राष्टपिता महात्मा गांधी की जयंती






मोहनदास करमचन्द गांधी 2 अक्टूबर 1869 -30 जनवरी 1948 )भारत एवं स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे वे सत्याग्रह के माध्यम अत्याच्र्र के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे ,उनकी इस अवधारणा की नीवं सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धांत पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्व्त्रन्त्ता के प्रति आन्दोलन के लिए प्रेरित किया उन्हें दुनिया में महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है उन्हें बापू और राष्टपिता के नाम से याद किया जाता है प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को सम्पूर्ण भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अंतराष्टीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है   
सन २००६ में जब हम दिल्ली गए थे तो बावू की समाधि पर अवश्य गये बापू की समाधि का एक चित्र 
गांधी जी ने अपने जीवन के कुछ सिद्धान्त बनाये थे  वे जीवनभर इन सिद्धांतो पर चलते रहे ये सिद्धांत इस प्रकार है - 

1 सत्य  - 

गांधी जी अपने जीवन में हमेशा सत्य बोलते थे और लोगो को सैदेव सत्य बोलने के लिए प्रेरित करते थे सत्य मेरे लिए सर्वोपरी सिद्धांत है मैं वच्म और चिन्तन में सत्य की स्थापना करने का प्रयत्न करता हूँ गांधी जी अपना जीवन सत्य की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वयं की गलतियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की उन्होंने अपनी आत्मकथा को सत्य के प्रयोग का नाम दिया   


2  अहिंसा -   अहिंसा पर गांधी जी ने बड़ा सूक्ष्म विचार किया है मैं समझता हूँ मन ,वचन और शरीर से किसी को भी दुःख पहुंचाना अहिंसा है लेकिन इस पर अम्ल करना असम्भव है  


 3 ब्रम्हचर्य  -    जो मन,वचन और कार्यो से इन्द्रियों को अपने वश में रखता है , वही ब्रम्हचारी है । जिसके मन के विकार नष्ट नहीं हुए हो उसे ब्र्म्हाचारी नहीं कहा जा सकता मन वचन से विकारी जागृत नही होने चाहिए ब्रम्हचर्य की साधना करने वालों को खान-पान का सयंम रखना चाहिए उन्हें जीभ का स्वाद छोड़ना चाहिए और बनवत तथा श्रृंगार से दूर रहना चाहिए संयमी लोगो के लिए ब्रम्हचर्य आसान है 


4 चोरी न करना  -  दुसरे की वस्तु बिना इजाजत लिए लेना चोरी है जो वस्तु हमे जिस काम के लिए मिली हो उसके सिवाय दुसरे काम में लेना या जितने समय के लिए मिली हो उससे ज्यादा समय तक काम में लेना भी चोरी है अपनी कम से कम जरूरत से ज्यादा मनुष्य जितना लेता है वह चोरी है 

5 अपरिहार्य  -     जिस प्रकार चोरी करना पाप है उसी प्रकार जरूरत से ज्यादा चीजों का संग्रह करना भी पाप है इसलिए हमें खाने की आवश्यक चीजें म कपड़े और टेबल कुर्सी आदि आवश्यकता से ज्यादा लेकर रखना अनुचित है 

6 प्रार्थना -   महात्मा जी को प्रार्थना में अटूट विशवास था दक्षिण अफ्रीका में रहते समय से ही उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रार्थना प्रारम्भ कर दी थी 

7 स्वास्थ्य   महात्मा जी ने आजीवन स्वास्थ्य की चिंता की और उसके लिए तरह - तरह की चिंताओं का अवलम्बन किया वे औषधियों के घोट विरोधी थे उन्होंने कुने की जल चिकित्सा , जुष्ट की प्रकृति की और लौटो और साल्ट की शाकाहार अदि पुस्तकें पढ़कर उसमें बतलाये हुए नियमों का पालन किया 

8 सादगी -    गांधी जी का मानना था की अगर एक व्यक्ति समाज सेवा में कार्यरत है तो उसे साधारण जीवन की ओर ही बढ़ना चाहिए जिसे वे ब्रम्हचर्य के लिए आवश्यक मानते थे उनकी सादगी ने पश्चमी जीवन शैली को त्यागने को मजबूर करने लगा और वे दक्षिण अफ्रीका में फैलने लगे थे इसे वे 'खुद को शून्य की स्थिति में लाना' कहते है 
राष्टपिता महात्मा गांधी बापू को नमन 




1 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-10-2017) को "ब्लॉग की खातिर" (चर्चा अंक 2746) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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