भोजन
को स्वादिष्ट बनाने ,रंगने या संरक्षित करने के उद्देश्य से
उसमे मिलाए जाने वाले सूखे फल ,बीज जड ,छाल या सब्जियों को मसाला कहते है कभी-कभी मसाले का का उपयोग दुसरे फ्लेवर
को छुपाने के लिए किया जाता है
हल्दी
हल्दी
टर्मरिक
भारतीय वनस्पति है यह अदरक की प्रजाति का हल्दी
5-6 फुट तक बढने वाला पौधा है हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमात्कारिक पदार्थ के रूप में जाना जाता है हल्दी एक बहुत महत्वपूर्ण औषधि
हल्दी अपने धार्मिक रूप के कारण बहुत शुभ मानी जाती है
। विवाह की हल्दी रस्म में हल्दी का बहुत बड़ा स्थान
हैरसोई की शान होने के साथ-साथ हल्दी कई चमात्कारिक औषधीय गुणों से भरपूर है आयुर्वेद में हल्दी को बेहद महत्व का इसलिय माना है क्योकि चलत के इलाज
कफ़-खांसी अनेक बीमातियो के इलाज में मदद करती है हल्दी सौन्दर्य को बढाती है
प्राचीनकाल से ही इसका प्रयोग रूप को निखारने के लिए किया जा रहा है आज हल्दी का
प्रयोग उबटन व् क्रीमो में किया जा रहा है ।
जीरा
जीरा -
जीरा
क्यूमिनम सायमिनम एपियशी परिवार का फूल वाला पौधा है व्यक्ति के भोजन को जल्दी
पचाता है इसके बीजो को सुखाकर बहुत से खानपान व्यंजनों में साबुत या पिसा हुआ डाला
जाता है खाने को आकर्षक गंध देने का काम करता है ।
धनिया
- धनिया का मुख्य काम खाने को एक ख़ास तरह की महक
देना होता है धनिया की तासीर ठंडी होती है ।
धनिया के बीज सम्पूर्ण पाचन तन्त्र को मजबूत कर देता है धनिया बीज को रोज दो-तीन बार सौंफ की तरह चबाकर खाएं सौफ के साथ भी खा सकते है रोज आपको आपका चेहरा ताजा खिला दिखेगा ।
सौंफ -
धनिया |
धनिया के बीज सम्पूर्ण पाचन तन्त्र को मजबूत कर देता है धनिया बीज को रोज दो-तीन बार सौंफ की तरह चबाकर खाएं सौफ के साथ भी खा सकते है रोज आपको आपका चेहरा ताजा खिला दिखेगा ।
सौंफ -
सौंफ |
यह
पाचन बहुत अच्छी होती है मोटी सौंफ को भुनकर व् मिश्री के साथ पीसकर अगर खाया जाए
तो यह आँखों व् याददाश्त के लिए बहुत अच्छी होती है इन्दोर व् मध्य्प्रेध में कई
जगह पोहे में सौफ डाली जाती है स्वाद बढाने के लिए।
अजवाइन
- अजवाइन में साइमीन,अल्हेहाइड ,कार्बोन,लिनोनिन सुंगधित तत्व रहते है अजवाइन का प्रयोग पकवान बनाने में किया जाता
है ।
राई -
राई |
राई काली,पीली और बादामी रंग की होती है इसमें वसा की मात्रा ज्यादा होती है इसे हम
खाद पदार्थ को सड़ने से बचाने के लिए प्रयोग करते है जैसे अचार के मसाले में राई
डालते है ताकि वह सड़े नहीं ।
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हींग |
लहसून -
लहसून प्याज फूल एलिएसीकी एक प्राजाति है ।
लहसून पुरातन काल दे पाक और दवाइयों के लिए इस्तेमाल में लाइ जा रही है इसकी एक
ख़ास सुन्द होती है स्वाद तीखा होता है लहसुन पुरातन काल से दोनों, पाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इसकी एक खास गंध
होती है, तथा स्वाद तीखा होता है रोज लहसन की पाँच
कलियाँ खाई जाएं हदय के रोग नहीं होते है से लहसुन की पाँच लहसून का प्रयोग सब्जियों,पुलाव व् अन्य खाद्ध
पदार्थ में डालने से आकर्षक व् बहुत गंध आती है लहसून रक्त को शुद्ध करता है शरीर
में जो टूटफूट हुई उनकी मरम्मत करता है फेफडे व् गुर्दे के रोग के लिए अच्छा होता
है आत के रोग ,वाट के रोगियों के लिए लहसून खाना अच्छा होता
है ।
लहसून |
प्याज |
लौंग |
लौंग
- लौंग कैरीयोफाइलस ऐरोमैटीकस पेड़ के फूल की खूखी कली
होती है इसमें युगनेल और कैरीयोफाइलीन युक्त महक देने वाला तेल रहता है ।यूजीनिया
कैरियोफैलेटा नाम के सदाबहार पेड़ की सूखे फूल की कली है लौंग का उपयोग भारतीय
पकवानों में बहुत अधिक किया जाता है व् दवाई के रूप में भी इस मसाले का उपयोग भारतीय पकवानो मे बहुतायत मे किया जाता है। लौंग को पीसकर या साबुत खाने में डालने वह
सुगंध से भर जाता है दांत के मंजन ,साबुन ,इत्र दवा के रूप में लौंग काम आती है ।
इलायची
इलायची - इलायची का सेवन मुखशुद्धि
