नये साल के सफर के सभी संकल्प रोज पूरे करे

         
आज इस 2017 के साल का अंतिम दिन आ गया है घड़ी अपने हिसाब से चल रही है कुछ वक्त बाद ये साल चला जाएगा और एक नया साल शुरू हो जाएगा अभी ठंड है , फिर पतझड़ का मौसम आ जाएगा फिर गर्मी आयेगी फिर बारिश होगी फिर ठंड आ जायेगी कितनी तेजी से मौसम और वक्त बदल जाते है और हाँ हम भी बदल जाते है जब जैसा वक्त आता है और जैसी परिस्थिति आती है हम भी अपने आप में और अपनी चीजों में , अपने काम परिवर्तन कर लेते है जीवन में एक बाद एक लम्हे आयेगे कुछ अच्छे कुछ बुरे पर साल के दिन बदलते जायेगे हम जैसे ही नया साल शुरूआत करते है उस नये साल के पहले दिन अपने मन में कितने सारे संकल्प लेते है हम ये करेंगे हम वो करेंगे अरे आज साल का पहला दिन ऐसा नहीं करना चाहिए वरना पूरे सालभर हम जैसा हम नये साल के पहले दिन करते है वैसा ही करते रहंगे जैसे की जब मैं बहुत छोटी थी तो मेरे पापा मुझसे नये साल के पहले दिन जल्दी उठाकर कहते थे बेटा चलो जल्दी उठो आज नये साल का पहला दिन है आज बिलकुल रोना नहीं नहीं तो पूरे साल रोती रहोगी आज सबसे मिले तो सबसे हंसते मुस्कुराते हुए मिलो , खुशियाँ मनाओ नए कपड़े पहनो , अपने आसपास के लोगो से , मित्रों से , स्कूल के लोगो से प्यार से हंसते मुस्कुराते हुए नए साल की बधाई दो ये कहो की आपके साथ बीते साल में अच्छे दिन बिताये अच्छा लगा अगर बीते साल में दिल दुखाया हो तो माफी मांगकर उनके साथ अपने रिश्ते की नयी शुरुआत करो ,
           जो लोग दूर है उन्हें फोन करके नए साल की बधाई दो , जो बड़े है उनका आशीर्वाद लो , आज का नया दिन है तो हर नई चीज की शुरुआत करो कुछ अच्छे और सार्थक काम करो जो लोगों के काम आये , कुछ अच्छे अच्छे व्यंजन बनाओ सबका मुँह मीठा करो , घर की साफ़ सफाई करो अपने ,आसपास की गन्दगी दूर करो , अपनी सेहत के लिए वक्त निकालो , कुछ नयी होबी बनाओ , कुछ ऐसे काम करो जिसकी शुरुआत करो तो उसे पूरा ही करो बीच में मत छोडो क्योंकि ऐसे बहुत से लोग है जो इस दिन नए नए रिजोल्यूशन बनाते है आज हम ये करेंगे वो करेंगे और जैसे ही साल का पहला दिन बीता तो इनके उस रिजोल्यूशन की गाड़ी की हवा तय तय फिस्स हो जाती है काम ऐसा हो की लोग आपकी तारीफ़ भले ही नहीं करे पर आपसे प्रेरणा जरुर ले की वो देखो वो व्यक्ति से सीखो कितने अच्छे काम करता है
             नए संकल्प बनाना बहुत आसान है पल भर मैं हम में सोच लेते है की नया साल शुरू हुआ है मैं ये काम नही करूंगा और फिर कुछ अच्छा करूंगा संकल्प बनाइए पर सिर्फ एक दिन नही रोज अपने आपसे एक संकल्प लीजिए की मैं रोज अच्छे काम करूंगा क्योंकि दिन तो रोज ही नया है हाँ ये बात और है की साल के पहले दिन की बात ख़ास होती है क्योंकि वो दिन नए साल का पहला दिन होता है जो बहुत सारी खुशियाँ , उमंगे , नई चुनौतियाँ , नई उमंगे ,नये रंग , कुछ सबक और भी बहुत सारी चीजें हमारी जिन्दगी में लेकर आगे बढ़ता है पर बढ़ना तो हमें भी है अपनी अच्छे काम के साथ जो आपका मन हो वो संकल्प लीजिए मेरे दादाजी आज वो इस दुनिया में नही है वो हमेशा कहते थे बेटा संकल्प वो बनाओ जिसे बनाकर मत रखो उन संकल्पों को पूरा करने का दृढ़ निश्चय भी लो अपने आपसे की हाँ मैं ये जो नया साल शुरू हो रहा है उस दिन भी और आने वाले दिनों में भी अपने लिए हुए संकल्पों को बेहतरीन तरीके से पूरी मेहनत से पूरा करूंगी सबके रिजोल्यूशन अलग -अलग है क्योंकि हम सबकी सोच , काम , तरीके , विचार ,नजरिया हर चीज एक दुसरे से अलग है इसलिए कोई जरूरी नही है की हम संकल्प ही ले किसी काम को पूरा करने का अच्छी बात है करना चाहिए खुद से वादा मेरा तो खुद से यही वादा है मुझे अपने परिवार के लिए ,अपने जीवनसाथी के लिए भी बहुत कुछ करना है , अपने मित्रों के लिए अपने से जुड़े सभी लोगो के लिए अच्छे काम करना है , अपने लिए बहुत कुछ करना है सबकी इच्छाएं पूरी करना ,सबको खुश रखना है अपने हुनर को वक्त देना है मुझे ये सब नये साल से लेकर आने वाले हर दिन हर वक्त तक और भी अच्छे काम करना है और जो भी मैं नए साल पर संकल्प लूं उस दिन भी और आने वाले वक्त मैं भी उन्हें पूरा करना है आप भी चाहे जो भी संकल्प ले या कोई रिजोल्यूशन बनाएं उसे पूरा करने का संकल्प ले
            कल से सन २०१८ शुरू हो जाएगा एक नया दिन का सफर हो जाएगा कभी रुलाएगा ये वक्त तो कभी हंसायेगा कभी खुशियाँ लेकर आएगा कभी कुछ होगा कुछ होगा ये तो सफर है जीवन है हम चलते रहंगे और वक्त अपनी गति से आगे बढ़ता जाएगा जो हमें बहुत सारे अनुभव कई सारी यादें देकर फिर एक नया साल आ जाएगा
सब हंसते मुस्कुराते खिलखिलाते खुशियों के गीत गाते रहे
अच्छे काम करते हुए अपनों को लेकर आगे बढ़ते रहे

सभी को आ रहे नए साल की बहुत सारी शुभकामनाएं ।।

प्रांत - प्रांत के गुपचुप के चटकारे नाम


        गुपचुप हर किसी को पसंद आती ही है जिसे हर प्रांत में बच्चे , बूढ़े ,जवान सभी बहुत चाव से खाना पसंद करते है गुपचुप इतनी मजेदार चीज है एक बार गुप से खाई तो बस कर खाकर चुप हो जाते है यह एक ऐसी डिश है जो हर व्यक्ति अपने निराले तरीके से खाना पसंद करता है जैसे किसी को तीखा पसंद आता है , किसी को मीठा मतलब मीठी खटाई वाला तो किसी को तीखा और मीठा मिक्स करके गुपचुप खाना अच्छा लगता है तो किसी को और ऊपर से धी के साथ मीठा तो कभी तीखा खाना अच्छा लगता है जहाँ देखो वहां गुपचुप के ठेले मिल जायेंगे और ठेलो पर गुपचुप खाने वालों की भीड़ अगर तीखा ज्यादा हो गया तो भैया एक पापड़ी देना और अगर तीखा कम है तो भैया जरा तीखा कम है थोड़ा और तीखा करना तो
        गुपचुप खाना कितना अच्छा लगता है गुपचुप बस हाथ में प्लेट , दोना या कटोरा लेकर लाइन में खड़े होकर खाना शुरू पर इस गुपचुप बनाने वाले को कितनी मेहनत करनी पड़ती है गुपचुप बनाने के लिए अगर ये हमारा चटकारा है तो ये उन लोगों का व्यवसाय है जो सुबह से काम पर निकल जाते है और देर रात तक मेहनत करके अपनी दिनभर की मेहनत की कमाई लेकर घर जाते है हम तो खाते है निकल जाते है ऐसे ना जाने कितने लोग आते है और उनके हाथ से बनी खट्टी - मीठी गुपचुप का स्वाद अपनी जुबान पर चढ़ाकर चले जाते है और वो फिर अगले दिन की थकान मिटाकर सुबह से फिर काम पर निकल जाता है जिसकी मेहनत , मजदूरी , थकान येही उसकी जिन्दगी का स्वाद है जिसका रोज वो स्वाद लेते है


      हर प्रांत की बात अनोखी है तो इस गुपचुप के नाम भी अनोखे है -

1 पूरे उतरीं भारत ,पंजाब  गोलगप्पे के नाम से खाई जाती है गोलगप्पे मिक्स आलू, चने से भरे जाते है चटनी और पानी खट्टे रहते है और पानी में बहुत सारी मिंट और बहुत सारी मिर्च डाली जाती है उत्तरी भारत के गोलगप्पे गोल तो नही रहते है थोड़े लम्बे रहते है
गोलगप्पे 


2 महाराष्ट्र , गुजरात , तामिलनाडु , मध्यप्रदेश  में इसे पानीपूरी बोला जाता है मध्यपद्रेश की पानीपूरी में आलू मिक्स रहते है पर पानी में बूंदी नहीं रहती , गुजरात में उबले मूंग , बारीक आलू रहते है और मीठे चटनी जो डेट्स और बूंदी की रहता है
पानीपूरी 


3 गुजराती लोग इसे चपाती या फुल्का कहते है यह चुकी यह फूली हुई रहती है इसलिए इसे गुजरात , मध्यप्रदेश में फुल्की कहा जाता है  
फुल्का , फुल्की 


4 हरियाणा में इसे पानी के पताशे कहा जाता है
पानी के पताशे 

5 छतीसगढ़ , दक्षिणी झारखंड , हेदराबाद ,ओडिशा में गुपचुप बोला जाता है गुपचुप में उबले चने रहते है और पानी तीखा होता है
गुपचुप 


6  वेस्ट बंगाल , ,बांग्लादेश असाम में पुचका कहा जाता है पुचका में उबले चने और उबले आलू रहते है चटनी मीठी रहती है पानी खट्टा रहता है पुचका साइज में बड़े रहते है पूरी गहरे रंग की होती है
पुचका 


7 होशंगाबाद , भोपाल में टिक्की के नाम से प्रसिध्द है टिक्की वैसे आलू की टिक्की को बोला जाता है पर इन टेस्टी पुरिया आलू और मटर के साथ खट्टे पानी में डुबोकर खाई जाती है
टिक्की 


8  अलीगढ़ , उत्तरप्रदेश के लोग पानी पुरी को पकाड़ा कहते है
पकाड़ा 

 9 पताशी नाम सुनकर यही लगेगा मीठे बताशे पर पताशी एक और नाम है पानी पुरी का
 पताशी राजस्थान , उत्तरप्रदेश में ख़ास मसाले इसे इस्तेमाल किये जाते है लखनऊ में पाँच तरह के पानी होते है जिसे पाँच स्वाद के बताशे कहा जाता है पताशी का पानी सूखे आम से बनाया जाता है
 
पताशी 


11 गुजरात में पकोड़ी के नाम खाया जाता है इसमें कही कहीं पर सेव पर डालकर खाया जाता है गुजरात की पकोड़ी मीठी और प्याज का स्वाद होता है और पानी में मिंट , और हरी मिर्च रहती है
पकोड़ी 

बाबू मोशाय राजेश खन्ना के कुछ यादगार गीत

         
 राजेश खन्ना भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार जिनका आज जन्मदिन है राजेश जी भारतीय सिनेमा की एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया और अपनी बेहतरीन अदाकारी से लोगों के दिल में खास जगह बनाई उनकी फिल्में आज भी शौक से देखते है लोग उन्हें काका , बाबू मोशाय के नाम से पुकारा करते थे । आज बाबू मोशाय हमारे बीच इस दुनिया में नहीं है पर उनकी कलाकारी , उनके डायलॉग , उनका अंदाज हमेशा हमें उनकी याद दिलाती रहेगी ।


आज राजेश खन्ना जी के जन्मदिन दिवस पर उन्हीं के कुछ खास गीत -

बिंदिया चमकेगी , ये रेशमी ज़ुल्फ़ें  , छुप गए सारे नजारे
 दो रास्ते 1969

गुलाबी आंखे जो तेरी देखी    द ट्रेन 1970

अच्छा तो हम चलते हैं
आन मिलो सजना 1970

ये जो मोहब्बत है , प्यार दीवाना होता है ,
कटी पतंग 1970

जो तुमको हो पसंद , जिंदगी का सफर
सफर 1970

ज़िन्दगी कैसी है पहेली , मैंने तेरे लिए , कहीं दूर जब दिन
आनंद 1971

ज़िन्दगी एक सफर है सुहाना , है ना बोलो बोलो
अंदाज 1971

रूप तेरा मस्ताना , मेरे सपनों की रानी
आराधना 1969

दीवाना लेके आया है , चला जाता हूँ , मेरे जीवन साथी
मेरे जीवन साथी 1972

चिंगारी कोई भड़के , कुछ तो लोग कहेंगे , ये क्या हुआ
अमर प्रेम 1972

मेरे दिल में आज क्या है
दाग 1973

दिये जलते हैं
नमक हराम 1973

भीगी भीगी रातों में , एक अजनबी हसीना से , हम दोनो दो प्रेमी
अजनबी 1974

जय जय शिव शंकर
आप की कसम 1974

प्रेम कहानी में।  प्रेम कहानी 1975

आपके अनुरोध पे  , आते जाते खूबसूरत आवारा  अनुरोध 1977

आँखों में हमने आपके
 थोड़ी सी बेवफाई 1980

हमें तुमसे प्यार कितना   
कुदरत 1981

प्यार का दर्द है मीठा मीठा
दर्द 1981

शायद मेरी शादी का खयाल
सौतन 1983

राजेश खन्ना जी की फिल्मों के ये गीत हर किसी को पसंद आते हैं लोग आज भी सुनते हुए गुनगुनाते है
जैसे जिंदगी के इस सफर में वक़्त गुजर जाता है मुक़ाम गुजर जाते हैं वो फिर नहीं आते वैसे ही लोग गुजर जाते हैं फिर नहीं आते ।
जिंदगी में गुजर जाते हैं जो मुकाम वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते ।










क्या आप सोच सकते हैं एक साल का व्यक्ति के लिए महत्व हो सकता है

     

              पाठकों 2017 का साल बस खत्म होने वाला है और 2018 का नया साल शुरू हो रहा है पुराना साल जो फिर कभी लौटेगा नहीं जो सिर्फ हमारी याद में रहेगा की हाँ वो २०१७ का साल था जिसमें यह - यह घटनाएँ हुई थी चाहे वो सुखद हो या दूखद  हम सोचते है बस नया साल शुरू हो रहा है । नए और बीते साल के लिए बहुत कुछ सोचा जा सकता है क्या आप सोच सकते है एक व्यक्ति के लिए चाहे वो कोई आदमी हो या कोई महिला के लिए एक बीते साल और नये साल का क्या महत्व होगा एक नया दिन , नई सुबह नया साल , सब नया हर चीज की एक नई शुरुआत हर तरफ खुशी सबके चेहरों पर नये साल के खुशी की नई मुस्कुराहट के साथ नए साल का सुंदर आगमन . नए साल का नया जश्न नए कपड़े पहनकर अपने परिवार , मित्रों के साथ पार्टी मनाना , खाना पीना मौज मस्ती करना डांस करना , अच्छा खाना पीना क्या बस यही है नये साल का महत्व एक इंसान के लिए या और भी बहुत कुछ नये साल और बीते साल का महत्व ।
          किसी के लिए सुख का साल होगा , किसी के लिए दुःख रहा साल होगा ,किसी ने कुछ पाया होगा ,किसी ने कुछ खो दिया होगा , सोच सकते है किसी को नयी छत मिली होगी तो किसी के सर से छत छीन गई होगी , किसी को नया जीवनसाथी मिला होगा , तो कहीं जीवनसाथी का साथ छूट गया होगा , कोई महिला नए साल नये महीने के शुरू होने पर दुनिया भर के हिसाब किताब में लगी होगी , तो कोई ऐसा भी होगा जिसके पास इन हिसाबों के लिए वक्त ही नही , किसी परिवार में नई जिन्दगी ने जन्म लिया होगा तो कहीं किसी परिवार के बच्चे से उसका परिवार छ्हीं गया होगा , कहीं कोई नये साल के आगमन के उत्सव में खुशियाँ मना रहा होगा तो कहीं किसी के जीवन से उसके उत्सवों का कारण खत्म हो गया होगा , कहीं कोई नौकरी की तलाश में दर ब दर भटक रहा होगा तो कहीं कोई व्यक्ति नई  नौकरी में खुश होकर काम कर रहा होगा ।
           कोई माँ से उसके बच्चे छीन गये होंगे वो रोती बिलखती दुखों वाला जीवन जी रही होगी तो कंही कोई माँ कई एक नई जिन्दगी को जन्म दे रही होगी , कंही कोई ऐसा भी होगा जो माँ उनके जीवन का आधार स्तम्भ थी उन बच्चों से उनकी माँ उनका साथ छूट गया होगा , कोई ऐसी भी नई दुल्हन होगी जिसने अपने पिया संग सपने देखने शुरू किये हो जिसका नया संसार ही बस शुरू हुआ हो उसका साथी उसे एक ऐसा जीवन का आईना देकर छोड़ गया हो जिसमें बस उसके बिना उस दुल्हन को जीना सीखना होगा जिसके बिना उसके जीवन का अर्थ खत्म हो गया उनका जीवन एक ऐसी राह पर चलना शुरू होगा आने वाले नये कल के बारे में सपने या हकीकत में सोचा नहीं होगा , कहीं कोई ऐसा भी होगा जो सुबह अपने परिवार से मिलकर नौकरी करने अपनी पहचान बनाने निकला हो और फिर लौटा तो उसकी मौत से परिवार पर दुःख का पहाड़ टूट हो गया हो , क्या आप सोच सकते है कहीं कोई ऐसा भी होगा जो तिनका - तिनका जोड़कर नया घर बना रहा होगा जिसे अपने आने वाले कल का पता ना हो की वह रह पायेगा ना ही अपने सपनों के आशियाने में , कोई ऐसा भी होगा जिसके रहने के लिए घर ना होगा , कहीं कोई डर रहा होगा किसी तूफ़ान से तो कोई लड़कर हमला करते हुए सामना कर रहा होगा , कोई कहीं स्टूडेंट ऊँची पढ़ाई कर रहा होगा तो कहीं किसी से उसकी पढ़ने का हक नहीं मिल रहा होगा ।
           किसी ने सोचा होगा कहीं कोई माता पिता अपनी संतान जिसे पौधे की तरह पाल पोसकर बड़ा किया उसे विदा करके उसके नये संसार के नये सफर की खुशियों में खुश हो रहा होगा तो कहीं कोई ऐसे भी कोई माता पिता होंगे जिनसे जिन्दगी के बीच सफर उनके पौधा टूट गया हो उस माता पिता के सपनों को कोई दुर्घटना कुचल गई हो , क्या सोच सकते है आप की किसी नौजवान के जीवन को सुंदर बनाने के लिए रोज माता पिता अपने आपको मेहनत की आग में तपाकर उसके जीवन के लिए खुशियाँ जोड़ रहे होगे , तो कही कोई ऐसा भी होगा जो माता पिता की मेहनत को हवा में उड़ा कर अपना जीवन उनके सपनों को बर्बाद कर रहा होगा ,
          क्या आप सोच सकते है किसी स्त्री दहेज़ की आग में झुलस गई होगी तो कही कोई शारीरिक दुर्व्यवहार का तो किसी दुर्घटना का शिकार हो रही होगी , तो कहीं किसी को नया प्यार मिल रहा होगा ,किसी ने सोचा है कहीं कोई वृध्दावस्था के पायदान पर कदम रख रहा होगा , कोई अपनी वृध्दावस्था के अंतिम क्षणों को अपने बच्चों के संग सुकून के साथ बिता कर रहा होगा , तो कंही कोई ऐसा भी वृध्द होगा जो वृद्धावस्था के कठिन दिनों में वृधाश्रम में आँसू बहाकर अपने बच्चों को याद करता हुआ अपनी मौत का इन्तजार कर रहा होगा ।
          क्या आप सोच सकते है किसी शहर में ऐसा भी कोई होगा जो अपने माँ - पिता अपने भाई अपनी पत्नी से दूर रहकर उनके लिए काम कर रहा होगा उनके पास जाने के इंतजार में रोज नौकरी की चुनौतियों का सामना कर रहा होगा तो कहीं कोई ऐसा भी होगा जो अपने परिवार के साथ किसी खुशी में जश्न मना रहा होगा , कोई ऐसा भी हो सकता है जो पल - पल अस्पताल में किसी बीमारी में रोज थोड़ा - थोड़ा जीवन से थोड़ी - थोड़ी साँसों के उधार पर चल रहा होगा कोई ऐसा भी होगा जो अभी - अभी किसी लम्बी बीमारी से उठकर फिर जीना शुरू कर रहा हो , कोई ऐसा भेई व्यक्ति हो सकता है जिसे यह पता नहीं होगा आने वाला कल वो देखा नहीं पायेंगा अपने परिवार के सुख - दुःख उनके साथ खड़ा नहीं रह पायेगा , कहीं कोई ऐसा भी होगा जो अकेलेपन में अपने जीवन की कसौटियों से रोज सामना करते हुए घुट घुटकर में रह रहा होगा , तो कोई ऐसा भी होगा जिसके लिए अकेलापन एक खुशी , नया सृजन , हर रोज अपने तरीके से जी रहा होगा । कोई माता पिता रोज अपने बेटी बेटों जो बाहर पढ़ने या नौकरी करने गए हुओ के घर आने के इंतजार कर रहे होंगें तो कहीं कोई माता पिता अपने बच्चों को आंखों में दुख और खुशी से बाहर भेज रहे होंगे ।
       कोई ऐसा भी होगा जिसके पास खाने से पहनने ओढ़ने की हर चीज बहुत - बहुत हो कोई कमी ना होगी , तो कोई ऐसा भी हो जिसके पास ये सारी सुविधाएं ही ना हो जो अपनी गरीबी में ही अपने परिवार और अपना गुजारा कर रहा हो उसके जीवन में गरीबी कम करना परिवार के दुःख दूर करना उसका पहला मकसद होगी , क्या आप सोच सकते है कोई ऐसा भी होगा जिसे नया साल के अर्थ पता नहीं होगे ये होता क्या है नया पुराना उसके लिए एक बराबर होते होंगे , कोई ऐसा भी होगा रात में सोया तो सुबह के सूरज के साथ उसके दिन की शुरुआत ही नही होगी कोई ऐसा भी जिसके पास दिन से रात तक बहुत से काम होगे उसके लिए दिन रात का महत्व मतलब काम होगा । कहीं कोई मेरी तरह भी होगी जिसे उनके जीवनसाथी दूर होंगे और उनके आने का इंतजार कर रही होगी कोई प्यारी को अब तक पता नहीं होगा जीवनसाथी का अर्थ क्या होता है । कोई किसी नया जीवन बनकर उसका जीवन सजा रहा होगा तो उसी पल के जीवन से जीवन को सुंदर बनाने वाला उसे कष्ट पहुंचा रहा होगा जो उसके जीवन की ख़ुशी उसकी पत्नी है । कोई ऐसा भी होगा जो एक अजनबी शहर से अपने घर अपने शहर अपनों में वापस जाने के इंतजार में रोज एक-एक दिन गिन रहा होगा तो कहीं कोई अजनबी शहर में अपनी नई दुनिया की शुरुआत कर रहा होगा ।
एक दिन , एक पल उस और पल में कितना कुछ समाया हुआ है सोचे तो ज़रा जीवन की घटनाएं सिर्फ एक टुकड़ा नहीं है जिंदगी का बल्कि इनका जो महत्व है कुल मिलाकर दोस्तों यही है जिंदगी जिसमें हर एक इंसान के साथ बहुत कुछ घटित होता है । जो घट गया ना जीवन का सबसे मजबूत पल बस उसमें ही चला गया हम सोचते है एक पल ही तो है वापस आ जायेगा । यही सत्य है जीवन में बहुत कुछ घटता है सुखद दुखद और एक इंसान के लिए वह बहुत कुछ है जो दोबारा दस्तक जीवन में नहीं देते बल्कि वे घटनाएं , वे पल वो सब कुछ जो घटित हुआ है वो हमारे मस्तिष्क की मेमोरी से हमें याद दिलाकर बार बार याद हमारे जीवन मे रुके हुए वक़्त की तरह मन में अटके से पड़े रहते हैं और एक व्यक्ति उन्हीं में उलझा हुआ सा बाहर नहीं आ पाता है ।
ये जीवन जिसे हम रोज जीते हैं जिसमें बहुत कुछ व्यतीत होता है एक ही दिन में कहीं कोई हंसता कोई रोता विलापता , कोई खुशी में खुश होता हैं तो कहीं कोई और किसी भावना में लिप्त रहता है ।

हम सोचते है अपने विचारों में एक साल ही तो है
एक साल बीत गया है और नया आने वाला है
हम सोचते है अपने विचारों में एक नया दिन ही तो है
किसी के जीवन में कितना कुछ बीता होगा बीते सालों में
हम सोचते है अपने विचारों में एक जीवन ही तो है ।।
किसी के लिए क्या होगा महत्व जीवन के बीते सालों में
नया साल आ गया है फिर एक साल बीतने वाला है ।।
किसी ने सोचा नहीं होगा नए रंग का
हम सोचते है क्या है रंग ही तो है ।।
एक दुःख एक सुख ही तो है
किसी ने सोचा नही इसका महत्व क्या है ।।

दरअसल हम सोचते तो है साल के महत्व के बारे में पर इतनी गहराई से एक - एक चीज को लेकर नहीं सोचते ना है । हम सोचे तो पाएंगे की हां हमारी अपनी जिंदगी में एक साल में बहुत कुछ होता है ।

आप सभी पाठकों को नए साल की बहुत सारी बधाइयां आने वाला साल आपके जीवन में ढेर सारी खुशियों के रंग लेकर आये ये मेरी शुभकामना है ।

कमेंट कीजिए और अपनी भावनाएं बताइएं क्या आप क्या सोच सकते हैं ।

नन्ही कोपल

दबंग सलमान खान के दबंग डायलोग उनके जन्मदिन पर

          
         
               सलमान खान आज भारतीय सिनेमा के एक बहुत ही अच्छे सुपरस्टार जिनका आज 27 दिसम्बर को जन्मदिन है सलमान खान ने अपने कैरियर की शुरुआत १९८८ में आई बीवी हो तो ऐसी की की थी उसके बाद मैंने प्यार किया थी जिसके लिए इन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ नवीन पुरुष अभिनेता पुरूस्कार  दिया गया सनम बेवफा , बाघी , करण अर्जुन , जीत ,जुड़वाँ बीवी नम्बर वन , हम दिल दे चुके सनम , बंधन , प्यार किया तो डरना क्या , कुछ कुछ होता है उसके बाद हम साथ साथ बागबान, मुझसे शादी करोगी,हर दिल जो प्यार करेगा , चोरी चोरी चुपके चुपके तेरे नाम ,गर्व ने अच्छा बिजेनस किया  
           पार्टनर , नो एंट्री , लकी नो टाइम फॉर लव , मैंने प्यार क्यों किया,जानेमन , बाबुल , सलामे इश्क , युवराज ,मेरीगोल्ड फिल्मे की ।उनके कैरियर का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था जब उन्होंने प्रभुदेवा की वांटेड की वांटेड उसके बाद मैं और मिस्सेस खन्ना, वीर फिल्म की ।दबंग,जो २०१० में रिलीज हुई दबंग रेडी सबसे बड़ी हिट मूवी उसके बाद बॉडीगार्ड , एक था टाइगर , बजरंगी भाईजान , दबंग 2 , जय हो , किक ,प्रेमरत्न धन पायो , सुलतान , tubelight, टाइगर ज़िन्दा है जैसे कई सुपरहिट फिल्मे की जिन फिल्मो ने बॉक्स ऑफिस का राजा बना दिया । 
सलमान खान के जन्मदिन पर उनके कुछ सुप्रसिद्ध डायलोग जिन्हें लोग आज भी याद रखते है -

  • dosti ka ek usaaol hai madam no sorry no thank you (maine pyaar kiya)
  • udaas hona yun akele mein rona is injurios to health sehat ke liye hanikarak hota hai ( maine pyaar kiya )
  • log kehte hai khoobsurat ladkiyaan jab jhoot bolti hi toh aur bhi khoobsurat ho jati hai ( hum aappke hai kon )
  • daayn haanth jeb mein rkh lo seth varna zindagi bhar aapko baayen hanth se khana khana padega (karan arjun)
  • dosto na koi saathi hai na koi manzil fir bhi nikal pada hoon ghar se shayad jiski talaash hai wahi saathi wahi manzil hai ( pyaar kiya to darna kya )
  • jabse tumne pyar ko samjha hai , pyar ko jana hai sirf us hi se pyar kiya hai (kuch kuch hota hai )
  • are mein koi avtaar hun kya jo bina maa ke paida hua hoon (biwi no 1)
  • agar tum mujhe yun hi dekhti rahogi to tumhe mujhse pyaar ho jayega (hum dil de chuke sanam)
  • badtameez chaadar ki kameez , lohe ka pajama , bandar tera mama aree billi teri mosi , kutta tera yaar , aam ka achaar , aaja mere yaar
  • main request nahi karta ek hi baar bolta hoon aur full and final ho jata hai
  • tumhari aankhon se tumhara dil dikhta hai jis mein meri tasveer chupi hui hai (baghban)
  • Is Napunsak Samaaj Mein Antim Vijay … Sada Asatya, Adharm Aur Anyaay Ki Hi Hoti Hai.(garv)
  • Badminton court jao, tennis court jao, food court jao ... lekin woh court mat jaana(no entry) 
  • I am a bad boy ... thoda sa ziddi, thoda sa awara, thoda sa pagal, thoda sa nakara ... yani total milake I am a bad boy
  • zindagi mein 3 cheez kabhi underestimate mnahi karna I,Me,Myself (ready)
  • hum yahan ke robinhood hai robinhood pandey swagat nahi karoge hamara
  • Hamara naam hamari personality ko shoba deta hai ... Chulbul Pandey
(dabaang)
  • Hum Bajrangbali ke bakht hai ... mar jayenge lekin jhoot nahi bolenge
  • aap thank you mat kahiye instead teen logon ki madad kijiye aap .. aur un teeno se kehna ki wo teen aur ki madad karen duniya badal jayegi (jai ho)
  • ek baar jo maine commitment kar di uske baad toh main khud ki bhi nahi sunta ( wanted )
  • woh jeena bhi ki jeena hai jis mein kick na ho (kick)
  • Sudhar jao ... varna agar hum sudhaarne par utar aaye ... toh bahut nuksaan ho jayega(dabangg 2)
  • mere baare mein itna mat sochna dil mein aata hoon samjh mein nahi
        (mein hoon tera hero )
  • asli pehelwaan ki pehchan akhade me nahi hoti zindagi mein howe hai
  • koi tumhe tab tak nahi hara sakta jab tak tum khud se na haar jao (sultan)
  • har ek family mein problem hai par woh khushnaseeb hai jinki family hoti hai (prem ratan dhan payo)
  • yakeen ek tubelight ki tarah hota hai der se jalta hai lekin jab jalta hai to full light kar deta hai (tubelight)
  • sikhaar to sab karte hai lekin tiger se behtar koi sikhaar nahi karta (टाइगर ज़िन्दा है)
  • mujhpar ek ehsaan karna ki mujhpar koi ehsaan na karna (bodyguard)



इस तरह सलमान खान ने खुद को कड़ी मेहनत और लगन से हिन्दी सिनेमा में सबसे महान अभिनेता की छवि बनाई आज उनके जन्मदिन पर सलमान को जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयां 

किस तरह स्वयं को ब्लॉग लेखन के लिए प्रेरित किया

         
लेखनी और कम्यूटर टेबल 

             मित्रों मैंने आज से करीब 9 साल पहले सन २००९ में ब्लॉग लिखना शुरू किया उस वक्त नया - नया ब्लॉग लिखना शुरू किया था तब मैंने बहुत ही कम पोस्ट्स लिखी थी मैं सं २०११ तक ब्लॉग पर सक्रिय रही उस वक्त छतीसगढ़ में कोई इतनी कम उम्र की महिला नहीं थी जो ब्लोगिंग सक्रिय थी मैं उस वक्त छतीसगढ़ की पहली महिला ब्लोगर थी पर मैं अपनी पढ़ाई - लिखाई के चलते ज्यादा दिनों तक ब्लॉग पर सक्रिय रूप से लिख नहीं पाई और मैंने ब्लॉग लिखना बंद कर दिया मित्रों तब कॉलेज की पढ़ाई में ज्यादा समय देने के कारण मैं ब्लॉग पर तो नहीं पर अपने मोबाइल की डायरी में कुछ - कुछ लिखती रहती थी लिखाई - पढ़ाई के अलावा हमारे कोर्स के अन्य कामों में ही उलझे रहने के कारण ब्लॉग लिखने की ओर ध्यान नहीं आता था ऐसा करते - करते धीरे धीरे वक्त आगे बढ़ता चला गया २०११ के बाद मेरा ब्लॉग लिखना पूरी तरह बंद हो गया
            सन २०११ के बाद मैंने बहुत सारी पढ़ाई पूरी की जैसे एम्.एस सी ( ह्यूमन डेवलपमेंट ) २०१३ में , बी.एड(२०१४) , पी.जी .डी .सी.ए(२०१५) इतना सब करने में 7 साल बीत गये इस बीच मैं एक शिक्षक बनने के लिए परीक्षाएं देती रहती हूँ मेरे मम्मी - पापा , मित्र ,रिश्तेदार सब मुझसे अक्सर यही कहते रहते थे कि अपना ब्लॉग वापस से शुरू करके कुछ लिखती क्यों नहीं हो कुछ जब आप इतना अच्छा लिख लेते हो तो लिखना चाहिए अपनी लेखनी व्यर्थ मत जाने दो आप तो लिख लेते हो आप में लिखने का हुनर है तो आप लिखते क्यों नहीं बहुत सारे लोग मेरे पापा श्री शरद कोकास जो खुद एक बहुत अच्छे कवि और लेखक उनसे बहुत सारे लोग जो मुझे जानते थे उनसे कहते थे अरे भैया बिटिया आजकल लिखती क्यों नहीं उसे कहिए वे लिखे तो बहुत अच्छा होगा ऐसे बहुत सारे लोग मुझे प्रेरित करते रहते थे पर मित्रों मेरा ब्लॉग लिखने के लिए मन ही बनता नहीं था ना मुझे खुद यह महसूस होता था कि ब्लॉग वापस शुरू करके लिखना चाहिए क्योंकि आज लोगों की सबसे बड़ी डिमांड ब्लॉग है आप लिखिए तो लिखी हुई बात लोगो के लिए काम आयेंगी पर ऐसा कोई ख़याल दिमाग तक नहीं पहुँच पाता था मुझे लगता था क्या लिखा जाएं ब्लॉग फालतू टाइम वेस्ट चीज है
            फिर अभी सन २०१७ में जब मैं अगस्त में रक्षाबन्धन का त्यौहार मनाने जबलपुर अपनी ननिहाल गई वहाँ मेरा ननिहाल बहुत बड़ा है बहुत मामा ,मौसियाँ , भाई - बहन है रक्षाबन्धन पर बरसों एक परम्परा सी चली आ रही है बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती तो बहाई उसे गिफ्ट देता है चाहे बहन छोटी हो या बड़ी पर मेरे भाई - बहनों ने मुझसे राखी बंधवाने के बात करने शुरू की सबको पता था कि मैं कुछ न कुछ लिखती हूँ और अच्छा लिखती हूँ मैंने कहा मैं तो बस अपने लिए लिखती हूँ मोबाइल डायरी में सबने कहा उस हुनर को जो ना जाने कब बंद पड़ा है उसे बाहर लेकर आओ कुछ नया सर्च करो , नया लिखो , अपने लिए वक्त दो अपनी लेखनी को आगे लेकर जाओ कितनी अच्छी बात है कोपल दीदी की आपको बिना कुछ किए इतना लिखना आता है हमें कुछ लिखना है तो हम किसी को ढूंढते है की कोई हमारे लिए लिख दे और आप चुप बैठे घर पर हो इतने साल से आपके मन में जो विचारों का पिटारा है उसे खोल दो फिर देखो कैसे लोग आपका लिखा हुआ पढ़ते है मामा - मामी ,भाई बहनों से कहा पर मैं लिखूं क्या तो भाई बहनों ने कहा आप सर्च करो हजारों टोपिक्स लिखने के लिए आपको चुटकियों में मिल जायेंगे बस आप एक बार ट्राय तो करो सबने मेरे दुर्ग वापस आते समय कहा बस आप फिर से अपने ब्लॉग पर लिखना शुरू कर दो यही गिफ्ट है हमारे लिए राखी का और ऑल द बेस्ट कहकर मुझे ट्रेन में बैठा दिया
              जब वापस दुर्ग आई तो कुछ दिनों तक सोच विचार करती रही की क्या लिखूं , कैसे लिखूं इसी उधेड़बुन में थोड़े दिन बीत गए फिर बहुत सोच विचार किया ब्लॉग्गिंग की दुनिया फिर कदम बढाने के लिए प्रेरित किया की चलो अब बहुत सा वक्त यूंही वेस्ट हो गया अब लिखना शुरू कर ही देना चाहिए फिर इस तरह एक नए सिरे से 26.08.2017 से ब्लोंगिग की दुनिया का नया सफर शुरू हो गया और अब में ब्लोंगिग की दुनिया में सक्रिय हूँ उसके बाद मैं एक से बढ़कर एक पोस्ट लिख रही हूँ और आगे भी लिखती रहूँगी
              इतने वक्त में मित्रों मुझे एक बात अच्छी तरह समझ आ गई प्रेरित तो आपको सब करते है सब कहते है करो , आगे बढ़ों , यूं कैन डू इट , गो अहेड , और भी बहुत कुछ पर जब तक आप खुद को किसी चीज के लिए प्रेरित ना कर लो ना तब आप कुछ नहीं कर सकते आगे नहीं बढ़ सकते

