मेरे जीवन की यशोदायें


                 जीवन में माँ के अलावा अन्य स्त्रियाँ भी होती है जो हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है माँ तो पैदा करती है पाल-पोसकर बड़ा करती है पर मेरे जीवन के शुरुआती वर्षो से इन सभी स्त्रियों ने मुझे सम्हाला,मेरी देखभाल की , एकांत पलो का एकाकीपन मिटाया , इतने अनगिनत कार्य किये किये है जिसे गिनना नहीं जा सकता है पर हां मं सभी ने मेरे जीवन को एक नई दिशा दी है  




           प्रेमवती दादी- प्रेमवती दादी मुझसे उम्र में बड़ी थी मैं उन्हें दादी ही बुलाती थी दादी रोज पोने 12  बजे दिन में मम्मी के स्कूल जाने से पहले आ जाती थी और पूरा दिन भर रहती थीं तब मैं 1 साल की थी थोड़ा बहुत खेलती मुझे खाना खिलाती मम्मी सारे खिलौने बाहर ड्राईंग रूम में रख जाती थी मैं खिलौनों से खेलती और फिर मुझे सुलाकर वो खुद भी सो जाती  मम्मी का स्कूल पास में था तो मम्मी ढाई बजे घर आती थी फिर थोड़ी देर रहकर वापस स्कूल चली जाती थी मम्मी बताती हैं कभी कभी ऐसा होता था कि हम लोग सोते रहते थे और खिड़की से देखकर वापस स्कूल चली जाती थी कि हम सो रहे हैं कभी कभी मैं बाई की गोद में, मेरी गोदी में मेरा टेड्डी बीयर , टेडी की गोदी में उसका बच्चा ऐसे हम 3 लोग बैठे बैठे ही सोते रहते थे फिर शाम 5 बजे स्कूल की छुट्टी होने पर मम्मी घर आती तो मुझे बाई के साथ अच्छा लगता था मैं उन्हें जाने नहीं देती थी फिर मम्मी चाय बनाती थी तो मैं कहती थी मम्मी दादी के लिए भी चाय बनाओ फिर प्रेमवती दादी चाय पीकर ही जाती थी । थोड़े समय बाद दादी ने आने बंद कर दिया क्योंकि उनकी तबीयत खराब रहने लगी थी फिर कुछ समय बाद उनका निधन हो गया l

          
नीरा दीदी 
नीरा दीदी- 1992 में 1 महीने ही साथ रही जब मैं नर्सरी जाने के पहले अपने घर के सामने एक आँटी रहती थी जो घर छोटे बच्चों का स्कूल चालाती थी । तब मेरी मम्मी ने नीरा दीदी को मुझे सम्भाहलने के लिए रखा था जो 1 बजे स्कूल पहुँचा देती थीं और छुट्टी होने पर 4 बजे लेने आती थी । कभी कभी बहुत जल्दी स्कूल पहुंचा देती थी शुरू शुरू में तो स्कूल वाली मैडम ने कुछ नहीं कहा पर वो दीदी अक्सर जल्दी पहुंचा देती थी इसकी शिकायत मैडम ने मम्मी से की थी कि ये नीरा बहुत जल्दी कोपल को स्कूल छोड़ देती है और लेने भी बहुत देर से आती है l
          कभी कभी मम्मी अपने स्कूल से घर के आने के बाद लेकर आती थी औऱ मैडम ने मम्मी को बताया कि कोपल को आप टिफिन में खाने के लिए कुछ क्यों नहीं देती हो हम कोपल को भूख लगने पर अपने घर का खाना लाकर देते है फिर मम्मी ने मुझसे पूछा कि टिफिन का खाना कहाँ है तो मैंने बताया कि वो तो दीदी खा लेती हैं और बोलती है कि अगर मम्मी को बताएगी तो बहुत मारूंगी । फिर मम्मी दीदी के लिए भी अलग से खाना देती थी  
          दीदी बहुत शिकायतें मम्मी को पड़ोस की रेशमा आंटी बताती थी कि कोपल की मम्मी आपके स्कूल जाने के बाद नीरा कोपल को बहुत मारती है और गालियां देती है और उसकी बहुत चोटी कसकर बांधती है । कोपल का टिफिन खा जाती है औऱ कोपल बहुत ज्यादा रोती है एक बार मम्मी मुझे घर के अंदर कूलर रखा था रूम  कूलर मुझे उस पर खेलने के लिए बैठा दिया औऱ नहाने चली गई मम्मी ने सोचा कोपल खेल रही हैं औऱ नीरा देख लेगी मम्मी ने बस नहाना शुरू किया था औऱ मेरे हाथ से खिलौना छूटा गया और बैलेंस नहीं बनने की वजह से  औऱ मैं गिर गई  नीरा दीदी पास नहीं थी वो कुछ औऱ काम करने लगी थी मम्मी को रोने की आवाज़ आई मम्मी जल्दी से आई मुझे  उठाया l
            फिर मम्मी ने उन्हें बहुत डांटा की  पास में रहना चाहिए छोटे बच्चे को छोड़कर नहीं जाना चाहिए गिरने की वजह से मेरे सामने दो दाँत टूट गए थे और सिर में गुम्मा फूल  गया था बहूत देर तक मम्मी मुझे गोदी में लिए हुए सिर पर बर्फ मलती रही औऱ नीरा दीदी की रोज शिकायते मिलने के बाद मम्मी ने महीने के पूरे  पैसे दिए और उसे काम छोड़कर जाने के लिए बोल दिया ।
       मीरा दीदी - 92 1 महीने - मीरा दीदी बहुत अच्छे से रखती थी औऱ टाइम पर घर से स्कूल छोड़ती थी और टाइम पर घर । थोड़ी देर मेरे साथ खिलौने से खेलती थी पर ज्यादा दिन वो नहीं रही क्योंकि उनके घर में कुछ समस्या हो गई जिसकी वजह से वो बहुत परेशान रहने लगी औऱ उन्होंने काम छोड़ दिया ।
          
