बी. एड की बेशकीमती यादें

                      
बी.एड के एक कैम्प के पोस्टर रैली में मैं 
                  


                  मैनें  भिलाई महिला महाविद्यालय से बी.एस सी ( होम साइंस ) 2011 में   एम . एस सी ( ह्यूमन डेवलवमेंट ) २०१३ में किया और अब बी. एड २०१४ में किया है । इन सबका अनुभव बहुत अदभुत है । जब महिला कोलेज से बी . एड करने से पहले यही सोचती थी कि हम जिदंगी में पता नही इतने सारे लोगों से क्यों मिलते है पर अब समझ आया कि हम इसलिए मिलते है क्योंकि हमें उन लोगों से मिलना ही नहीं है बल्कि हमें एक दूसरे से अटूट संबंध बनाना है जब हम किसी के साथ लंबा समय बिताते है तो अटूट संबंध तो बन ही जाते है और वो खूबसूरत लम्हे हमारी यादों के खजाने में ताउम्र के लिए कैद हो जाते है ये बी . एड के खूबसूरत लम्हे जिदंगी भर के लिए मेरी यादों के खजाने में कैद हो गये है । जब भी खजाना खोलूंगी तो याद करूंगी सभी शिक्षक , प्यारी सी सहेलियाँ , बी . एड विभाग का हर एक कमरा , हर खिड़की , यहाँ का हर क्लचरल कार्यक्रम , रवेली गाँव का कैंप , बस में अतांक्षरी , नाचना गाना हर मौज मस्ती , सभी शिक्षकों की डाँट , प्यार अपनापन , क्राफ्ट वर्क , हर टास्क , हर आसाइन्मेंट , वार्षिक उत्सव , हर प्रैक्टिकल , यहाँ की साड़ी वाला यूनिफोर्म जो लगती तो बहुत बुरी है पर जिसे पहनना अब अच्छा लगने लगा और खुद साड़ी पहनना भी आ गया । जिसने हमें एक नयी पहचान दी जब पहली बार यूनिफोर्म पहनकर और जूड़ा बनाकर टीचिंग दी तो वो मेरी जिदंगी का सबसे अद्भूत अनुभव है ।
           
मैं मेरे क्राफ्ट प्रैक्टिकल में अपनी कलाकृतियों के साथ 
                  अपनी पहली टीचिंग करने से पहले आज तक किसी बच्चे को स्कूल जाकर पढ़ाया नही था जब क्लास में पहली बार जाकर बच्चों को पढ़ाया तब मुझे उतना आत्मविश्वास नही आया था धीरे – धीरे इतना आत्मविश्वास कहां से आ गया शायद मेरी मेहनत का और शिक्षकों का ,मम्मी पापा ,बड़े बुजुर्गो का साथ और आशीर्वाद है जो अपनी फाइनल टीचिंग पूरे आत्मविश्वास के दे दी । यहाँ का मौहाल बहुत अच्छा है सभी शिक्षक चाहे वो हमारी विभागाअध्यक्ष डाँ . मोहना मैम , हेमलता मैम , एकता मैम , भावना मैम , सुनिशा मैम , नाजनीन मैम , नीतू मैम सभी शिक्षिकाएं बहुत अच्छी है सभी से मुझे बहुत प्यार मिला सभी शिक्षकों ने ना सिर्फ मुझे अपना मार्गदर्शन दिया है बल्कि इतनी अच्छी शिक्षा दी है जिससे मै एक सफल शिक्षक जरूर बनूंगी । यहाँ की सबसे अच्छी बात यह है कि शिक्षकों का मन को खुश कर देने वाला व्यवहार , यहाँ सबकी भरपूर मदद की जाती है यहाँ हमें अपनी कला का प्रदर्शन करने का एक अवसर मिलता है जैसे मै अभी यह कम्प्यूटर पर स्वंय टाइपकर लिख रही हूँ । यहाँ आकर एक व्यक्ति को नयी दिशा मिल जाती है  बहुत सी नयी चीजें सिखने मिलती है ।
                 
