लिए राजा विक्रमादित्य छदमवेश धारण करके रात में भ्रमण करते थे राजा विद्या और संरक्षक के संरक्षक भी थे

भारी - भरकम सोना -
     विक्रमादित्य ने मालवा , उज्जैन और भारतभूमि को विदेशी शकों से मुक्तकर स्वतन्त्रता संग्राम का शंखनाद किया था राजा विक्रमादित्य की सेना में तीन करोड़ पैदल सैनिक , 10 करोड़ अश्व २४६०० गज और चार लाख नौकाएं थी 5 करोड़ अश्वारोही सैनिक थे  20 लाख जहाज थे
     
राजा विक्रमादित्य के नवरत्न 
      विक्रमादित्य से सम्बंधित काफी कथा-श्रुंखलाये है
, जिसमे बेताल बत्तीसी काफी विख्यात है. इसके हमें संस्कृत और क्षेत्रीय भाषाओ में कई रूपांतरण मिलते है. इन कहानियो के रूपांतरण हमें कथा-सरितसागर में मिलते है. सम्राट विक्रमादित्य के की राज्यसभा में नवरत्नकहलाने वाले नौ विद्वान थे. वे थे-1. धनवंतरी, 2. क्षपणक, 3. अमरसिंह, 4.शंकु भट्ट, 5. वेताल भट्ट, 6. घटकर्पर, 7. वाराहमिहिर, 8. वररुचि, 9. कालिदास (संस्कृत के प्रसिद्ध कवि)। रुद्रसागर में कुछ रत्न हैं, इन सभी के भुत से ग्रन्थ काफी महत्वपूर्ण रहे है और आज भी भारतीय परम्परा को प्रभावित कर रहे है
     विशाल सिद्धवट वृक्ष के नीचे बेताल साधना द्वारा विक्रमादित्य ने अलौकिक प्राकृतिक शक्तियाँ प्राप्त की थी। विक्रम-बेताल की चर्चित कहानियाँ उनकी इस शक्ति के विषय में समुचित प्रकाश डालती हैं। विक्रमादित्य का सिंहासन अतुलनीय शक्तियों वाला सिंहासन, जो उन्हें भगवान इन्द्र ने दिया था ।
     विक्रमादित्य के पश्चात यह सिंहासन लुप्त हो गया था। यह राजा भोज के शासनकाल में मिला और इस पर उन्होंने बैठने का प्रयास किया। सिंहासन में विराजमान शक्तियों ने राजा भोज की योग्यता को परखा और अंतत: उस पर बैठने की अनुमति दी। सिंहासन बत्तीसीमें इससे संबन्धित कथाएँ हैं ।

     महान योध्दा - कहा जाता है उज्जैन में विक्रमादित्य के भाई भर्तृहरि और भट्टि राजा विक्रमादित्य के बड़े और छोटे भाई थे। राजपाठ छोड़कर भर्तृहरि योगी बन गये। भट्टि भी माता हरसिद्धि के भक्त थे। कहा जाता है कि भट्टी और विक्रमादित्य ने लम्बे समय तक एक वर्ष को आधा-आधा साझा करते हुए शासन किया। भर्तृहरि ने शासन छोड़ दिया तब शकों ने शान की बागडोर अपने हाथ में लेकर कुशासन क्र आतंक मचाया ईसा पूर्व ५७ -६८ में विक्रमादित्य ने विदेशी शासक शकों को परस्त कर मालवगण के महान योध्दा बने  
    अनुश्रुत विक्रमादित्य, संस्कृत और भारत के क्षेत्रीय भाषाओं, दोनों में एक लोकप्रिय व्यक्तित्व है। उनका नाम बड़ी आसानी से ऐसी किसी घटना या स्मारक के साथ जोड़ दिया जाता है, जिनके ऐतिहासिक विवरण अज्ञात हों, हालांकि उनके इर्द-गिर्द कहानियों का पूरा चक्र फला-फूला है।  
    संस्कृत की सर्वाधिक लोकप्रिय दो कथा-श्रृंखलाएं हैं वेताल पंचविंशति या बेताल पच्चीसी ("पिशाच की 25 कहानियां") और सिंहासन-द्वात्रिंशिका ("सिंहासन की 32 कहानियां" जो सिहांसन बत्तीसी के नाम से भी विख्यात हैं)। इन दोनों के संस्कृत और क्षेत्रीय भाषाओं में कई रूपांतरण मिलते हैं।
    
विक्रम और बेताल 
पिशाच (
बेताल) की कहानियों में बेताल, पच्चीस कहानियां सुनाता है, जिसमें राजा बेताल को बंदी बनाना चाहता है और वह राजा को उलझन पैदा करने वाली कहानियां सुनाता है और उनका अंत राजा के समक्ष एक प्रश्न रखते हुए करता है। वस्तुतः पहले एक साधु, राजा से विनती करते हैं कि वे बेताल से बिना कोई शब्द बोले उसे उनके पास ले आएं, नहीं तो बेताल उड़ कर वापस अपनी जगह चला जाएगा. राजा केवल उस स्थिति में ही चुप रह सकते थे, जब वे उत्तर न जानते हों, अन्यथा राजा का सिर फट जाता. दुर्भाग्यवश, राजा को पता चलता है कि वे उसके सारे सवालों का जवाब जानते हैं; इसीलिए विक्रमादित्य को उलझन में डालने वाले अंतिम सवाल तक, बेताल को पकड़ने और फिर उसके छूट जाने का सिलसिला चौबीस बार चलता है। इन कहानियों का एक रूपांतरण कथा-सरित्सागर में देखा जा सकता है।
32 पुतलियों की कहानी सिंहासन बत्तीसी 
    सिंहासन के क़िस्से, विक्रमादित्य के उस सिंहासन से जुड़े हुए हैं जो खो गया था और कई सदियों बाद धार के परमार राजा भोज द्वारा बरामद किया गया था। स्वयं राजा भोज भी काफ़ी प्रसिद्ध थे और कहानियों की यह श्रृंखला उनके सिंहासन पर बैठने के प्रयासों के बारे में है। इस सिंहासन में 32 पुतलियां लगी हुई थीं, जो बोल सकती थीं और राजा को चुनौती देती हैं कि राजा केवल उस स्थिति में ही सिंहासन पर बैठ सकते हैं, यदि वे उनके द्वारा सुनाई जाने वाली कहानी में विक्रमादित्य की तरह उदार हैं। इससे विक्रमादित्य की 32 कोशिशें (और 32 कहानियां) सामने आती हैं और हर बार भोज अपनी हीनता स्वीकार करते हैं। अंत में पुतलियां उनकी विनम्रता से प्रसन्न होकर उन्हें सिंहासन पर बैठने देती हैं।
    नेपाली राजवंशावली अनुसार नेपाल के राजा अंशुवर्मन के समय (ईसापूर्व पहली शताब्दी) में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के नेपाल आने का उल्लेख मिलता है। विक्रमादित्य के समय ज्योतिषाचार्य मिहिर, महान कवि कालिदास थे। राजा विक्रम का भारत की संस्कृत, प्राकृत, अर्द्धमागधी, हिन्दी, गुजराती, मराठी, बंगला आदि भाषाओं के ग्रंथों में विवरण मिलता है। उनकी वीरता, उदारता, दया, क्षमा आदि गुणों की अनेक गाथाएं भारतीय साहित्य में भरी पड़ी हैं।
राजा विक्रम के नाम पर विक्रम संवत् 
विक्रम संवत
अपने शासन में राजा विक्रम ने समय की गणना करने के लिए विक्रम संवत आरम्भ किया जिसे संवत् या विक्रम युग कहा जाता है , ईसा पूर्व ५६ शकों पर अपनी जीत के बाद राजा विक्रम ने इसकी शुरुआत की थी जिसे आज भी उज्जैन में काल की गणना करने के लिए प्रयोग किया जाता है और यह भारत और नेपाल की हिंदू परंपरा में व्यापक रूप से प्रयुक्त प्राचीन पंचाग हैं उनकी महान गथाओ और प्रसिद्धि और पराक्रम को देखते हुए ही उनके काल को विक्रम संवतका नाम दिया गया
    विक्रम संवत में विक्रमादित्य के पराक्रमो के आस-पास के शासक भी चीर परिचित थे. वे राजा विक्रमादित्य से काफी प्रभावित हुए थे और कइयो ने तो उन्हें अपना आदर्श भी मान लिया था. विक्रमादित्य के शासनकाल को भारतीय इतिहास के स्वर्णिम युगों में याद किया जाता है
 

नीचे बैठे हुए लास्ट से 12 नम्बर पर वाईट शर्ट में बैठे हुए मेरे पापा श्री . शरद कोकास 
उज्जैन नगरी के राजा विक्रमादित्य के नाम पर ही विक्रम विश्वविधालय बना है इसकी स्थापना 1 मार्च 1957 को हुई। यह विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है। मेरे खुशी बात है की मेरे पिता श्री शरद कोकास ने इसी विक्रम विश्वविद्यालय प्राचीन भारतीय इतिहास में एम. ए में गोल्ड मेडल प्राप्त किया है


सौंधा - सौंधा सा स्वाद वेज हांडी बिरयानी का

मुझे अक्सर यह बिरयानी बनाना बहुत पसंद है इसमें तरह - तरह की सब्जियां है स्वाद है अनोखापन है यह एक ऐसी डिश है जिसे अनेक मौको पर बनाया जा सकता है घर पर कोई मेहमान आने वाले हो , आपको सब्जी रोटी नहीं बनाना है तो आप इस लजीज बिरयानी को ट्राय कर सकते है बीएस थोड़े से सामान और थोड़ी सी मेहनत और  स्वादिष्ट वेज हांडी बिरयानी


सामग्री

बासमती चावल- डेढ़ कप

फूलगोभी- 1/2 कप

हरे मटर- 1/2 कप

बींस- ½ कप

शिमलामिर्च- 2

आलू उबले हुए- 2

प्याज (कटे हुए)- 2

दही- 1 कप

दालचीनी-  1 टुकड़ा

लौंग- 2

तेजपत्ता- 2

इलायची- 2

लालमिर्च पाउडर- छोटा चम्मच

हलदी पाउडर- 1/4 छोटा चम्मच

कालीमिर्च- 4

लहसुन कसा-1 छोटा चम्मच

अदरक कद्दूकस किया-  1 छोटा चम्मच

हींग- चुटकी भर

धनियापत्ती- 1 बड़ा चम्मच

नीबू का रस- 1 बड़ा चम्मच

बादाम- 10

काजू- 10

घी-4 बड़े चम्मच

नमक- स्वादानुसार

विधि

गोभी, मटर और बींस में नमक डाल कर उबालें और एक तरफ रख दें. चावलों को 30 मिनट तक पानी में भिगोए रखें. फिर पानी निकाल कर नमक मिलाएं और एक प्लेट में फैलाएं. एक बरतन में घी गरम कर उस में प्याज डाल कर सुनहरा होने तक फ्राई करें और निकाल कर एक तरफ रख दें. ऐसे ही काजुओं को सुनहरा होने तक फ्राई कर के एक तरफ रख लें. शिमलामिर्च को पका कर एक तरफ रख लें.

एक बड़े बरतन में 6 कप पानी गरम करें. उस में कालीमिर्च, लौंग, इलायची, तेजपत्ते और नमक मिलाएं. फिर इस में चावल मिलाएं और 8-10 मिनट पकाएं. अब चावलों को एक बड़ी प्लेट में फैलाएं.

चौथाई प्याज, लहसुन व अदरक का पेस्ट गरम घी में डाल कर 3 मिनट पकाएं. अब इस में लालमिर्च पाउडर, हलदी पाउडर, गरम मसाला, हींग, प्याज और आलुओं को छोड़ कर बाकी सब्जियां मिलाएं. इन्हें तेल छोड़ने तक पकाएं. अब इस में फेंटा हुआ दही मिला कर 3 मिनट पकाएं और आलू मिलाएं. फिर अलग रख दें. एक हांड़ी के तले में चिकनाई लगा कर चावल फैलाएं. ऊपर पकी हुई सब्जियां फैलाएं.


अब बाकी सभी फ्राइड सामग्री को इस के ऊपर डालें. ऊपर से नीबू का रस छिड़कें. अब फिर से इस विधि को सामग्री समाप्त होने तक दोहराएं. अब ढक्कन बंद कर किनारों को लोई से बंद करें. अब इस ओवन को पहले से 130 डिग्री तापमान पर गरम किए बरतन में रखें. 15-20 मिनट उसी में रहने दें. फिर गरमगरम सर्व करें 


नोट -

1 आप इस बिरयानी में कोई भी चावल यूज कर सकते है जो आपके पास है जरूरी नहीं की आप बासमती चावल ही डाले 

2 अगर इसमें थोड़े से पनीर के भूंज कर डाले तो मजा दोगुना हो जाएगा 

3 अगर आप चाहे तो घर में जो मैगी वगैरह के मसाले आते है वो भी थोड़ा सा उप्पर से डाल सकते है टेस्ट दुगना हो जाएगा अगर आप मैगी मसाला डाल रहे है तो एक बात का विशेष ध्यान रखे की बिरयानी में डालने वाले एनी मसालों का अनुपात कम से कम रखे नहीं तो टेस्ट बिगड़ सकता है 

4 सबसे विशेष बात वो ये अगर आपके पास  मिटटी वाली हांडी तो उसमे भी बिरयानी बना सकते है समय जरुर लगेगा पर उससे सौंधा - सौंधा सा स्वाद  आएगा वह लाजवाब होगा 

एक मच्छर को लेने ना दे अपनी जान

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डेंगू से ना घबरायें और एक मच्छर को लेने ना दे अपनी जान जैसे ही लक्षण दिखे तुरंत इलाज कराएं 
आइये अब हम डेंगू के बारे में वैज्ञानिक जानकारी क्या है , यह जान लेते है ।
डेंगू क्या होता है?


     डेंगू बुखार एक आम संचारी रोग है जिसकी मुख्य विशेषताएँ हैः तीव्र बुखार, अत्यधिक  शरीर दर्द तथा सिर दर्द। यह एक ऐसी बीमारी है जो काफी होती है और समय-समय पर इसे महामारी के रूप में देखा जाता है। 1996 में दिल्ली व उत्तर भारत के कुछ भागों में इसकी महामारी फैली थी। वयस्को के मुकाबले, बच्चो में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है।
     यह बीमारी यूरोप महाद्वीप को छोड़कर पूरे विश्व में होती है तथा कापफी लोगो को प्रभावित करती है। उदाहरण के तौर पर एक अनुमान है कि प्रतिवर्ष पूरे विश्व में लगभग 2 करोड़ लोगो को डेंगू बुखार होता है।

यह किस कारण होता है?
यह डेंगूवायरस (विषाणु) द्वारा होता है जिसके चार विभिन्न प्रकार टाइप है। ;टाइप (1,2,3,4)। आम भाषा में इस बिमारी को हड्डी तोड़ बुखारकहा जाता है क्योकि इसके कारण शरीर व जोड़ों में बहुत दर्द होता है।

डेंगू फैलता कैसे है?
     मलेरिया की तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। इन मच्छरों को एडीज मच्छरकहते है जो काफी ढीठ व साहसीमच्छर है और दिन में भी काटते हैं। भारत में यह रोग बरसात के मौसम मे तथा उसकेबाद के महीनों अर्थात् जुलाई से अक्टूबर मे होता है।
     डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस कापफी मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काटता है तो वह उस रोगी का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर मे प्रवेश कर जाता है। मच्छर के शरीर मे डेंगू वायरस का कुछ और दिनों तक विकास होता है। जब डेंगू वायरस युक्त मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह डेंगू वायरस को उस व्यक्ति के शरीर में पहुंचा देता है। इस प्रकार वह व्यक्ति डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाता है तथा कुछ दिनों के बाद उसमें डेंगू बुखार रोग के लक्षण प्रकट हो सकते हैं।

संक्रामक काल: जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके लगभग 3-5 दिनो बाद ऐसे व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं । यह संक्रामक काल 3-10 दिनो तक भी हो सकता है।

डेंगू बुखार के लक्षण :
लक्षण इस बात पर निर्भर करंेगे कि डेंगू बुखार किस प्रकार का है। डेंगू बुखार तीन प्रकार के होते हैंः-

1     क्लासिकल (साधरण) डेंगू बुखार
2     डेंगू हॅमरेजिक बुखार (DHF)
3     डेंगू शॅाक सिन्ड्रोम(DSS)

इसमें से Den-1 & Den-3  ज्यादा खतरनाक नही होता ।
 Den-2 & Den-4  से ही ज्यादा खतरा होता है ।

 सभी प्रकार के डेंगू बुखार में शरीर के आंतरिक अंगों में रक्तस्त्राव होने की , प्लेटलेट्स की संख्या / मात्रा कम होने की और की अंगो के एक ही समय में फेल होने के कारण मृत्यु होने की सम्भावना होती है ।


क्लासिकल (साधरण) डेंगू बुखार एक स्वयं ठीक होने वाली बीमारी है तथा इससे मृत्यु नही होती है लेकिन यदि (DHF) तथा (DSS)का तुरन्त उपचार शुरू नहीं किया जाता है तो वे जानलेवा सिद्ध हो सकते हैं।
इसलिए यह पहचानना अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि साधरण डेंगू बुखार है या (DHF) तथा (DSS) है। निम्नलिखित लक्षणों से इन प्रकारों को पहचानने में कापफी सहायता मिलेगी:-
1.   क्लासिकल (साधरण) डेंगू बुखार
  •       ठंड लगने के साथ अचानक तेज बुखार चढ़ना ।
  •       सिर, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना ।
  •       आंखों के पिछले भाग में दर्द होना जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है ।
  •       अत्याधिक कमजोरी लगना, भूख में बेहद कमी तथा जी मितलाना
  •       मुँह के स्वाद का खराब होना ।
  •       गले में हल्का सा दर्द होना
  •       रोगी बेहद दुःखी तथा बीमार महसूस करता है
  •       शरीर पर लाल ददोरे (रैश) का होना शरीर पर लाल-गुलाबी ददोरे निकल सकते हैं। चेहरे, गर्दन तथा छाती पर विसरित (diffuse) दानों की तरह के ददोरे हो सकते हैं। बाद में ये ददोरे और भी स्पष्ट हो जाते हैं।
  • साधरण (क्लासिकल) डेंगू बुखार की अवधि लगभग 5-7 दिन तक रहती है और रोगी ठीक हो जाता है। अधिकतर मामलों मे रोगियों को साधरण डेंगू बुखार ही होता है।


  डेंगू हॅमरेजिक बुखार (DHF)
  • यदि साधरण क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ, निम्नलिखित लक्षणो मंे से एक भी लक्षण प्रकट होता है तो DHF होने का शक करना चाहिए।
  • रक्तस्राव ;हॅमरेज होने के लक्षणद्ध: नाक, मसूढों से खून जाना, शौच या उल्टी मे खून जाना, त्वचा पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बडे चिकत्ते पड जाना आदि रक्स्राव ;हॅमरेजद्ध के लक्षण हैं। यदि रोगी की किसी स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा ‘‘टोर्निके टैस्ट’’ किया जाये तो वह पॉजिटिव पाया जाता है प्रयोगशाला मे कुछ रक्त परीक्षणों के आधार पर DHF के निदान की पुष्टि की जा सकती है।

3   डेंगू शॉक सिन्ड्रोम ( DHF )
इस प्रकार के डेंगू बुखार में DHF के उपर बताए गये लक्षणों के साथ-साथ ‘‘शॉक’’ की अवस्था के कुछ लक्षण भी प्रकट हो जाते हैं। डेंगू बुखार में शॉक के लक्षण ये होते हैं:

  •       रोगी अत्याधिक बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद भी उसकी त्वचा ठंडी महसूस होती है।
  •      रोगी धीरे - धीरे होश खोने लगता है।
  •      यदि रोगी की नाड़ी देखी जाए तो वह तेज और कमजोर महसूस होती है। रोगी का रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) कम होने लगता है

उपचार
यदि रोगी को साधरण (क्लासिकल) डेंगू बुखार है तो उसका उपचार व देखभाल घर पर की जा सकती है। चूंकि यह स्वयं ठीक होने वाला रोग है इसलिए केवल लाक्षणिक उपचार ही चाहिए। उदाहरण के तौर परः

  •     स्वास्थ्य कर्मचारी की सलाह के अनुसार पेरासिटामॉल की गोली या शरबत लेकर बुखार को कम रखिए।
  •      रोगी को डिसप्रिन, एस्प्रीन कभी ना दे ।
  •      यदि बुखार १०२° से अधिक है तो बुखार को कम करने के लिए हाइड्रोथेरेपी (जल चिकित्सा) करे  
  •    सामान्य रूप से भोजन देना जारी रखें। बुखार की स्थिति मे शरीर को ओर अधिक भोजन की आवश्यकता होती है।
  •     रोगी को आराम करने दें।
  • आमतौर पर ये लक्षण डेंगू की बीमारी से ग्रसित मच्छर के द्वारा किसी व्यक्ति को काटने के बाद -  4 -7 दिनों में दिखते है ।

  • वॉयरस को पनपने का कुल समय - 3 दिन से लेकर -7 दिन तक होता है। 
  • बुखार भी  - 5 दिन से लेकर 7 दिनों तक होता है । लेकिन शारीरिक कमजोरी कई सप्ताह तक बनी रह सकती है ।
  • बीमारी के समय मरीज को लगातार ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी पिलाना चाहिए ।

  • 🙏🏼"" बीमारी होने पर बिलकुल ना घबराये ।""🙏🏼
  • -------------
  • ▪यह बीमारी पूर्णतः ठीक हो जाने वाली बीमारी है ।
  • मात्र 1% डेंगू बुखार से complications हो सकते है ।
  • अधिकतम डेंगू बुखार को किसी भी अस्पताल के OPD treatment के द्वारा ही ठीक किया जा सकता है ।
  •  ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी या फलों का रस पीने दे । यह भी सुनुश्चित करें कि मरीज को पेशाब बराबर हो रही हो ।
  • कभी कभी यदि मरीज को घबराहट हो , चक्कर आ रहे हो , धड़कन तेज हो , शरीर ठंडा पड़ रहा हो तो तुरन्त अस्पताल में भर्ती करें ।
  • क्यों कि कभी कभी शरीर के आंतरिक अंगों में रक्तस्त्राव होने लगता है ।
  • जिससे विभिन्न अंग फेल होने की सम्भावना हो जाती है । यदि आवश्यक तत्काल ऊपचार मरीज को नही मिल पाया तो मृत्यु हो सकती है ।
  • अधिकतम मरीज की मृत्यु के लिए यही डेंगू खतरनाक होता है - जिसे  Hemorrhagic Dengue Fever भी कहते है ।
  • इसलिये  आधुनिक चिकित्सा पद्धति से किये जाने वाला ऊपचार ही आवश्यक है ।
यदि रोगी में (DHF) तथा (DSS) की ओर संकेत करने वाला एक भी लक्षण प्रकट होता नजर आए तो शीघ्रतिशीघ्र रोगी को निकटतम अस्पताल मे ले जाए ताकि वहाँ आवश्यक परीक्षण करके रोग का सही निदान किया जा सके और आवश्यक उपचार शुरू किया जा सके। (जैसे कि द्रवों या प्लेटलेट्स कोशिकाओं को नस से चढाया जाना)। प्लेटलेट्स एक प्रकार की रक्त कोशिकाएँ होती है जो (DHF) तथा (DSS) मे कम हो जाती हैं। यह भी याद रखने योग्य बात है कि डेंगू बुखार के प्रत्येक रोगी की प्लेटलेट्स चढाने की आवश्यकता नही होती है।

कृपया याद रखिए

यदि समय पर सही निदान करके जल्दी उपचार शुरू कर दिया जाए तो (DHF) तथा (DSS) का भी सम्पूर्ण उपचार संभव है।

रोकथाम

डेंगू बुखार की रोकथाम सरल, सस्ती तथा बेहतर है। आवश्यकता है कुछ सामान्य
  1.       एड़ीज मच्छरों का प्रजनन (पनपना) रोकना।
  2.       एड़ीज मच्छरो के काटने से बचाव।


एड़ीज मच्छरो का प्रजनन रोकने के लिए उपाय


  •    लेकिन किसी भी प्रकार की लापरवाही खतरनाक भी हो सकती है ।
  • इसलिए मरीज को निरन्तर चिकित्सक के सम्पर्क में रहना चाहिए ।
  •    मच्छर केवल पानी के स्त्रोतों मे ही पैदा होते हैं जैसे कि नालियो, गड्ढों, रूम कूलर्स, टूटी बोतलों, पुराने टायर्स व डिब्बों तथा ऐसी ही अन्य वस्तुओं में जहाँ पानी ठहरता हो।
  •     अपने घर मे और उसके आस-पास पानी एकत्रित न होने दें। गड्ढों को मिट्टी से भर दें। रूकी हुई नालियों को सापफ कर दें। रूम कूलरों तथा पफूल दानों का सारा पानी सप्ताह मे एक बार पूरी तरह खाली करे दें, उन्हे सुखाएँ तथा पिफर से भरें। खाली व टूटे-पफूटे टायरों, डिब्बों तथा बोतलों आदि का उचित विसर्जन करें। घर के आस-पास सपफाई रखें।
  •       पानी की टंकियों तथा बर्तन को सही तरीके से ढक कर रखें ताकि मच्छर उसमें प्रवेश ना कर सके और प्रजनन न कर पायें।
  •       यदि रूम कूलरों तथा पानी की टंकियों को पूरी तरह खाली करना संभव नही है तो यह सलाह दी जाती है कि उनमे सप्ताह मे एक बार पेट्रोल या मिट्टी का तेल डाल दें। प्रति 100 लीटर पानी के लिए 30 मि0 लि0 पेट्रोल या मिट्टी का तेल पर्याप्त है। ऐसे करने से मच्छर का पनपना रूक जायेगा।
  •        पानी के स्रोतों में आप कुछ छोटी किस्म की मछलियाँ (जैसे कि गैम्बुसिया, लेबिस्टर) भी डाल सकते हैं। ये मछलियाँ पानी मे पनप रहे मच्छरों व उनके अण्डों को खा जाती हैं। इन मछलियों को स्थानीय प्रशासनिक कार्यालयों (जैसे की बी0 डी00 कार्यालय) से प्राप्त किया जा सकता है।
  •       यदि संभव हो तो खिड़कियों व दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर मे आने से रोकें।
  •      मच्छरों को भगाने व मारने के लिए मच्छर नाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॅाइल्स आदि प्रयोग करें। गूगल के धुंए से मच्छर भगाना एक अच्छा देशी उपाय है। रात में मच्छरदानी के प्रयोग से भी मच्छरों के काटने से बचा जा सकता है। सिनेट्रोला तेल भी मच्छरों को भगाने मे कापफी प्रभावी है।
  •       ऐसे कपडे़ पहनना ताकि शरीर का अधिक से अधिक भाग ढका रहे। यह सावधनी बच्चों के लिए अति आवश्यक है। बच्चो को मलेरिया सीजन ( जुलाई से अक्तूबर ) तक मे निक्कर व टीशर्ट ना ही पहनाए तो अच्छा है।
  •       मच्छर-नाशक दवाई छिड़कने वाले कर्मचारी जब भी यह कार्य करने आयें तो उन्हे मना मत कीजिए। घर में दवाई छिड़कवाना आप ही के हित मे है।
  •        घर के अन्दर सभी क्षेत्रों में सप्ताह मे एक बार मच्छर-नाशक दवाई का छिडकाव अवश्य करें। यह दवाई फोटो फ्रेम्स, परदो, कलैण्डरों आदि के पीछे तथा घर के स्टोर कक्ष व सभी कोनों में अवश्य छिडकें। दवाई छिड़कते समय अपने मुहँ व नाक पर कोई कपडा अवश्य बाँध् लें तथा खाने पीने की सभी वस्तुओं को ढक कर रखें।
  •       फ्रिज के नीचे रखी हुई पानी इकट्टा करने वाली ट्रे को भी प्रतिदिन खाली कर दें।
  •      अपने घर के आस-पास के क्षेत्रा मे सपफाई रखें। कूड़ा-करकट इधर - उधर ना फेकें। घर के आस-पास जंगली घास व झाडियाँ आदि न उगने दें। ( घर के आस-पास कम से कम 100 मी0 के अर्धव्यास में तो बिलकुल नही ) । ये मच्छरों के लिए छिपने व आराम करने के स्थलों का कार्य करते हैं। 
  •       यदि आपको लगता है कि आपके क्षेत्रा में मच्छरों की संख्या में अध्कि वृद्धि हो गयी है या बुखार से काफी लोग ग्रसित हो रहे है तो अपने स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र, नगरपालिका या पंचायत केन्द्र मे अवश्य सूचना दें।
  •       यह भी याद रखने योग्य बात है कि एडीज मच्छर दिन में भी काट सकते हैं। इसलिए इनके काटने से बचाव के लिए दिन में भी आवश्यक सावधनियाँ बरतें।
  •       यदि किसी कारणवश दरवाजों व खिडकियों पर जाली लगवाना संभव नही है तो प्रतिदिन पूरे घर मे पायरीथ्रम घोल का छिडकाव करें।
  •       डेंगू बुखार सर्वाधिक रूप से जुलाई से अक्तूबर माह के बीच की अवधि में होता है क्यांेकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ होती है इसलिए इस मौसम में हर सावधनी बरतनी चाहिए।
  •       अन्त मे एक सलाह और। डेंगू बुखार से ग्रस्त रोगी को बीमारी के शुरू के 6-7 दिनो में मच्छरदानी से ढके हुए बिस्तर पर ही रखें ताकि मच्छर उस तक ना पहुँच पायें। इस उपाय से समाज के अन्य व्यक्तियों को डेंगू बुखार से बचाने मे कापफी सहायता मिलेगी।


यदि आपको कभी भी ऐसा लगे कि व्यक्ति ऐसे बुखार से पीडित है जो डेंगू हो सकता है तो शीघ्रतिशीघ्र स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी सूचना दें। ऐसा करने से डेंगू बुखार को, महामारी का रूप धरण करने से पहले ही आवश्यक कदम उठाकर नियंत्रित  किया जा सकेगा।


आपके घर में बीमारी रहती है क्या



         जिस
तरह हम स्वयं नहाते है अच्छे कपड़े पहनते है शरीर की साफ़ - सफाई रखते है तो जिस घर में हम रहते है उसे भी साफ़ सुथरा रखे तो कितना अच्छा है ना बीमारियां होंगी ना धूल गन्दगी रहेगी मन भी प्रसन्न रहता है एक साफ-सुथरे माहौल में रहना भला किसे अच्छा नहीं लगता? मगर जैसे-जैसे शहरों में कूड़ा-कचरा बढ़ता जा रहा है, अपने घर और आस-पास के इलाके को साफ-सुथरा और ठीक-ठाक रखना और भी मुश्किल होता जा रहा है।
         नगरपालिकाएँ, अपनी ड्यूटी निभाती है वे बाहर का कचरा उठाकर ले जाती है पर अपने घर के अंदर के कचरे , धूल गन्दगी तो हमे ही साफ़ करना है गन्दगी होने पर कूड़े-कचरे के ढेर चूहों, कॉकरोच और बीमारी फैलानेवाले दूसरे कीड़े-मकोड़ों की आबादी बढ़ाते हैं। क्या आप इसे रोकने के लिए कुछ कर सकते हैं? जी हाँ, अपने घर और आस-पास की जगह को साफ-सुथरा और ठीक-ठाक रखिए।

       हम सोचते जरुर आज ये साफ़ करना है ये नहीं सोचकर भूल जाते है सबसे अच्छा तरीका है की मोबाइल में अलार्म लगा ले दिन के हिसाब से आज हमे इस कमरे को साफ़ करना है कल दूसरा ऐसे सभी के लिए अलार्म लगा ले


ड्राइंगरूम -
हमारा ड्राइंग रूम 

चीज़ें सही जगह पर रखिए। फर्नीचर की हलकी झाड़-पोंछ कीजिए। ज़रूरत हो तो ज़मीन को झाड़ू-पोंछा लगाइए या वैक्यूम क्लीनर से साफ कीजिए

अगर आपने अपने घर में कांच लगवाया है तो उसे कांच पर कोलिन्स औऱ कपड़े से ग्लास साफ करे

दरवाज़ों की चौखटों को साफ कीजिए। कालीन, परदे और सोफा को साफ करने के लिए या तो वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल कीजिए या ऐसे ही अच्छी तरह साफ कीजिए

घर के हर कोने की सफाई करे क्योकि घर के कोने में सबसे ज्यादा गंदगी जमा होती है इसके लिए एक साफ़ कपड़ा लेकर सफाई कीजिए

घर की खिड़की दरवाजो को भी साफ़ कपड़े से साफ़ करे

घर में रखी मूर्तियाँ , पेंटिग , कांच के शो पीस को साफ़ कपड़े से उनकी धूल साफ़ करिए मूर्तियों में काफी बारीक शिल्पकारी होती है जिन्हें कपड़े से साफ़ करना मुश्किल होता है आप उन्हें जो छोटे पतले पेंटिग ब्रश होते है उनसे साफ़ कीजिए आसानी से साफ़ हो जायेगे



किचन -
मनमोहक किचन 
बर्तन धोने वाला स्पंज और किचन क्लॉथ और जिन कपड़ो से आप घर की और सभी कमरों की सफाई करते है उन्हें भी धोये इस्तेमाल के बाद इसे सूखने के लिए रख दें यह जितनी देर तक गीला रहेगा कीटाणु उतनी ही तेजी से फैलेंगे स्पंज को आप माइक्रोवेव में रखकर सैनेटाइज कर सकते है

किचन के कटिंग बोर्ड फल सब्जियों औऱ बाकी सामग्री के लिए एक औऱ नॉनवेज के लिए अलग बोर्ड रखें ताकि क्रॉस कंटैंमिनेशन हो नियमित रूप से एंटी बैक्टीरियल क्लीनर से क्लीन करे

साल में एक बार  सारे शैल्फ, अलमारियाँ और दराज़ खाली कीजिए और अच्छे से साफ कीजिए। गैर-ज़रूरी चीज़ें फेंक दीजिए। उपकरणों को हटाकर जगह को साफ कीजिए

स्टोव, पकाने की जगह रखे उपकरण और सिंक में लगे नल वगैरह धोइए। ज़मीन पर पोंछा लगाइए

बरतन और सिंक धोइए। खाना पकाने की जगह और टेबल साफ-सुथरी रखिए। ज़रूरत हो तो ज़मीन को झाड़ू या पोंछा लगाइए

फ्रिज खाली करके उसे अच्छी तरह साफ कीजिए सारे सामान को अच्छे से सगो पोछकर फिर से जमाइए

किचन काउंटर्स को रोजाना साबुन से धोने के बाद 1 टीस्पून क्लोरीन ब्लीच पाउडर डालकर साफ करे कैबिनेट में मौजूद कंटेनर्स को अच्छे से बंद करके रखे

नियमित रूप से बर्तन रखने वाली ट्रॉली को साफ हाइजेनिक रखे खाने के तुरंत बाद बर्तनों को धो पोंछकर रखे सिंक में पड़े ना रहने दे

डस्टबिन में हमेशा ब्लैक पॉलीथिन डालकर रखे हर हफ्ते डस्टबीन को साबुन के पानी से धोए

बाथरूम -
नीला बाथरूम 
दीवारें, बाल्टी और नल वगैरह धोइए। कमोड, केबिनेट और कोई भी सतह को कीटाणु-नाशक से साफ कीजिए। तौलिये बदलिए। ज़मीन को झाड़ू या पोंछा लगाइए

टॉयलेट साफ करते समय इसे अनदेखा ना करें साबुन के अलावा एंटी बैक्टीरियल क्लीनर का इस्तेमाल भी करे

बाथरूम में हमेशा पानी भरकर ना रखे नहाने के बाद बाल्टी को उल्टा करके रख दें और बाथटब को पोंछकर साफ कर दे यदि शावर कर्टन्स का इस्तेमाल करते हैं तो इसे हर 15 दिन में साफ करे

शैल्फ और दराज खाली करके साफ़ करे ले जिन चीजो की डेट हो चुकी है उन्हें फेंक दे

बेडरूम -
साफ़ सुंदर बेडरूम 

बिस्तर करीने से लगाइए और चीज़ें अपनी-अपनी जगह पर ठीक से रखिए

तकिये के कवर को 15 दिन में गर्म पानी में धोए हर दो साल में तकिये बदलते रहे
चादर तकिये के कवर , डेली यूज होने वाले तोवेल भी हर सप्ताह में धोए

अलमारी को हर एक हफ्ते में साफ करे नए सिरे से जमाए ज्यादा अच्छा है आप अलमारी में एक न्यूज पेपर बिछाकर रखे इससे कपड़े नीचे खराब नहीं होंगे और साफ़ रहेंगे जो सबसे कीमती कपड़े है उनके धूल से वे खराब हो सकते है इसलिए एक प्लास्टिक बैग में बंद करके रखे जो कपड़े सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते है उन्हें सामने रखे जो कम इस्तेमाल होते है उन्हें पीछे कपड़ो में नमी दूर करने और कीड़ों से बचाव के लिए नेफ्थालिन की गोली रखे

आंगन -
प्यारा आंगन 
गीले सूखे कचरे के लिए अलग अलग डस्टबिन रखे जैसे फलों ,सब्जि के छिलके के लिए अलग , प्लास्टिक पैकेट्स के लिए अलग रखे

अपने घर के बाहर भी साफ सफाई रखे घर के बाहर एक डस्टबिन रखे और उसमें बाहर के पत्ते  , पैकेट और कचरा उठाकर डाले
घर के कूलर में पानी ना जमने दे डेंगू के मच्छर जमे पानी में ही पनपते है
पानी में फिनायल घोल दे और मग की सहायता से को बाहर कर दे अच्छी तरह साफ़ करे

घर के आंगन में धूल गन्दगी अनेक बीमारियों को बुलावा देती है सप्ताह में एक बार साफ पानी में फिनायल डालकर आंगन की धुलाई करे

जहां गाड़िया खड़ी करते हैं वहां भी गन्दगी होती है हर हफ्ते साफ़ पानी से गाड़ी रखने की जगह की धुलाई करे घर और बाहर से बेकार पड़ी चीजो को हटा दे

पूरे घर की सफाई -
हमारा साफ़ सुथरा घर 

पूरे घर की सारी दीवारें धोइए। कालीन और सोफे को साफ कीजिए, साथ ही परदे को 

घर में अंदर या बाहर सीढियों की रेलिंग है उन्हें पहले गीले कपड़े से फिर सूखे कपड़े से साफ़ करे  

घर के दरवाजे खिडकियों पर जाली लगाकर रखे इससे मच्छर , धूल , गन्दगी नहीं आयेगी घर में रोज शाम को नियम बनाए की शाम 6 के बाद घर के दरवाजे बंद करके रखे इससे कीड़े मकौड़ो का प्रवेश नही होगा

कूड़े-कचरे को अच्छे से बाँधकर फेंकिए


पूरे घर के लैम्प, पंखे और ट्यूबलाइट या बल्ब वगैरह साफ कीजिए। दरवाज़े साफ कीजिए। खिड़कियाँ, उनके फ्रेम, और खिड़कियों पर लगी जालियाँ धोइए

घर के उपकरणो जैसे टीवी ,वोशिंग मशीन फ्रिज, कम्प्यूटर ,एसी की गीले और सूखे साफ कपड़े से सफाई करे जहां तक सम्भव हो टीवी , फ्रिज कम्यूटर को काम होने के बाद मोटे कपड़े से ढांककर रखे इससे धूल कम जमेगी

जिन चीज़ों को आप इस्तेमाल नहीं करते,  उन्हें किसी जरुरतमन्द को दे दे जैसे कपड़े , किताबे अन्य सामान 



मित्रों साफ़ सफाई रखना बहुत ही जरूरी है जब तक सफाई ना हो घर में रहना का मजा नहीं आता है  , साफ़ - सफाई सिर्फ एक काम या बोझ नहीं है बल्कि यह एक कला है जो घर के हर व्यक्ति में अलग -अलग है आप भी करिए घर के हर सदस्य के साथ करिए सफाई भी होगी प्यार भी बढ़ेगा और बीमारियाँ भी ना होगी