हाथों में आगे बढ़ने की मशाल पर खुद ही रास्तो पर चलना पड़ता है
राहों में हजारों के हाथ मिल तो जाते है पर खुद ही गिरना उठाना पड़ता है





बचपन का वो प्यारा क्रिसमस

                     
हमारी क्रिसमस टीम के साथी 
                       मेरे बचपन के क्रिसमस की बात है जब मैं यानी की कोपल क्रिस्टियन कान्वेंट विश्वदीप स्कूल में पढ़ा करती थी क्रिस्टियन कान्वेंट स्कूल में पढ़ने के कारण वहां के लोगों का क्रिसमस मनाना देखकर तो मैं भी अपने दोस्तों के ग्रुप के साथ क्रिसमस बहुत धूमधाम से मनाया करती थी हमारी पूरे 10 दस की दिनों की क्रिसमस त्यौहार की जब छुट्टियां होती थी हमारी पड़ोस के बच्चों की पूरी 15 -20 लोगों की टीम हुआ करती थी जिसमें शुभांगी दीदी जो हमारी टीम में सबसे बड़ी थी वो हमारे ग्रुप की टीम लीडर हुआ करती थी हम सभी बच्चे 1 हफ्ते पहले से क्रिसमस मनाने के लिए तैयारी शुरू कर देते थे 15 दिन पहले मीटिंग होती थी सारे ग्रुप के लोगों की सबसे अपने - अपने आइडिया दिया करते थे ऐसा कर सकते है , ये होना चाहिए , ये नहीं कैसे करना है हमारी टीम का सबसे बड़ा लक्ष्य था की हम कम पैसो में जितना अच्छा काम है वो करेंगे पैसो का दुरूपयोग नहीं होगा और मेरे घर में एक चम्पा का पेड़ था हम उसी पेड़ को सजाकर ही क्रिसमस मनाते थे पहले जाकर उस पेड़ का निरीक्षण किया करते थे की उसके डेकोरेशन के लिए क्या -क्या सामान लगेगा , खाने में केक , चिप्स , बिस्किट , कभी ढोकला , तो कभी समोसा , कभी मेरी मम्मी सबके लिए गर्म - गर्म गाजर का हलवा तो कभी सूजी का हलवा बनाती थी या कुछ लाने होगा , कितने लोगो के लिए लेकर आना है , सब कॉपी में लिखते जाया करते थे उसके हिसाब से पैसे इकट्ठा करना शुरू कर देते थे और उन पैसो का हिसाब किताब एक कॉपी मैं दीदी लिखते जाया करती थी फिर उसके हिसाब क्रिसमस के ठीक एक दिन पहले दीदी पास वाली बेकरी में सब खाने की चीजो का ऑर्डर देकर आया करती थी
                     
                         क्रिसमस के 2 दिन पहले से हम में से कुछ लोग दीदी के साथ जाकर क्रिसमस ट्री सजाने के लिए झालर , चमकीले वाले लटकन , मोती की माला, घंटी सब लेकर आते थे और रात को बैठकर सबको देने के लिए अपने हाथ से एक ड्राइंग शीट से ही  क्रिसमस की बधाई देने लिए ग्रीटिंग कार्ड बनाते थे ( उन दिनों ग्रीटिंग कार्ड लेने देने का बहुत प्रचलन हुआ करता था ) रात में एक मीटिंग होती थी अभी भी बता दो कितने लोग आयेंगे तो खाने के सामान में कमी कर देंगे जाकर फिर जिस दिन क्रिसमस होता था उसके पहले ही हम टाइम निश्चित कर लेते थे कि 25 तारीख को सुबह 9 बजे कोपल के घर पर सब पहुँच जायेंगे तैयारी करने के लिए 9 बजे का टाइम हम इसलिए रखते थे क्योंकि स्कूल का होमवर्क भी बहुत हुआ करता था जिसे हम सब दिन में बैठकर पूरा करते थे मेरे घर के आंगन में चम्पा का पेड़ लगा था आंगन में बहुत कम जगह थी वही हमारी स्कूटर और लूना रखी होती थी उसे दूसरी जगह रख देते थे तैयारी शुरू करने से पहले आंगन की उस जगह को झाडू से साफ़ करते थे पानी से धोते थे फिर सब सुबह नौ बजे आते थे और पेड़ को झालर , चमकीले वाले लटकन , गुब्बारे ,के अंदर चोकलेट , मोती की माला, छोटी घंटी , कुछ बड़ी घंटियों से सजाने का काम करते थे जब पेड़ पूरा सजकर तैयार हो जाता था तब ही हम संतुष्ट होते थे ट्री का काम पूरा हो गया है
                     
ये वो चंपा का पेड़ नहीं जिस पर हम क्रिसमस मनाया करते थे पर कुछ ऐसा ही था 
                            पेड़ के दाहिनी तरफ से बाहर जाने के लिए एक दरवाजा था और पेड़ के सामने की तरफ घर के अंदर आने के लिए दरवाजा जब पेड़ का काम हो जाता था तो हम पेड़ की एक डाल से लेकर घर के दरवाजे में एक खीला ठोककर रस्सी पर से एक चादर बाँध देते थे ताकि टीम के लोगो के अलावा कोई और अंदर आ सके और बाहर से किसी को ना दिखे की अंदर क्या कार्यक्रम हो रहा है हमारी
टीम के लोगो को उनके काम पहले ही दीदी बता देती थी कौन क्या करेगा फिर वो काम 25 को सुबह से शुरू कर देते थे एक हफ्ते पहले से क्रिसमस मानाने के लिए जिंगल बेल गीत याद करवाया करती थी और क्रिसमस की सुबह सब फिर से जिंगल बेल प्रेयर दीदी को सुनाया करते थे कंही कोई गलती हुआ करती थी तो फिर वे उस गलती को ठीक करवाकर प्रेयर का वो पार्ट या लाइन याद करवाती थी फिर सब तैयारी हो जाने के बाद हम जाकर बेकरी से नाश्ते का सामान लाने जाते थे और लाकर देखते थे सारा सामना जितना तय किया था लाने के लिए उतना है या नही कम है तो और लेकर आयेंगे , टीम के एक व्यक्ति को ही ये छूट होती थी की वो चखकर देखे की खाने की चीजे ताजी है या नही इस चीज के लिए बहुत झगड़े होते थे की दीदी ने मुझे नहीं दिया चखने के लिए तुझे क्यों दिया इसी बात पर वो दो लोग लड़ने लगते थे पर हमारी शुभांगी दीदी दोनों को यह कहकर शांत करवाती थी अभी बाक़ी काम करो नाश्ता सबको मिलेगा पर शाम को मिलेगा
                    
                       फिर एक जगह नाश्ते का सामान रख देते थे ताकि कंही गम ना हो जाएं ग्रीटिंग कार्ड , भी संभाल कर रख देते थे , चोकलेट्स भी , फिर ये सब काम करके सब लोग 11 बजे घर चले जाते थे होमवर्क करने के लिए यह फिक्स करके की शाम 5 बजे सब लोग कोपल के घर पर आ जाना फिर 3 बजे एक बार कुछ लोग इकट्ठे होते थे ये देखने के लिए की कुछ काम रह तो नहीं गया करने के लिए फिर घर चले जाते थे और 5 बजे सब बढ़िया तैयार होकर आते थे (हम यह तय कर लेते थे की कोई भी गिफ्ट नहीं लेकर आएगा) और यह देखते थे की कितने लोग आ गये है सबके घर लगभग पास - पास ही थे जो नहीं आया होता था तो दूसरा टीम का सदस्य जाकर उस व्यक्ति को बुलाने जाता था
                 
क्रिसमस मस्ती 
                        फिर सबके आने के बाद क्रिसमस का त्यौहार मानना शुरू करते थे इसमें सबसे पहले हम केक काटते थे फिर जिंगल बेल गीत गाकर प्रेयर करते थे और उसके बाद हम एक दुसरे को ग्रीटिंग कार्ड देकर हाथ मिलाकर गले मिलकर क्रिसमस की बधाई देते थे उसके बाद कभी अन्ताक्षरी तो गीत ड्रमशारज , तो कभी कविता सुनाता था , कोई अपना गाना सुनाता था तो कोई जोक सुनाता था हम ये सब इसलिए करते थे क्योंकि इससे क्रिसमस के टाइम पर थोड़ा मनोरंजन हो जाता था और लोगो को अपनी कला को दूसरो तक पहुंचाने का एक सुंदर रास्ता मिल जाता था जब ये सारे मनोरंजन वाले काम हो जाते थे तो फिर टीम के लोग नाश्ता निकालकर सबको देते थे सब नाश्ता करते थे कुछ लोग क्रिसमस पार्टी में सब इसलिए आते क्योंकि एक से एक टेस्टी नाश्ता और केक मिलता था हमारी टीम से अलग कोई और अंदर आना चाहे ये हम लोगो को बिलकुल पसंद नहीं था पर हमारे मम्मी पापा दया व प्रेम दिखाकर कहते थे आने दो बेटा उसे भी वह देख ले तुम कैसे मनाते हो क्रिसमस
फिर सबके जाने के टाइम हो जाता था तो आख़िर में सबको दीदी चोकलेट देती थी चोकलेट लेने देने के बाद सब जो साफ़ करने का काम होता था वो करते थे उसके बाद ही अपने घर जाते थे इस क्रिसमस के उत्सव में कभी - कभी कुछ यादगार लम्हे भी आ जाते थे जो उस वक्त बहुत टेंशन देने का काम करते थे जैसे एक बार केक खराब आ गया था जिसकी चखने की ड्यूटी थी उसने चखा और दीदी से कहा दीदी वो कड़वा और बासी लग रहा है उसके कहने पर दीदी ने भी चखकर देखा तो दीदी ने भी बोला हाँ ये केक खराब हो गया है फिर तुरंत ये डिसाइड किया की दूसरा केक लेकर आयेंगे तो सबने कहा दीदी जमा किये हुए पैसे तो खत्म हो गये है तो दीदी ने बोला कोई बात नहीं मैं अपने पैसो से ले आती हूँ इस तरह फिर नया केक आया
               