                    आज जब बी . एड की डिग्री मिलने के इतने करीब है तो कालेज से तो एम .एस .सी करने के बाद ही जाने का मन बना लिया था पर शायद किस्मत में बी .एड करना ही था पर अब अपने बी .एड डिपार्टमेंट से जाने का मन नहीं हो रहा है एक साल कैसे बीत गया कि पता ही नहीं चला और अब जाने का भी वक्त आ गया । पर जाना होगा अपनी नयी पहचान बनाने के लिए । यहाँ से यही सीखा है कि शिक्षा सभी के लिए है सिर्फ हमारे लिए नहीं है बल्कि वो हर किसी के लिए है यदि किसी को शिक्षित करने से किसी की जिदंगी सवंरती है वो अपनी कहीं पहचान बनाता है तो ऐसी शिक्षा जरूर दूंगी यहाँ से निकलने के बाद क्या करना है ये पता नही पर अगर घर या बाहर बच्चों बड़ो को शिक्षा देना हो जरूर लोगों को शिक्षित करूंगी । मैनें आज तक अपने जिदंगी के लक्ष्य पहले से कभी तय नहीं किये वही किया जो उस वक्त सही लगा ऐसा इसलिए क्योंकि मुझे लगा कि ऐसा करने से सफलता मिलेंगी और आज तक सफल ही होती रही क्योंकि मुझे पता है मेहनत करने से ही मीठा फल मिलेगा मै आज तक क्लास 1 से एम . एस सी मैं कभी फेल नहीं हुई क्योंकि अपनी और मम्मी पापा की इतने सालों की बनी हुई इज्ज्त गंवाकर या बदनाम होकर पास होना मुझे नहीं  आता ।
बी.एड रवेली कैम्प में गाँव की गृहणी से साक्षात्कार 

                        यहाँ की बुरी बात मुझे यहाँ की कोई बात कोई भी चीज बुरी नही लगी वो इसलिए क्योंकि मुझे मालूम है कि यहाँ से जाना ही है तो क्या बुरा लगना हम तो आप लोगो के लिए मौसम की तरह है हर बार एक नया मौसम आता है फिर उसकी जगह नया मौसम ले लेता है इसलिए भावुक क्यों होना इसे जिदंगी की किताब का खूबसूरत और रंगबिरंगा पन्ना समझकर आगे बढ़ना होगा । जिस प्यार और अनोखे तरीके से यहाँ काम कराया और पढ़ाया जाता है तो कोई बात अगर बुरी भी लगती है तो वो नये लुत्फ में बदल जाती है ।
                           जबसे  बी . एड करना शुरू किया है और अब जब खत्म होने को है तब से  मैं अपने स्वर्गीय दादा जी श्री जगमोहन कोकास को बहुत याद कर रही हूँ यदि वे जीवित होते तो मुझे बी . एड करता देख बहुत बहुत खुश होते बल्कि मेरा मार्गदर्शन भी करते आज अगर मैं हिंदी माध्यम मै अपना इतना अच्छा प्रदर्शन कर रही हूँ तो यही उन्ही सलाह की वजह से है वे महाराष्ट के बेला गांव में पहले बी .एड विभाग के प्राध्यापक थे फिर प्राचार्य बने । मेरे अपने घर मेरी मम्मी श्रीमती लता कोकास  , मेरी बुआ श्रीमती सीमा गोड़नाले  , मेरे श्री शेखर कोकास चाचा और ननिहाल में काफी सारे लोग शिक्षक  है शायद मै भी अब उन्ही के रास्तों पर चलने को तैयार हूँ । मेरे घर में ही इतने शिक्षक है इसलिए मुझे पता है कि शिक्षकों का जीवन में बहुत महत्व होता है इसलिए मै शिक्षकों का बहुत सम्मान करती हूँ चाहे वे घर के शिक्षक हो या कालेज या स्कूल के इनका सम्मान जीवन को एक नई राह दिखाता है और नई रोशनी भी देता है मैने अपने शिक्षकों का सदैव सम्मान किया मेरी खुशकिस्मती है इसी कालेज से एम . एस सी करने के बाद इसी कालेज में बी .एड करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तो मैनें अपने आपको सौभाग्यशाली समझा कि कहीं और  यदि एडमिशन मिलता तो इतना अच्छा वातावरण और इतने अच्छे शिक्षक शायद ही मिल पाते इसलिए जैसे  मेरा इसी कालेज में आलोटमेंट  लिस्ट में नाम आया तो मैने पूरी खुशी से अपने ही कालेज में एडमिशन ले लिया ।
 
बी.एड की अंतिम फोटो सभी शिक्षिकाओं व् छात्राओं के साथ 
                       
                यहाँ मुझे हमेशा अपनी विभागाध्यक्ष मोहना मैम हमेशा याद आयेंगी क्योंकि मुझे उनका व्यवहार बहुत प्यार भरा लगता है कि जब ठंड में शाँल ओढकर आती तो मोहना मैम मुझे शोले का ठाकुर कहती मेरे साथ मैम का मजाक करना बहुत अच्छा लगता मैम सबके साथ घुलमिल जाती उनका पढ़ाने का तरीके सबसे अलग मगर बहुत मजा आता उनके उदाहरण , हंसी मजाक , मैम की बोली । हेमलता मैम जो डाँटती तो है उनकी डाँट भी प्यार से भरी लगती है वे सबके साथ हंसी मजाक करती उनका पढ़ाने का तरीका बहुत अच्छा लगता । एकता मैम भी बहुत अच्छी है उनका भी पर्यावरण पढाना अच्छा लगता वे हमारे क्लचरल ग्रुप  ‘’ ताल ‘’ की प्रमुख शिक्षक थी उसमें भी उन्होने मुझे जब हमारे ताल ग्रुप का कार्यक्रम हुआ तब कुकिंग काम्पिटीशन में शाही टुकडा बनाने के लिए मेरा नंबर नही लगा मुझे दुख तो हुआ फिर मुझे एहसास हुआ कि उस कुकिंग काम्पिटीशन मे हिस्सा लेना , सबका मेरा शाही टुकडा चखना , मेरी तारीफ करना ही मेरा सबसे बड़ा गिफ्ट था । उन्होनें आज तक कभी डाँटा नहीं अगर डाँटा भी तो अच्छा लगता । नीतू मैम वे भी डाँटती पर वो उनकी डाँट का कभी बुरा नहीं लगा उनका क्राफ्ट वर्क , प्रेक्टिकलस के बारे में समझाना अच्छी तरह समझ आता , नाजनीन मैम के साथ कभी आँटो में जाने का मौका मिलता तभी अच्छा लगता मैम के पढ़ाने का तरीका बहुत अच्छा वे भी जो समझाती है बहुत अच्छी तरह समझ आता ।  भावना मैम उनके साथ पढ़ार्ई कम करते और मस्ती ज्यादा करते और डाँट भी खाते फिर भी वे भी बहुत अच्छी है उनका पढ़ाने का तरीका भी बहुत अच्छा है वे भी डाँटती पर वो उनकी डाँट भी भली लगती है । सुनिशा मैम जिनसे क्लास के पता नही कितने लोग डरते है पर मुझे उनसे आज तक कभी डर नहीं लगा इतने दिन रहने पर समझ आया कि वो बहुत अच्छी है मुझे सुनिशा मैम बहुत अच्छी लगती है वे भी डाँटती पर वो उनकी डाँट भी भली लगती है उनके पढ़ाने का तरीका बहुत अच्छा वे भी जो समझाती है बहुत अच्छी तरह समझ आता है ।
                  हमारी मोना मैम ने कहा था कि अपना विभाग सबका घर है ये घर भी बहुत प्यार है सभी शिक्षक भी बहुत अच्छे है सभी शिक्षकों ने मेरा भरपूर मार्गदर्शन किया है अब जब मैं कुछ  बनूँगी अपनी नयी पहचान बनाऊँगी तो सभी शिक्षकों को और अपने बी .एड के खूबसूरत दिनों को बहुत बहुत याद करूँगी ये खूबसूरत और प्यारे – प्यारे दिन , हमारा विभाग रूपी घर , सभी शिक्षकों का आशीर्वाद ही मुझे आगे और बहुत आगे लेकर जायेगा । आप सभी शिक्षकों मैं बहुत याद करूंगी ।


                                                            

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें