आपके घर में भी हो सकता है यह बच्चा


शिक्षित रूप से पिछड़ा बालक 
 सिरिक बर्ट ने कहा है पिछड़ा बालक वह है जिसकी शिक्षा लब्धि 85 से कम हो

 शोनेल के अनसार पिछड़ा बालक वह है जो विद्यालयी जीवन के मध्य में अपनी कक्षा से नीचे का कार्य ना कर पाए जो उसकी आयु का सामान्य कार्य है 

हिज मैजेस्टी ने कहा है पिछड़े बालक वे है जो उस गति से आगे बढ़ने में असमर्थ होते है जिस गति से उनकी आयु के ज्यादातर साथी आगे बढ़ रहे है

विशेषताएं
  •  सीखने की गति बहुत धीमी होती है ,
  •  सीखकर जल्दी भूल जाते है
  •  व्यवाहर से सम्बन्धी समस्या
  •  विधालय के पाठ्यक्रम से लाभ उठा नही पाते
  •  शिक्षण विधियों द्वारा शिक्षा लेने में दिक्कत
  •  मानसिक रूप से अस्वस्थ और असमायोजित व्यवहार होता है
  •  बुध्धि परीक्षाओं में निम्न बुध्दि लब्धि
  •  विद्यालय कार्य में अन्य बालको के समान प्रगति नही कर पाते है
  •  ऐसे बालक चिंता व् तनाव में ही रहते है सही गलत नही समझ पाते है
  • इन्हें प्यार, समाज में स्थान नहीं मिल पाते है जो इनका सीखना व् समझना कम कर देते है



पिछड़े बालक 
कारण
  1. सामान्य व कम विकास
  2. शारीरिक दोष व् रोग
  3. निम्न सामान्य बुध्दि
  4. परिवार का बड़ा आकार व् झगड़े, गरीबी
  5. माता पिता की अशिक्षा व् बुरी आदत
  6. विधालय का खराब वातावरण
  7. प्यार, समाज में स्थान नहीं मिलने से इनका सीखना व् समझना में कमी



पिछड़ेपन दूर करने के उपाय

  1. बालकों के शारीरिक दोष व् रोगों का उपचार
  2. शारीरिक निर्बलता दूर करने के लिए संतुलित भोजन शारीरिक व्यायाम
  3. नि:शुल्क शिक्षा छात्रवृति की योजना
  4. परिवार के वातावरण में सुधार
  5. माता पिता में अच्छी आदतों का निर्माण
  6. बालक की विधालय में उपस्थिति का निरक्षण के लिए निरक्षको की व्यवस्था
  7. बालक के लिए विशिष्ट विद्यालय व् कक्षा
  8. योग्यता के अनुरूप पाठ्यक्रम


पिछड़े बालको की शिक्षा 
पिछड़े बालको के लिए विशेष कक्षा 
  • विशिष्ट विद्यालयों की स्थापना यदि बालकों को सामान्य बालको के साथ शिक्षा दी जायेगी तो वे पिछड़ जायेगे और वे अपने स्वयं के स्तर के बालकों के साथ और पिछड़ जायेगे विशिष्ट विद्यालयों को उनकी कमियों का ज्ञान होगा और वे अपने जैसे बालको के बीच अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे इन विधालयों में प्रतिद्वंदिता कम उन्हें प्रोत्साहन अधिक मिलेगा 
  • यदि किसी कारण से पिछड़े बालक विशिष्ट विद्यालय नहीं बनाया जा सकता तो विशिष्ट कक्षा बनानी चाहिए इन में 20 ही छात्र होने चाहिए हर विषय की अलग कक्षा होनी चाहिए इन स्कूलों में इस कक्षा के लिए ज्यादा स्थान नहीं उन्हें कम से कम 2 कक्षा लगानी चाहिए 
  • पिछड़े बालक को शिक्षा देने के लिए अच्छे शिक्षकों की नियुक्त करना चाहिए 
  • पिछड़े बालक सफल तभी हो सकते है जब शिक्षक हर बालक के ऊपर ध्यान दे एक कक्षा में 20 से हयादा छात्र नही होने चाहिए 1 अध्यापक ही शिक्षा दी जाए 
  • पाठ्यक्रम लचीला , कम बोझ वाला , ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए वह बालक के लिए उपयोगी उनके जीवन से जुड़ा हो ,जरुरतो को पूरा करने वाला होना चाहिए 
  • पिछड़े बालक में चिन्तन या सोचने की क्षमता नहीं होती है विषयों में सिध्दान्तो व् नियम ज्यादा नही होने चाहिए 
  • बालक को कटाई ,बुनाई , जिल्दसाजी , और टोकरी बनाना , बेत धातु लकड़ी और चमड़े काम बालिकाओं के लिए बुनना , काढ़ना, सिलाई , भोजन बनाने , गरु विज्ञान के कार्य करवाने चाहिए 
  • पिछड़े बालको की आत्म - अभिव्यक्ति की शक्तियों का विकास करने के लिए उनको उनकी रुचितों और क्षमता के हिसाब ड्राइंग, संगीत, नृत्य, और अभिनय की शिक्षा देना चाहिए 
  • नैतिक गुण के लिए वीर पुरुष , महापुरुषों की कहानी व् नाटक के रूप में शिक्षा देना चाहिए 
  • सरल और रोचक शिक्षा हो 
  • शिक्षा धीमे से देना चाहिए 
  • बालक के दैनिक जीवन और सच्ची वस्तु से सम्बन्धित शिक्षा देना चाहिए 
  • मुहं से कम से कम पढ़ाना चाहिए 
  • जो पढाए जाए बार बार रिपीट करना चाहिए 
  • भौगोलिक ,ऐतिहासिक,सांस्कृतिक स्थान का भ्रमण कराना चाहिए 
  • जो वे पढ़ रहे उसे प्रयोग करने के अवसर देना चाहिए 
  • एक बार ज्यादा नहीं थोड़ा थोड़ा पढ़ाना चाहिए



जब तक पिछड़े बालक का विकास नहीं होग तब तक देश का  विकास bhee अच्छे से नही हो पायेगा और देश भी पिछड़ा हो जाएगा 

पिछड़े बालक को एक अच्छा संस्कार व् उचित शिक्षा उचित मार्गदर्शन मिले एव इतनी मदद करे ताकि वह भी सामन्य बालकों की तरह एक अच्छा नागरिक बन सके और बहुत प्रगति करे 

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें