एक कटोरा सेहत का

One bowl of fitness


अंकुरित अनाज के लिए अनाज
सबसे पहले किराने की दुकान से 100 - 100 ग्राम
मूंग
मोठ
मसूर
मैथी
मटर
मूँगफल्ली
चना
गेहूं
अजवाइन
तिल

ले आइये औऱ इन्हें अपने घर पर बनाए

अंकुरित अनाज खाने के  फायदे इतने अच्छे हैं कि इसे आप एक बार आदत होने पर रोज खायेगे

1 बाल झड़ना कम हो जायेगे घने व चमकदार हो जायेगे ।
2 रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती हैं शरीर के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं ।
3 त्चचा पर उम्र के निशान इसे खाने से नहीं दिखते व्यक्ति पहले से अपने आपको जवां महसूस करता है औऱ चेहरे चमकता रहता है ।
4 आप अंकुरित अनाज को बेहतर है कच्चा ही खाएं इसे तले नहीं तेल में वरना इसके गुण खत्म हो जायेगे ।
5 रोज चाहे नाश्ते या खाने में जब खाये एक कटोरा अंकुरित अनाज खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है और हम अपने आपको पहले से अधिक युवा  स्वस्थ व शक्तिशाली महसूस करेंगे ।
6 यह अनाज खनिज लवणों से भरपूर है इसमें विटामिन ए , कैल्शियम , फास्फोरस, पोटेशियम क्लोरोफिल , मैग्नीशियम के बहुत अच्छे स्त्रोत है ।
7 अंकुरित अनाज बहुत पोष्टिक होता है ।
8 जब हम अनाजों का अंकुरण हो जाता है तो इसे खाने पाचन क्रिया में बहुत फायदा होता है खाना जल्दी और आसानी से पचता है ।
9 अंकुरित अनाज में फाइबर बहुत होता है इसे खाने से आप महसूस करेंगे पेट भरा है आप कम खाएंगे तो अधिक ना खाकर स्वंय को मोटे होने से बचा लेंगे ।
10 अंकुरित अनाज को कच्चा ही खाएं तो अच्छा है इसे तले नहीं बल्कि आप इसमें स्वाद बढ़ाने के लिए काटकर प्याज , टमाटर, नीबूं डाल सकते हैं व अन्य कच्ची सब्जियां । व साथ मे ड्राय फ्रूट्स भी खा सकते हैं ।
Fit and healthy

अच्छी सेहत के लिए अंकुरित अनाज खाइये औऱ इसका स्वयं पर अन्य लोगों से जादू बाँटिये ।

1 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-09-2015) को "देवपूजन के लिए सजने लगी हैं थालियाँ" (चर्चा अंक 2731) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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