आज का बालक कल का आदर्श नागरिक

                         
                       
                           पूर्व बाल्यावस्था 3-6 से वर्ष की अवस्था है बाल्यावस्था जीवन की महत्वपूर्ण अवस्था है मानव जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में से बाल्यावस्था एक ऐसी अवस्था होती है की हम जो भी concept  या नीव बच्चों में डालते है वह वयस्क होने पर भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में रहती है
                            बाल्यावस्था जीवन की ऐसी सम्वेदनशील अवस्था है जिसमें बच्चा पालक के अलावा अपने परिवार के सदस्यों के अलावा अपने आसपास के वातावरण को समझने की कोशिष करता है

                 पूर्व बाल्यावस्था के बाद नियमित औपचारिक शिक्षा लेने का समय आता है इसलिए पूर्व बाल्यावस्था को शाला में जाने की औपचारिक रीति से शिक्षण लेने की तैयारी का समय कहा सकते है
इस अवस्था को peer age और अवलोकन की अवस्था को onlooker stage कहते है

                     बाल्यावस्था में ही  बालक वातावरण पर नियन्त्रण व् समायोजन करना  सीखता है

Watsan ने कहा है - ''बालक learning के प्रति बहुत सुग्राही होता है इसलिए बालक गीली मिट्टी की तरह होता है जिन्हें हम जिस आकार में ढालना चाहते है ढाल सकते है । ''

Adler ने कहा है - '' एक व्यक्ति के व्यक्तित्व की आंतरिक संरचना बाल्यावस्था में तैयार हो जाती है ।''

Newman ने कहा है '' हम बाल्यावस्था में बच्चे को उसकी इच्छा के अनुसार मोड़ सकते है ।''

कुम्हार अपनी कृति बनाते समय मिट्टी को थोप थोपकर उपयुक्त पानी एवं ताप देकर मजबूती प्रदान करता है पूर्व शाळा के बालक भी इसी स्थिति में होते है