क्रिसमस पार्टी के बाद का फोटो सेशन 
                         ऐसी ही एक बार बहुत सारे लोग बाहर चले गये थे तो जितने लोग थे उतने लोगो ने क्रिसमस मनाया , कभी ऐसा भी हुआ की हम यहाँ अपनी क्रिसमस पार्टी की प्लानिंग कर रहे है तो कुछ गुप्त खबरों से पता चलता था की टीम के कुछ लोग अपनी अलग क्रिसमस मनाने की प्लानिंग कर रहे है सबका दिमाग ख़राब हो जाता था की वो लोग ऐसा क्यों कर रहे है तो फिर टीम के उस सदस्य को बुलाकर पूछते थे की वो क्यों अलग प्लानिंग कर रहा है जब अपन सब साथ में मना रहे है तो वो बताता था की उसको यहाँ जो वो काम करना चाहता है करने नहीं मिलता है इसलिए हम अपना क्रिसमस अलग मना रहे है और वो व्यक्ति हम लोगो को धमकी भी दे देता था की देखना हम आप लोगो से अच्छा क्रिसमस मनाएंगे बाद पता चलता था कि उस व्यक्ति से प्लानिंग नहीं करते बन रहा है और जितने लोग उसकी पार्टी में आने वाले थे सब यहाँ हमारी पार्टी में आ रहे है तो फिर उस वो कैंसिल कर देता था अपनी अलग पार्टी मानना और हमारे साथ ही मनाता था पार्टी फिर शुभांगी दीदी से सॉरी बोलकर माफी भी माँगी जाती थी की अब ऐसा नहीं करेगे , कभी टीम के किसी सदस्य की तबीयत खराब हो जाती थी तो भी घर पर उसका नाश्ता टीम का दूसरा सदस्य पहुंचा देता था ताकि उसे खराब ना लेगे की सब खा रहे है मुझे नहीं दिया
, ऐसा भी टाइम आया है जब एक बार मैं भंडारा अपने द़ादा जी के घर पर थी वहां मानाया था अपनों के साथ क्रिसमस  ऐसी ही ना जाने और भी कितने ऐसे कारण रहे होंगे जिनके कारणों से हमारी क्रिसमस पार्टी की यादे और मजेदार बन जाती थी फिर इस तरह 31 दिसम्बर आ जाता था और सब मौज मस्ती करते हुए अपने - अपने परिवार के लोगो के साथ नया साल मनाते थे और इन बाक़ी बीच के दिनों होमवर्क पूरा करते हुए क्रिसमस की छुट्टियों के दिन खत्म हो जाते थे फिर स्कूल शुरू हो जाता था
                   
                       दोस्तों हमारी टीम के लोगो ने करीब -करीब 6 -7 साल क्रिसमस मनाया 1997 se 2003 या 2004 तक कब तक मनाया ठीक कुछ याद नहीं पर मित्रों क्रिसमस और दोस्तों की साथ मौज मस्ती , आपसी एकता , एक दुसरे के साथ सहयोग से काम करना , एक दुसरे की फ़िक्र , खेल , होमवर्क यादे , तयारियाँ , मिल बांटकर रहना , खाना खेलना , रूठना मनाना , लड़ना झगड़ना फिर आंसू बहाने के बाद फिर एक हो जाना ना जाने तमाम कितने सारी ऐसी खट्टी - मीठी प्यारी - प्यारी क्रिसमस और मेरे बचपन की यादें है जो आज मेरे दिमाग की मेमोरी के खज़ाने में कैद है
आज एक बहुत अच्छी बात याद आ रही है
                       एक अफ़सोस रह गया की काश उन दिनों याद रहता कोई तस्वीर ही ले लेते उन दिनों की जिन दिनों संगी साथी संग क्रिसमस मनाया करते थे आज लगता है हम सबकी मेमोरी सबसे बड़ी एल्बम है जिसमें ना जाने कितने सारे पल कैद है आज तस्वीरे नहीं है क्रिसमस पार्टी की पर हाँ मेरी टीम के लोगो के है एक तस्वीर तो क्या उन पलों की यादें तो साथ है जो सबसे अनमोल है सबसे बड़ी आज भी हम सब एक दुसरे से सम्पर्क में है मेरे दोस्तों के नाम शुभांगी दीदी हमारी टीम लीडर ,कोपल यानी मैं ,डोली ,चीकू भाई उपासना ,प्रणव ,अजहर ,रोशनी ,ज्योती दीदी ,चम्मू ,शेरू ,रुपाली दीदी,जयश्री दीदी ,जागृति दीदी ,प्रिया ,गौरव ,शालू ,राजा सल्लू दीदी ,शिबू दीबू दीदी , प्रिंसी , अनीता दीदी और भी लोग थे मगर अब वक्त के साथ उनके नाम याद नहीं है  
उन दिनों में आज का पता नहीं था
बचपन की राहें सबकी इतनी बदल जायेंगी
लिखने बैठुंगी तो आज यादें इतनी याद आयेंगी



इन्ही क्रिसमस की यादों के साथ आप सभी दोस्तों को मेरी क्रिसमस 

फिटनेस ट्रेनर बनकर बनो लोगों के प्रेरणास्त्रोत


        पहले लोग फिटनेस के लिए जागरूक थे मगर कम थे आज फिट रहने का ट्रेंड है पश्चिम देशो के साथ - साथ भारत के लोग भी जिम ज्वाइन करके फिट रहते है तो कोई एरोबिक्स क्लासेस जाता है तो कोई योगा क्लास जात्ता है लोग खुद को फिट रखने के लिए आगे बढ़ रहे है अपनी बिगड़ी लाइफस्टाइल को संवारने का काम कर रहे है लोगो को अब फिटनेस ट्रेनर के रूप में बेहतरीन विकल्प मिला है की वे एक अच्छा और फिट फिटनेस ट्रेनर बन सकते है आज फिटनेस ट्रेनर की मांग जिम, बड़े होटल, हेल्थ क्लब, फिटनेस सेंटर, स्पा, टूरिस्ट रिसॉर्ट जैसी तमाम जगहों पर है। कुछ समय का अच्छा अनुभव लेकर आप स्वयं का फिटनेस सेंटर भी शुरू कर सकते हैं। यहां तक कि बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के लिए समय-समय पर वर्कपैलेस वेलनेस तथा फिटनेस प्रोग्राम का आयोजन करती हैं, जहां फिटनेस ट्रेनर की जबरदस्त मांग होती है।
फिटनेस इंडस्ट्री आज अपनी चरम सीमा पर है। आज भारत में फिटनेस उद्योग 2,000 करोड़ रुपए से भी अधिक पर हिस्सा रखता है। हाई टेक जिम और हेल्थ क्लब ने इसको युवाओं के बीच और अधिक प्रचलित बनाया है। 
एक फिटनेस ट्रेनर में वे कौन से गुण है जो उन्हें एक गुड फिटनेस ट्रेनर बनाते है -

उन्हें अपने स्किल्स यानी स्पेशलाइज्ड एरिया को गतिशील बनाने के लिए रोज समय देना चाहिए ।
एक फिटनेस ट्रेनर को स्वयं फिट होना चाहिए ताकि आपके क्लाइंट्स के लिए आप एक अच्छा और फिट प्रेरणास्त्रोत बन सके
करेंट रिसर्च , इंडस्ट्री में जो कोम्पीटीशन चल रही है उसके बारे में पढ़ते रहना चाहिए ।
एक फिटनेस ट्रेनर में कम्यूनिकेशन स्किल अच्छा होना चाहिए ।
एक फिटनेस ट्रेनर को मूलतः फिटनेस, न्यूट्रिशन, वेट मैनेजमेंट, स्ट्रैस रिडियूशन, हेल्थ रिस्क मैनेजमेंट आदि जैसे विषयों पर ध्यान देना होता है। 
एक फिटनेस ट्रेनर को एक्सरसाइज टेक्निक्स एनाटोमी , एक्सरसाइज फिजियोलोजी और न्यूट्रीशन की अच्छी तरह से ट्रेनिग लेना चाहिए ।
जो तकनीक या बदलाव हो उनसे अपडेट रहने की आदत होनी चाहिए ।
फिटनेस ट्रेनर बनने के लिए शैक्षिणक योग्यता -

भारत में फिटनेस ट्रेनर बनना या एक इंस्ट्रक्टर बनने का क्षेत्र एक इंडस्ट्री है अभी फिटनेस ट्रेनिग सम्बन्धी बहुत सारे कोर्स उपलब्ध नही है पर फिटनेस ट्रेनर बनने के लिए आपका 12 th पास होना जरूरी है अगर आप 12 th पास है तो इससे जुड़ा हुआ कोर्स या सर्टिफिकेट प्रोग्राम जैसा कोर्स कर सकते है योग ट्रेनर बनना है तो योग का कोर्स कर सकते है या फिर हायर एजूकेशन करने के लिए ग्रेजुएशन करने के बाद एम्.ए योग कर सकते है एरोबिक्स ट्रेनर या जिम ट्रेनर बनने के लिए इंस्ट्रक्टर ट्रेनिग कोर्स कर सकते है इस क्षेत्र में अगर आप अपना कैरियर बनाना चाहते है तो प्रक्टिकल स्पेश्लाइजड होना जरूरी होता है ।
भारत में फिजिकल ट्रेनिग के लिए हायर एजूकेशन के स्कोप अभी नहीं है अगर विदेश जाकर फिजिकल ट्रेनर की ट्रेनिग लेना चाहते है तो वहां से ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट के कोर्स भी कर सकते है ।

कहां से कोर्स करें? 
फिटनेस ट्रेनिंग के कोर्स की अगर बात की जाए तो आप नाइक एरोबिक्स कोर्स या रिबॉक इंस्ट्रक्टर सर्टिफिकेशन प्रोग्राम जैसे प्रोफेशनल कोर्स भी कर सकते हैं, जो मुंबई के तलवालकर संस्थान जैसे कई स्थानीय स्तर पर कराए जाते हैं। ये बेसिक कोर्स करीब 80 घंटे की अवधि के होते हैं, जिसमें से 30 घंटे थ्योरी से सिद्धांत पढ़ाए जाते हैं और बाकी भाग प्रैक्टिकल सैशन का होता है।
* रिबॉक इंडिया वर्ष में 2 बार रिबॉक इंस्ट्रक्टर एलीयांस प्रोग्राम आयोजित करता है।

* यदि आप योग तथा नेचुरोपेथी में स्नातक होना चाहते हैं तो भारत में ये कोर्स करीब साढ़े पांच साल का होता है।

* सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन योग एंड नेचुरोपैथी ने इसमें 1 वर्ष डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किया है। भारत में इसके कुल 17 केंद्र हैं। 

फिजिकल एजुकेशन में स्नातक व स्नाकोत्तर के साथ कई अन्य कोर्स उपलब्ध कराने वाले कुछ प्रमुख संस्थान निम्नलिखित हैं :

* इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोटर्स साइंस, दिल्ली।

*लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन ।
*साई, एनएस साउथ सेंटर, यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु ।

*साई, एनएस ईस्टन र्सेंटर, साल्ट लेक सिटी, कोलकाता

आपके फिटनेस ट्रेनर के रूप में कैरियर की शुरुआत
    फिटनेस ट्रेनर की शुरुआत में आपको जूनियर इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम करना होगा इसकी शुरुआत आप किसी फिटनेस जिम से कर सकते है फिटनेस ट्रेनर बनने के लिए आपका फित्न्नेस के किसी एक एरिया में एक्सपर्ट होना जरूरी है आप ट्रेनर के रूप में किसी क्लाइंट को पर्सनल ट्रेनिंग दे सकते है या इससे जुद्दी संस्था में काम आकर सकते है इस क्षेत्र में अन्य प्रोफेशन के जैसे एंटरप्रेंयोर भी शुरू कर सकते है इस क्षेत्र में एक बार आपका जुड़ गया तो लोग आपसे जुड़ने लगेगे ।

         यह एक बहुत बढ़िया क्षेत्र है जिसमें आप अपना कैरियर बना सकते है एक बार आप फिटनेस ट्रेनर बन गये है तो आप अपना खुद का जिम , एरोबिक्स क्लास या योगा क्लास भी शुरू कर सकते है 

नो टेंशन इन एग्जाम मौसम

       


                                    एक समय था जब मुझे भी परीक्षा का मौसम शुरू होते ही बहुत तनाव होता था ये चेप्टर नहीं हुआ , तो दोहे याद नहीं हो रहे , गठित के सूत्र , इंग्लिश की ग्रामर नहीं समझ रही तो विज्ञान में जितने प्रयोग किये सब भूल गये है ऐसा लगता था मैंने देखा है बहुत से स्टूडेंट्स परीक्षा आने के पहले पढ़ाई का टाइम बढाते जाते है जब एग्जाम आने वाले होते है तो वे सब भूल जाते है और बहुत से बच्चे ऐसे होते है जो इस चाहत में की ज्यादा नम्बर आए वे रात - रात भर बैठकर पढ़ाई करते हुए किताबों को ही अपना सब समझ लेते है परीक्षा के दिन पास आते - आते टेंशन से अपनी तबीयत बिगाड़ लेते है एक स्टूडेट  के लिए परीक्षा को लेकर इतना तनाव करना बलिकुल सही नहीं है क्योंकि एक दिमाग है उस दिमाग रुपी घर में तनाव और कोर्स की बातें एक साथ नहीं रह सकती है ।














                     मैंने उन दिनों जब मैं स्कूल और कॉलेज के एग्जाम देती थी तब कुछ टिप्स बनाये थे आपके भी काम आयेगे
एग्जाम जरुर खेल का मैदान है की जहां आप कूदे तो बस आपको जीतकर ही आना है इस खेल में आपको बिना डरे मेहनत करना है और अच्छे से परीक्षा देना है
पहली बात ये याद रखे  की रोज आपको पढ़ना है यानी की जिस दिन आपकी क्लास शुरू हुई है उस दिन से रोज एक रूटीन बना ले की जो चेप्टर पढाया गया है उसे रीवाइस करे सिलेबस के अनुसार तैयारी बिल्कुल To The Point करे. इससे तैयारी भी अच्छी होगी और परीक्षा के समय बेवजह तनाव का सामना नहीं करना पड़ेगा ।

अपने लिए एक चार्ट रेडी करे जिसमे मेथ्स के कठिन सूत्र लिखे
सांइस के फोर्मूल्स को लिख दे
हिन्दी के श्लोक , व्याकरण को लिखे
जो चेप्टर बहुत कठिन लगते हो उन चेप्टर के महत्वपूर्ण बिन्दुओ को एक कॉपी में लिखे ले उन्हें चेप्टर पढ़ना शुरू करने से पहले पढ़े आपको वो चेप्टर आसान लगने लगेगा ।
कुछ स्टूडेंट्स की मेन प्रोब्लम होती है की उन्हें याद नहीं होता आप लेटकर नहीं बैठकर पढाई करे अच्छे से याद रहेगा 


* बनाएं परफेक्ट टाइम फॉर पढ़ाई  :
आपको अपनी परीक्षा के शेड्यूल के अनुसार अपने पढाई का Time – Table बनाना होगा. किस तरह पढ़ना है उसकी Planing बना ले और फिर उस योजना के तहत दिनचर्या का हर हाल में पालन करे. अगर आपने बेहतर Time Management बनाई है तो इससे एग्जाम की तैयारी में सहूलियत होती है, जिससे आपको तनाव भी नहीं होगा ।
* पढाई के लिए बेहतर माहौल :
परीक्षा के दिनों में आप अपनी पढाई करने के लिए शांत माहौल चुने क्योंकि शोर शराबे में पढाई नहीं की जा सकती है , जहाँ आपको किसी भी प्रकार की बाधा न आये. आप किसी अलग कमरे में पढाई कर सकते है जहाँ कोई और न हो. आप टेलीविज़न की आवाज और Music से तथा अन्य किसी भी प्रकार के शोर शराबे से दूर रहे जिससे आपको कोई Disturbance न हो ।
अगर आपने इसमें लापरवाही की तो आप मेहनत करने के बावजूद किसी विषय को गहराई से समझ नहीं पाएंगे. अगर आपका पढाई का माहौल अच्छा होगा तो तनाव भी आपसे दूर रहेगा ।
* ब्रेक फॉर पढ़ाई :
मेरी हमेशा से यही आदत रही है अगर एक लम्बे टाइम तक स्टडी नहीं की जा सकती है पढ़ाई के बीच में एक ब्रेक जरुर लेना चाहिए क्योंकि एक लम्बे समय तक पढाई करने से आपको थकान हो जाती है रिफ्रेश होकर पढ़ने से आप ज्यादा घन अध्ययन कर पायेंगे परक्षा के दौरान स्वाभाविक रूप से पढाई में तीव्रता आ जाती है. ऐसे में लम्बे समय तक स्टडी में लगे रहना थकान उत्पन्न करता है. इसलिए एक ब्रेक बिना भूले ले नहीं तो जितना याद किया है वो भूल सकते है ।
जब मैं ब्रेक लेती थी तो गाने सुनती थी थोड़ा घर के अंदर टहलती थी ब्रेक के दौरान आप दोस्तों से बाते कर सकते है, गाना सुन सकते है, थोड़ा टहल सकते है और कुछ हल्का फुल्का खा- पी सकते है. पढाई के दौरान बाहर ना जाए क्योंकि पढ़ाई के टाइम आपका दिमाग पढाई के कार्य में व्यस्त उसे अन्य किसी जगह ना भटकने दे ।
अगर आप साप्ताहिक ब्रेक ले रहे है तो कोई अच्छी मोटिवेट करने वाली  movie देखे या दोस्तों के घर जाये. परीक्षा ख़त्म होने के बाद Result के बारे में सोचते रहने के बजाय कही टूर पर निकल जाये या अपनी किसी नयी Hobby को विकसित करने का प्रयास करे ।
* नो दवा बस ताजी हवा
एग्जाम के दिनों में Tension का होना आम बात है. यह हर उस छात्र को होता है मुझे भी बहुत टेंशन होता था जो अपनी पढाई और परीक्षाओ के प्रति गंभीर होता है. इसलिए इस चिंता को दूर करने के लिए किसी ड्रग या दवा के सेवन से बचे. तनाव को कम करने के लिए सिगरेट, शराब, किसी दवा व अन्य नशीली चीजो का सेवन से बचे. सबसे बेस्ट फ़ॉर्मूला है आप सुबह जल्दी उठें खुली हवा में मोर्निग वाक के लिए जाएं कंही शांत जगह पर बैठकर मेडिटेशन करे या आँखे बंदकर करके कुछ देर चित लेट जाए और बिलकुल शांत हो जाएं केवल अच्छी - अच्छी बातें सोचे ।
* समझने के लिए किसी Expert की सलाह ले :
किसी Subject या Topic को समझने में मुश्किल आये तो उस विषय के Expert से Advise जरुर ले. वह Expert आपके Teacher हो सकते है, आपके मम्मी - पापा , भाई बहन हो सकते है या वो छात्र हो सकते है जो विषय आपको समझ नहीं आ रहा हो उस विषय को वे अच्छे से समझते और समझाना जानते हो अगर आपकी तैयारी अच्छी होगी तो Stress भी कम होगा ।
* कम्प्लीट फ़ूड की प्लेट  :
स्टडी के दौरान अपने खान पान का बहुत अच्छे से ध्यान रखे क्योंकि सिर्फ आपकी पढ़ाई या आपके नोट्स ही आपको परीक्षा के लिए तैयार करते है बल्कि आपका खानपान भी आपको परीक्षा के लिए तैयार करता है इसलिए संतुलित खाए. फल ,सब्जी , दूध ले इस दौरान जंक फ़ूड की अधिकता से बचे. ऐसे आहार न ले, जो जरुरत से ज्यादा तैलीय और वसायुक्त हो. एक बात और, पढाई के बीच में कुछ न कुछ खाते रहे सबसे अच्छा है आप मुरमुरा की भेल ,फलों की चाट , आदि चीजे खा सकते है ।
* एक्सरसाइज के लिए समय निकाले :
व्यायाम करना. वो भी रोज तो आपका टेंशन ओवर हो जाएगा परीक्षाओ के दिनों आपको मानसिक रूप से व शारारिक रूप से फिट रखेगा. यह याद रखे कि शारारिक सक्रियता मानसिक तनाव को कम करने में मददगार होती है. मैं पढाई के समय बीच बीच में कुछ देर स्टडी टेबल पर ही रिलैक्स्ड होकर गहरी साँस लेती थी यह फायदेमंद होता है ।
* नींद का कोटा करे पूरा :
परीक्षा के दौरान भी कम से कम 7 घंटे की नींद जरुर ले. जब आपकी नींद का कोटा पूरा हो जाएगा तो फ्रेश रहेंगे और फ्रेश रहकर नींद का डोज पूरा करने के बाद पढ़ाई करने से ज्यादा लम्बे टाइम तक पढ़ा हुआ दिमाग में सेव रहता है ।
* ओनली बी पोजीटिव :
इसलिए पॉजिटिव सोच रखना बहुत जरुरी है. अगर आप शुरू से यह सोचते रहंगे की मुझेसे नहीं बनेगा तो वो परीक्षा के अंत तक नहीं बनेगा इसलिए बी पोजीटिव रहे यह आपको Negative Thoughts से तो बचाएगा ही साथ ही साथ आपको पढाई के तनाव से भी दूर रखेगा. हमेशा आशावादी सोच रखे हमारे अन्दर एक नयी स्फूर्ति पैदा करती है इसलिए एग्जाम से पहले अच्छे रिजल्ट के बारे में इमेजिन करे और उसे एन्जॉय करे. ।


दोस्तों एग्जाम का टेंशन आप खुद ही इन चीजों का ध्यान रखकर कर सकते है बस अच्छे से तैयारी करे और पूरे मन लग्न मेहनत से एग्जाम दे ये समझ ले की एग्जाम एक मैदान है आप है खिलाड़ी आपको पूरे जोश से बिना तनाव के मैदान में उतरना है और परीक्षा देना है ।


पाठकों क्या आप जानते है हमारी बुद्धि का परीक्षण किया जा सकता है


        जी हाँ मित्रों हमारी बुद्धि का परीक्षण भी किया जा सकता है हर व्यक्ति अलग - अलग है हर व्यक्ति की बुद्धि भी अलग है बुद्धि मापन में व्यक्ति की मानसिक योग्यता मापी जाती है बुद्धि इसलिए मापी जाती है ताकि परीक्षणों के माध्यम से यह पता लगाया जा सके एक व्यक्ति में कौन - कौन सी मानसिक योग्यताएं है हर व्यक्ति में उसके जन्म लेने के बाद से कुछ जन्मजात योग्यताएं होती है व्यक्ति की बुद्धि की परीक्षा में इन्ही योग्यताओं का अनुमान लगाया जाता है
बुद्धि और उसके परीक्षण का श्रेय व्यक्तिक भेद को दिया जाता है सन १७९६ में ग्रीनविच की एक ज्योतिष प्रयोगशाला में स्किनर बून नामक व्यक्ति सहायक पर्यवेक्षक थे वे दूरदर्शी यंत्रो की मदद से तारा ग्रहों की गति का अध्ययन करते थे पर उनकी गति बहुत धीमी थी जिसकी वजह उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया इस घटना के घटने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया की हर व्यक्ति की योग्यता और क्षमता अलग - अलग होती है इस तरह से वैयक्तिक समीकरण के विचार का विकास हुआ इस सम्बन्ध में आज विश्व के सभी देशो में कार्य हो रहा है आज अनेक प्रकार के मानक और परीक्षण विकसित किये गये है विशेष कार्य किये जा रहे है आज हमारे देश में सोहन लाल , जलोटा , चन्द्र मोहन , भाटिया ने बुद्धि परीक्षणों का विकास किया है
कितने तरह के मनोवैज्ञानि परीक्षण होते है जिनसे एक व्यक्ति की बुद्धि का परीक्षण किया जा सकता है

1 परीक्षार्थियों की संख्या के आधार पर
2 परीक्षण के प्रस्तुतिकरण के स्वरूप के आधार पर

1 परीक्षार्थियों की संख्या के आधार पर जो परीक्षण है वे दो तरह के होते है

. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण - एक निश्चित समय में एक व्यक्ति का बुध्दि परीक्षण करना , वैयक्तिक परीक्षा कहलाती है इस परीक्षण में ३८ प्रश्न होते है जो डेढ़ से साढ़े पाँच वर्ष के बच्चों के लिए होते है
. सामूहिक बुद्धि परीक्षण - प्रथम विश्व युद्ध में सेना की भर्ती के लिए सामूहिक परीक्षा का पयोग किया गया ताकि योग्यता के अनुरूप वहां के सैनिकों और अधिकारियों का चयन किया जा सके
 अमेरिका में आर्मी एल्फा परीक्षण , थार्नडाइक का CAVD और टरमैं मेकनेयर परीक्षण है भारत में जलोटा ने १९७२ में डॉ मोरे ने १९२१ डॉ . सी एच राईस ने हिन्दुस्तानी बिने कार्यात्मक परख , डॉ भाटिया ने कार्यात्मक परख पत्र तैयार किया

2 परीक्षण के प्रस्तुतिकरण के स्वरूप के आधार पर
. शाब्दिक बुद्धि परीक्षण - इन परीक्षा में भाषा का प्रयोग नहीं होता एक समय में एक ही व्यक्ति की परीक्षा ली जाती है इस परीक्षा में व्यक्ति का व्यवहार और व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषताओं का निरीक्षण किया जाता है इस परीक्षण के लिए निष्पादन परीक्षण , कोहलर का ब्लॉक डिजायन टेस्ट , आर्थर का निष्पादन परीक्षण और एलेक्जेंडर का पास एलोंग परीक्षण का यूज किया जाता है

. अशाब्दिक बुध्दि परीक्षण - इसमें भी भाषा का प्रयोग नही होता एक समय में बहुत से व्यक्तियों की परीक्षा ली जाती है इस परीक्षण में आर्मी बीटा परीक्षण , शिकागो अशाब्दिक परीक्षण भाग 1 , पिजन अशाब्दिक परीक्षण ए.आई.पी . 70 / 23 और रेवन प्रोग्रेसिव परीक्षण यूज किये जाते है


भारत में कुछ बुध्दि परीक्षण जो प्रसिध्द है -

भाटिया की कार्य परीक्षा बैटरी - इसे डॉ .सी.एम् भाटिया ने बने है इसमें पाँच परीक्षाएं है और हर एक की उप-परीक्षा है और हर उप परीक्षा के लिए समय निश्चित है
अलेक्जेंडर की पास ए लॉन्ग परीक्षा - इस परीक्षण में आठ डिजाइन होते है
चित्र निर्माण परीक्षण - इस परीक्षण में पाँच तस्वीरों के टुकड़े होते है इन टुकडो को जोडकर चित्र बनाया जाता है
तात्कालिक स्मृति परीक्षण - इसमें दो परीक्षण होते है एक साक्षरों के लिए दूसरा निरक्षरों के लिए
पैटर्न ड्राइंग परीक्षण - इसे डॉ भाटिया ने बनाया आठ कार्ड पर बनी आकृतियों ओ देखकर बिना पेन्सिल उठाये आकृतियों को बनाया जाता है

डॉ कामत की आयु मापन पुनरावृति बुद्धि परीक्षण
सी.आई.ई बुध्दि परीक्षण
जलोटा का सामूहिक परीक्षण
कुमारिया का सामूहिक परीक्षण
देसाई की सामूहिक परीक्षाएं
जोशी का सामूहिक परीक्षण
 एम् .जी प्रेमलता कृत परीक्षण
एन .त्रवेदी कृत परीक्षण
टी .आर .शर्मा कृत परीक्षण
डॉ सेन गुप्ता परीक्षण
कु. मंजू अग्रवाल परीक्षण
जी .पी शैरी परीक्षण
कृष्णा ब्याती का परीक्षण
आर के सारस्वत परीक्षण

डॉ .सी एन राव परीक्षण 

इन परीक्षणों से किसी भी व्यक्ति की बुध्दि का परीक्षण किया जा सकता है