या मसाले के रूप में होता है इलायची दो तरह की होती है छोटी या बड़ी इलायची जहां
बड़ी इलायची व्यंजनों को लजीज बनाने के लिए व्यंजन में मसाले के रूप में डाली जाती
है वही हरी इलायची मिठाइयो की खुशबू बढ़ाने का काम करती है मेहमानों की आवभगत में
इलायची प्रयोग होती है इलाच्य्ही औषधीय गुणों की खान है इलायची शीतल,तीखी ,मुख को शुद्द करने वाली वात,सांस,खांसी,बवासीर,खुजली,सूजन,उल्टी,छले,बदहजमी,जीमचलने रोगों में
बहुत लाभ देती है ।
दालचीनी - दालचीनी
सिन्नेमोमम जाईलैक्निक्म ब्राइन पेड़ की छल है सिनेमिक एल्देहाइड गंधयुक्त तेल रहता
है जिसकी वजह से इसमें एक विशेष सुंगध होती है ।
केसर |
तेजपत्ता - तेज
पत्ता बे लोरेल का सुगन्धित पता होता है ताजा या सूखे पत्तो को उनके ख़ास स्वाद और
खुशबू के लिए खाना पकाने में इस्तेमाल किया जाता हाउ यह पेड़ की पत्ती होती है जिसे
पीसकर या साबुत ही प्रयोग किया जाता है इसमें सिनेमिक एल्देहाइड महक व् स्वाद
बढ़ाने तेल रहता है तेज पत्तियों में ऐसे गुण है जो उन्हें हाई ब्लड प्रेशर ,
शुगर,सर दर्द अल्सर व् एनी बीमरियों में के
इलाज में मददगार है ।
तेजपत्ता |
काली मिर्च - काली मिर्च में
स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है पिपली कुल के मरीचपिप्पली नामक की लता के
बारहमासी पौधे के अधपके और सूखे फलो का नाम काली मिर्च है पके सूखे फलों को चिलको से निकालकर गोल मिर्च बनाई जाती है व् मसाले में
प्रयोग की जाती है ।
लाल
मिर्च -
काली मिर्च
मिर्च
कैप्सिकम वंश के एक पादप का फल है यह सोलेनेसी कुल का एक सदस्य है लाल मिर्च
का स्वाद तीखा होता है व्यंजन में स्वाद व् रंग बढाने के लिए प्रयोग किया जाता है ।
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मेथी |
मेथी - मेथी
एक वनस्पति है इसकी पत्तियाँ साग बनाने के काम आती है और इसके दाने समाले के रूप
में डाले जाते है सेहत की दुष्टि से बहुत गुणकारी है मेथी हमे एक बेहतर सेहत और सौन्दर्य देती है मेथी हमें बेहतर स्वास्थ्य के
साथ सौंदर्य भी प्रदान करती है। पेट की गडबडी, त्वचा की
फुंसी,एसीडिटी मेथी एक गुणकारी
दवा है जो पेट व् एनी रोगों को दूर करेक कांतिमय त्वचा और स्वस्थ शरीर देती है
मेथी के पत्ते व् बीज दोनों दवा के रूप में उपयोग में आती है मेथीदाने स्वाद में कडवे होते है पर इसका चूर्ण व् साबुत ही खाने से बहुत सी बीमारियाँ दूर हो जाती है मेथी के पत्ते व बीज (मेथीदाना) दोनों का उपयोग औषधि के रूप में होता है। मेथीदाने स्वाद में कड़वे होते हैं परंतु इसके चूर्ण का उपयोग कई बीमारियों में औषधि के रूप में किया जाता है।
मेथी के पत्ते व् बीज दोनों दवा के रूप में उपयोग में आती है मेथीदाने स्वाद में कडवे होते है पर इसका चूर्ण व् साबुत ही खाने से बहुत सी बीमारियाँ दूर हो जाती है मेथी के पत्ते व बीज (मेथीदाना) दोनों का उपयोग औषधि के रूप में होता है। मेथीदाने स्वाद में कड़वे होते हैं परंतु इसके चूर्ण का उपयोग कई बीमारियों में औषधि के रूप में किया जाता है।
अमचूर - अमचूर सूखे कच्चे आम का पिआसा हुआ रूप है अमचूर सूखे
कच्चे आम का पिसा हुआ रूप है सब्जियों व् मसाले के
रूप में पोहे व् अन्य भोजन में खट्टापन लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है
अदरक -
अदरक
जिन्जीबरसी कुल का पौधा हैअदरक का इस्तेमाल व्यंजन बनाने के बीच में किया जाता है
अक्सर सर्दी के दिनों में खांसी जुकाम होने पर अदरक का प्रयोग खांसी सर्दी ठीक
करने के लिए किया जाता है और कई बीमारियों के लिए भी बहुत फायेदेमंद है इसके अलावा
भी अदरक कई और बीमारियों के लिए भी फ़ायदेमंद मानी गई है ।
1 टिप्पणियाँ:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-09-2017) को
निमंत्रण बिन गई मैके, करें मां बाप अन्देखी-; चर्चामंच 2740
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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