पूर्व बाल्यावस्था में बालक को विभिन्न कौशलो के निर्माण के लिए कार्य - 
बच्चे की दुनिया 
  • बालको को उचित पौष्टिक व संतुलित भोजन देना चाहिए   
  • पूर्व प्राथमिक बालक अपने अच्छे विकास के लिए अच्छा शांत स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण चाहता है उसे घर और स्कूल में उसे इस तरह का वातावरण देना चाहिए  
  • बालक अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए दूसरो पर निर्भर रहता है उसकी असहाय स्थिति में उसे डांटना या मारना नही चाहिए डर व गुस्सा नही दिखाना चाहिए बालक के साथ प्यार और सहानुभूति वाला बर्ताव रखना चाहिए   
  • उन्हें ऐसे खेल - खिलौने लाकर दे जिससे उनमे रचनात्मकता व् उनकी बुद्धि का विकास ही 
  • बच्चों में शारीरिक मांसपेशिय समन्वय  को पूरी तरह विकसित करने के लिए बच्चो से सीढ़ी चढ़ना रस्सी कूदना , फेकना , संतुलन बनाना , ठोकना , लात मारना , झूला झूलना , सीढ़ी लाइन में चलना , जिक जैक लाइन चलना , बटन खोलना बंद करना हथेलियों से वस्तु पकड़ना  
    बच्चे झूलते हुए 
  • बच्चो को स्वास्थ आदतों को सीखने को उन्हें पुरस्कार देना चाहि अच्छे से नहाना ,शरीर की सफाई रखना , खाना खाने से पहले व् बाद में साबुन से हाथ धोना , नाखून काटना ,अपनी  की चीजे जमा कर रखना , स्वयं खाना , स्वय कपड़े पहनना , आदि सिखाना चाहिए  
  • बालक कल्पना की दुनिया में रहता है उसी को वास्तविक संसार समझता है उसे ऐसे विषयों की शिक्षा देना चाहिए जो बालक को वास्तविकता के करीब लाये  
  • पूर्व बाल्यास्था में बालक में उत्सुक्ताएं अपने शीर्ष पर होती है बच्चे वातावरण से सम्बन्धित प्रश्न पूछते है बच्चो को ऐसे अवसर देना चाहिए विशेष विज्ञान से सम्बन्धित अनुभव ,जानवर ,पेड़ , फल , फूल और उनसे सम्बन्धित जानकारियाँ देनी चाहिए छोटे-छोटे वैज्ञानिक तथ्य जो वातावरण से जुड़े होते है बच्चों को दिन -रात कैसे होते है ऐसी जानकरी बच्चो दी जानी चाहिए  
  •  बालक को  सिखाया जाए वे किस प्रकार अपनी भावना को अभिव्यक्त करे अपनी जिद्दी व्यवहार को कैसे कम किया जाए , अपनी आत्मक्र्मकता पर कैसे काबू रखे बच्चो में सहनशीलता को भी प्रोत्साहन देना चाहिए उनमे छोटी छोटी कहानियों व् कविताओं के माध्यम से इन गुणों का विकास करे 
    बच्ची और पिता गीली मिट्टी को आकार देते हुए 
  • बालको में सृजनात्म्कता के लिए पर्याप्त अवसर देना चाहिए बच्चो के सामने विभिन्न  सृजनात्म्क अनुभव प्रस्तुत किये जा सकते है जैसे मिट्टी से खिलौने बनाना , क्ले मोडलिंग , गीले आटे को आकर देना कहानी,कविता , रंग भरना ,आकार पेंटिंग , स्पंज से क्रेयोंस से रंग से भरना पेपर की कटिंग से पेन्सिल द्वारा कोलाज बनाना , रेत से
    बच्चे गिनती करते हुए 
    खेलना , पजल बनाना , मोटी पिरोना ,जार या बर्तन में बिना गिराए पानी भरना , ब्लोक से बिल्डिंग बनाना , मिट्टी की गोलिया बनाना , इसके अलावा collection जुड़े काम करने देना coins collection ,पत्ती इकट्टी करना , रंगो की मोतिया , पत्थर , फूल , फल सब्जिया  गीत - संगीत नृत्य के माध्यम से विभिन्न अच्छी बाते सिखाए आदि उन्हें रचनात्मकता के काम देना चाहिए ताकि वे मोटिवेट को कुछ नया ढूढने व नया एक्सपेरिमेंट करने के लिए  
  • बच्चो में सौन्दर्यबौध अनुभति का विकास करना जरूरी है ताकि वे प्रकृति से प्रकृति की बातो वातावरण को अच्छे से समझ सकते है  सौन्दर्यत्मक अनुभूति से बच्चो में विभिन्न प्रत्ययो का निर्माण होता है बच्चो को sunset और sunrise के समय sky में क्या बदलाव होता है दिखाना , चिड़ियां की मीठी आवाज सुनाना , चिड़ियाघर लेकर जाए वहां जानवर दिखाना दिखाकर उनके नाम बताना चाहिए , संगीत ,नृत्य, झरने से गिरते पानी की आवाज सुनाना , रंगबिरंगी तितलियाँ , रंगो के फूल , फल सब्जी उन्हें indentify करने कहना चाहिए बच्चो में रंगो के कोंसेप्ट डेवलप करना चाहिए  
विभिन्न बुक्स जिसमे अलग- अलग चीजो के चित्र हो वे भी बचे के लेकर आये

बच्चा ब्लोक जोड़ते हुए 
  • बालक में आत्माभिव्यक्ति को विकसित करने के लिए भाषा बहुत सशक्त माध्यम है इसलिए पूर्व बाल्यावस्था से सही व शुध्द उच्चारण के लिए प्रेरित करना चाहिए उन्हें विभिन्न जानवर , फल सब्जी व् अन्य चीजे दिखाकर वाक्य बनाने के लिए मोटीवेट करना चाहिए  इससे बच्चो का शब्द भंडार बढेगा सुर उनमे सही वाक्य निर्माण की योग्यता विकसित होगी भाषा के विकास के लिए बच्चों को छोटी-छोटी कविता ,कहानी सुनानी चाहिए बालक अपने आप भी कहानी बनाकर सुना सकता है
  • बच्चों में मानसिक क्रियाए बहुत तेजी से होती है बालक को सोचने ,समझने मानसिक क्रियाओं के अधिक से अधिक अवसर देना चाहिए  
    बच्ची को माता पिता कहानी सुनते हुए 
  • पूर्व बाल्यावस्था में बालक दुसरे बच्चों के साथ मिलना-जुलना और खेलना पसंद करता है , इस बात का अवसर दिया जाना ताकि उसमे सामाजिक भावना का विकास हो सके
  • बालक में समूह में काम करने देना चाहिए यह एहसास करना चाहिए की वह समाज का महत्पूर्ण सदस्य है सच बोलने , बड़ो का सम्मान करने , समय पर कम करने दूसरो का सहयोग करने , अपनी चीजो को सम्हाल के रखना हिस्सा बांटना आदि गुणों का विकास करने के लिए बच्चो को ऐसे खेल खिलाना चाहिए जो समूह क्रियाओं को incourage करने वाले हो

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