मैं और अनिता दीदी 
अनिता दीदी
- 93 - 2001 तक  अनीता दीदी  बहुत लंबे समय तक साथ रही उनकी रंगत साँवली काली थी जिस दिन वो पहली बार आई मैंने देखा ये तो काली मुझे छुएंगी तो मैं काली हो जाऊँगी मैंने उनको बोला दीदी आप जाकर नहा लो फिर उसके बाद थोड़े दिन तक अजीब सा लगता रहा फिर उनकी आदत हो गई स्वभाव बहुत बढ़िया था वो मेरे साथ बहुत ज्यादा मस्ती करती पूरी बच्ची बन जाती थी मम्मी मेरे औऱ उनके दोनों के लिए खाना ड्राइंग रूम में रखकर जाती थी और बाकी कमरे बंद बाकी खेलने का सामान भी रख जाती थी जब दीदी मुझे जब खाना खिलाती तो  मैं बहुत नखरे करती थी उनको बहुत तंग करती थी वो मुझे हमारे ड्राइंग रूम में एक खिड़की थीं खुद खिड़की पर बैठ जाती औऱ अपने सर पर एक दुपट्टा बांध लेती थी और पान वाली बाबू बनकर एक एक कौर में आलू, दूसरी सब्जी रखकर बोलकर खिलाती थी ये मम्मी के नाम का ,ये पापा के नाम का और परिवार के और भी लोगो के नाम लेकर खिलाती थी , हम दोनों बहुत खूब मस्ती करते जब दीदी सोती थी तो मैं उन्हें सोने नहीं देती फिर दीदी कहती थी अच्छा ठीक नहीं सोते का चलो खेलते हैं कभी - कभी दीदी बहुत थक जाती थी तो कहती थी थोड़ी देर सोते है फिर खेलेंगे  ।
           अनिता दीदी मेरे साथ खिलौने वाले बर्तन में खाना बनाती , कभी लूडो, कभी ताश पत्ते खेलते , कभी वो मुझसे सवाल जवाब करती । दीदी मेरे साथ पूरे 7 साल रही रोज नई बाते होती । दीदी बहुत ईमानदार औऱ समय की पाबन्द थी ठीक 12 बजे आ जाती जिस हिसाब से मेरे स्कूल का टाइम चेंज होता उसके हिसाब से वो आती थी बस संडे नहीं आती थी । हमने एक जैसी फ्रॉक भी बनवाई थी जिस पहनकर फोटो भी खींची थी पापा ने , मेरी मम्मी दीदी को पढ़ना और लिखना सिखाती थी क्योंकि वो पढ़ना-लिखना नहीं जानती थी दीदी बहुत जल्दी पढ़ना - लिखना सीख गई थी दीदी खाली समय में अखबार पढ़ लेती थी शाम को जब मम्मी आती थी हम दोनों उन्हें अपना -अपना होमवर्क दिखाते थे और मम्मी हमसे पूछती की क्या -क्या पढ़ा फिर 2002 में दीदी चली गई हमारे घर आस-पास थे तो मिलने आ जाती कभी मैं मिलने चली जाटी थी l सन 2004 में उनकी शादी हो गई औऱ अब दीदी मुसरा गाँव में है जो यहाँ राजनंदगांव के करीब है कैसी है कुछ पता नहीं बस जिंदगी के मस्तीभरे लमहों में साथ थी जो मेरे बचपन को यादगार बना गई । वो कहते है ना की इंसान चाहे गोरा हो या काला या साथ रहने लगे तो औऱ प्यारा लगने लगता हैं
         
रानी 
       रानी -   रानी हमारे घर कामवाली आँटी आती थी उनकी बेटी थी रानी सब आँटी को रानी की माँ ही बुलाते थे रानी भी मेरे साथ रहने आती थी , हम बहुत सारे खेल खेलते कभी सहेली बनते कभी औफिस-औफिस खेलते , पति पत्नी बनने का नाटक करते, कभी डाकू बनकर चोरी वाला खेल खेलते , कभी मैं रसोई बनाने वाली कभी कुछ हम एक साथ खाना खाते बहुत मस्तियाँ करते , कभी एक दूसरे को खूब तैयार करते नाचते गाते धूम मचाते । रानी औऱ मैं एक साथ पढाई भी करते थे फिर कुछ समय बाद रानी चली गई क्योंकि उसके स्कूल का टाइम बदल गया था । आज रानी जगदलपुर में है उसकी शादी हो गई है रानी और संतोष जी की 2 बेटियां हैं ।
       
लता / प्रिया 
लता/प्रिया
- लता का नाम बदलकर मैंने प्रिया रख दिया था क्योंकि लता नाम मेरी मम्मी का है सोचा अपनी मम्मी का नाम कैसे लू प्रिया को मेरे साथ रहने के लिए मेरे 13 वर्ष की उम्र में रखा गया वैसे तो इस उम्र में ज़रूरत नहीं होती की कोई इस तरह साथ रहे पर उसी वक्त मेरे दादाजी का निधन हुआ था  दादाजी मेरे साथ 2 साल रहे आदत छूट गई थी अकेले रहने की l अकेले कहीँ पागल ना हो जाऊँ इसलिए मम्मी ने प्रिया को रखा था । मेरा सुबह स्कूल लगता था मैं 12 बजे आ जाती थी और मेरी मम्मी स्कूल और पापा बैंक जाते थे  तो खाली वक़्त में प्रिया मेरे साथ रहती थी हम बहुत सारी बातें करते, कहानियां सुनाते एक दूसरे को , नये खेल खेलते साथ टीवी देखते, खाना खाते। यूँही वक्त आगे बढ़ गया और मैं 9 th क्लास में चली गई जो तो स्कूल दोपहर की पाली का होता था । फिर प्रिया वापस चली गई हालांकि थोड़े दिन तक मिलने आती रही । फिर कुछ दिन बाद बीच - बीच में प्रिया के आने का सिलसिला टूट गया फिर कभी वो प्रिया वापस नहीं आई । आज वो कहाँ पता नहीं है ।
जननी 
           
      जननी - मेरे कॉलेज के समय बस कुछ ही समय साथ रही उस वक्त मैं बी०एच ० एस सी फर्स्ट ईयर में थी जब हम लोग अपने नये घर आये थे तब कॉलेज से आने के बाद दिनभर बहुत बोरियत होती थी जननी साथ रहती थी हम बाते करते, मै अपना लिखती पढ़ती वो अपना सिलाई बुनाई का काम करती रहती । कभी खूब मस्ती करते मैं उसके ऊन का सूजा सलाई छुपा देती फिर वो खोजती मैं उसे नहीं देती ।






मैं और जननी 

           फिर एक दिन देखा मैंने की जननी चोरी करती हैं क्योंकि घर में हम तीन लोग औऱ चौथी जननी कभी मेरे रूम से पैसे चोरी हो जाते , कभी गणेश जी के पास रखा प्रसाद मैं सोचती की चीटियां इतनी जल्दी कैसे खा जाएगी , फिर दादाजी की बेशकीमती 
पीतल की पूजा की घण्टी भी चोरी हो गई जिसपर उनका नाम लिखा था ''जगमोहन कोकास'' जब मैंने जननी से पूछा कि क्या तुमने चोरी की है तो उसने साफ़ इंकार किया फिर मैंने उससे जबरदस्ती पूछा तो बोली हां दीदी बस एक बार प्रसाद खाया था मैं समझ गई सब चोरियां इसी ने कि है मैंने उससे बोला की अगर खाया था या कुछ लिया तो बता देती हम मना नहीं करते चोरी करना गलत बात है आज हम तुम्हे समझा रहे है ज्यादा नहीं बोल रहे है पर कल फिर किसी के घर में इसी तरह चोरी करोगी तो हो सकता है वे लोग तुम्हे जेल भेज दे वो थोड़ा सा समझी और बोली माफ़ कर दो दीदी अब नहीं करूंगी l फिर वो कुछ दिन ही रही और चली गई क्योंकि मुझे कॉलेज में ज्यादा समय तक रुकना पड़ता था इसलिए हमने जननी को जाने को कह दिया ।
            मैंने अपनी जिंदगी में कुछ अच्छा औऱ बुरा समय भी देखा है में बहुत छोटी सी उम्र में मुझे कभी प्यार मिला , कभी दुत्कार ,कभी दुख ,कभी मार   शायद इसलिए मैं चाहे वो घर में काम करने वाली बाई हो या अन्य कोई मेहनत मजदूरी करने वाली स्त्री उन पर बहुत प्यार आता है क्योंकि जिस तरह की ये जीवन बिताती है उसे देखकर दुख भी होता है और गर्व भी की भले ही काम छोटा हो या बड़ा ये बहुत मेहनत करती है और ये अपनी मेहनत के बलबूते पर अपने परिवार का भरणपोषण करती है l  

             मेरी मम्मी मेरे साथ रहने वाली इन दीदीयों को पैसे देती थीं ,उनकी पढ़ाई के लिए पैसे देती थी , बीमार होने पर अस्पताल ले जाती थी ,नए कपडे देती थी व इनके परिवार के अन्य सदस्यों की ज़रूरतें पूरी करती थी l

इन सभी दीदीयों को मेरा सलाम 🙏🏻🙏🏻


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