" स्त्री पढेगी तभी तो संसार गढ़ेगी "
स्त्री शिक्षा किसी भी देश को पूर्ण रूप से विकसित होने के लिए वहां की महिलाओं का शिक्षित होना जरूरी है । यह एक तरह से दवाई जैसा है जो मरीज को ठीकहोने में मदद करती है और उसे फिर सेहतमन्द बनने में मदद करती है महिला शिक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा है। भारत को आर्थिक रूप से तथा सामाजिक बनाने में । शिक्षित महिला उस तरह का औज़ार है जो भारतीय समाज पर अपने परिवार पर सकारात्मक प्रभाव डालती है देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के पीछे शिक्षित महिला अमूल्य योगदान होता है।
पौराणिक काल के
भारत से
महिलाओं के
लिए शिक्षा का उचित प्रबंध था
परंतु मध्यकालीन युग के
आते आते
महिलाओं पर
कई तरह
की पाबंदिया लगा दी
गई थी
आज देश
और समाज महिला की
शिक्षा के
लिए जागरूक हो गया
है । पुरूषों के समान महिलाओं का
शिक्षित होना ज़रूरी है। स्त्री पुरुष दोनों जीवनरुपया गादी के दो पहिये व् सिक्के के जो अगर पढ़ लिखर कंधे से कंधा मिलाकर चले कुछ करे तब ही देश का सफलता से विकास हो सकता है ।
महिला शिक्षा बहुत आवश्यक है
एक स्त्री अपने बच्चों की पहली शिक्षक हैं
जो आगे
चलकर देश
को नई
पहचान देंगे किसी बच्चे का भविष्य उसकी माँ
द्वारा दिए
प्यार और
परवरिश पर
निर्भर करता हैजो एक
महिला ही
कर सकती है हर
बच्चा अपनी ज़िंदगी की
पहली सीख
अपनी माँ
से ही
हासिल करता है इसलिए माँ का
शिक्षित होना बेहद जरूरी है जिससे वह अपने बच्चे में
वे गुण
डाल सके
जो उसके जीवन को
सही दिशा दे सके
।
एक
स्त्री जब
शिक्षित होती है तो
वह सम्पूर्ण देश, राष्ट्र व् समाज को
शिक्षित करती है ।
एक महिला अपने जीवन में अनेक रिश्तों में
बंधने से
पहले वह महिला देश की
आज़ाद नागरिक है तथा
वह उन
सब अधिकारों की हकदार है जो
पुरुषों को
मिले हुए
है ।
उसे अपनी इच्छा अनुसार शिक्षा ग्रहण करने का
हक है
जिससे वे
अपने मनपसंद श्रेत्र में
कार्य कर
सकें ।
महिलाओं को
अपने पैरों पर खड़ा
करने तथा
आत्मनिर्भर बनाने में शिक्षा सहायता करती है ।शिक्षा न सिर्फ महिलाओं का
समाज में
स्तर ऊँचा करती है बल्कि महिलाओं के प्रति समाज में
स्तर ऊँचा करती है बल्कि महिलाओं के समाज की उस
संकीर्ण सोच
, जिसमें उन्हें माँ बाप
पर बोझ
की तरह
देखा जाता था को
भी खत्म करती है।
स्त्री शिक्षा के उद्देश्य -
- जब स्त्री शिक्षित होती है तो सर्वांगीण व्यक्तित्व का विकास का होता है ।
- स्त्री की शिक्षा ऐसी हो की वह योग्य माता , गृहिणी, कार्यकर्ता ,सहयोगी बन सके ।
- धार्मिकता, नैतिकता, चरित्र निर्माण और शांति स्थापना का स्रोत बनाना ।
- स्त्री शिक्षा संस्कृति का समन्वय करना चाहिए जिससे वह उस संस्कृति का प्रसार करने का उत्तरदायित्व निर्वाह कर सके ।
- जिससे यदि किसी स्त्री के पास अवकाश का समय बचता है तो वह उसका सदुपयोग व्यवसायिक एवं जीवकोपार्जन के कार्यो द्वारा कर सकती है
- स्त्री प्रजातंत्र की प्रणालियों से परिचित है तो वह घर का वातावरण भी प्रजातांत्रिक बना सकती है ।
- स्त्रियों को विकास की सुविधाएं और अवसर देकर प्रत्येक क्षेत्र में नेतृत्व का शिक्षण देना चाहिए जिससे वे राष्ट्र की सेवा कर सके ।
स्वतंत्रता के पश्चात स्त्रियों की शिक्षा के लिए आयोगों व् समीतियो के कार्य -
1) राधाकृष्णन कमीशन - 1948-49
2) राष्ट्रीय शिक्षा नीति
-1986
3) राष्ट्रीय समिति का
गठन - 1974 में
हुआ
4) प्रोफेसर राममूर्ति समिति
1991
5) योजना आयोग -
6) राष्ट्रीय महिला शिक्षा समिति - 1958
7) शैक्षिक स्तर समिति की रिपोर्ट
- 1975
8) राष्ट्रीय महिला आयोग
- 1990
महिला शिक्षा की बेहतरी के निम्नलिखित योजनाएं चलाई जा रही है -
- . सर्व शिक्षा अभियान
- . इंदिरा महिला योजना
- . बालिका समृद्धि योजना
- . राष्ट्रीय महिला कोष
- . महिला समृद्धि योजना
- . रोजगार तथा आमदनी हेतु प्रशिक्षिण केंद्र
- . महिलाओं की प्रगति के लिए विभिन्न कार्यक्रम
महिला शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारक -
- · कुपोषण तथा भरपेट खाना न मिलना
- · नाबालिग उम्र में यौन उत्पीड़न
- · माता पिता की खराब आर्थिक स्थिति
- · माता पिता या सास ससुर का कहना मानने का दवाब
- · ऊंची शिक्षा हासिल करने की अनुमति ना होना
- · स्वास्थ्य सही ना होना
यदि
हम स्त्रियों को बहुत सारी बेड़ियों में जकड़कर
, बन्द करके उन्हें केवल इस बात
के लिए
जीवित नहीं रख सकते है की वे
खाना बनाने
, कपड़े धोने
, घर संभालने
, बच्चे पैदा करने की
मशीन है
तो यह
सही नहीं है स्त्रियों का अधिकार है पढ़ना लिखना आगे
बढ़ना और देश के विकास में उन्नति करना | स्त्री अगर पढ़े लिखे तो पति या घर के सदस्यों की मदद कर सकती है । हम बात करते है की स्त्री को शिक्षित कैसे किया जाए परन्तु स्त्री को थोड़ा सा प्रेरित किया जाए तो वह जरुर शिक्षित हो सकती है आज भी कई गावों , देश , समाज में अभी भी महिलाएं घर की चारदीवारी में बंद है ऐसा नहीं है की वे पढ़ना नहीं चाहती है वे चाहती है पढना आगे बढना कुछ करना पर अभी भी कहीं न कंही पुरुषों की मानसिकता यही बनी है की स्त्री सिर्फ घर का कार्य करे घर में रहे बच्चे सम्हाले तो ही अच्छी लगती है । ज़रूरत तो सोच व् मानसिकता बदलने की है स्त्री तो स्वयं के बल पर खुद भी शिक्षित हो सकती है और देश को भी कर सकती है पर अगर लोगो की मानसिकता बदल जाए तब ही सम्भव हो सकता है एक स्त्री का पूर्णरूप से शिक्षित होना ।
" सोच सुधरेगी तभी तो स्त्री आगे बढ़ेगी "
2 टिप्पणियाँ:
स्त्री शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य है आत्मनिर्भर होना
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