नियामित जीवन |
आप अगर चालीस के उम्र में कदम रखा है यह समय कई समस्याओं के शुरू होने का है कुछ शारीरिक कुछ मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी होगी आपको शुरुआत से ही ध्यान रखना होगा ताकि कोई भी समस्या दबे पाँव आकर आप पर आक्रमण ना कर पाएं आप पहले ही सम्हाल जाए ताकि बीमारियों को हमला करने का मौक़ा ही नहीं मिले अपनी हर चीज का एक चार्ट बनाएं की आपको कब कौन सा चैकअप कराना है और उसका इलाज कराना है फिर उसके मुताबिक़ खानपान में क्या -क्या लेना है अपनी कौन सी आदत बदलना है यह समय है स्वयं के साथ अनुशासित नियमित और धैर्य से काम लेने का
बिस्तर को छोड़कर रोज बिना भूले व्यायाम करे ।
जितना क्षमता उतना व्यायाम करे ।
सुबह - शाम 4 किमोमीटर पैदल चले ।
तैरना जानते हो तैराकी करे ।
जिन चीजों से तनाव हो रहा है उनके कारण को पहचानकर उन्हें दूर करे ।
कामकाज चिंता छोडकर कुछ समय परिवार के साथ बिताए ।
अपने जीने के तौर तरीको में बदलाव करे ।
अपनी उम्र और क्षमता को देखते हुए ,खानपान के तरीके व् दिनचर्या में बदलाव करे ।
कोई ना कोई श्रम जरुर करे नहीं तो आप भविष्य में (ब्लॅडप्रेशर), हृदय रोग, (डायबिटीज), डिप्रेशन (अवसाद), पोश्चर व जोड़ों की समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं।
यह समय तो अनेक परिवर्तनों का समय है पमहिलाओं में रजोनिवृत्ति व इससे जुड़े हारमोनल परिवर्तन होते हैं, वहीं पुरुषों में भी कई रासायनिक परिवर्तन होते हैं। डायबिटीज टाइप-2 जैसी अनुवांशिक बीमारी से धमनियों में जमा कोलेस्टेराल व फेफड़ों में जमा सिगरेट के धुएं से निकला कार्बन हृदयाघात, दमा व ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
अपने पूरी जांच नियमित रूप से करवाते रहे ।
पढ़ने के लिए चश्मा लगने की उम्र भी यही है। चालीस शुरू होने से पहले एक बार जाकर आँखों की जांच जरुर करवाए ।
खानपान पर ध्यान देने व् डाइट सही करने का यही समय है ।
ध्यान जरुर दे परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री तो नहीं है 45 वर्ष की उम्र से पहले दो वर्ष में एक बार और फिर बाद में प्रत्येक वर्ष खून में शकर की जांच जरूरी है ।
ध्यान जरुर दे परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री तो नहीं है 45 वर्ष की उम्र से पहले दो वर्ष में एक बार और फिर बाद में प्रत्येक वर्ष खून में शकर की जांच जरूरी है ।
यदि आपको भी डायबिटीज व् बी पी हो गया हो तो उसकी एक अलग डायरी बनाएं ।
परिवार में स्तन कैंसर पहले हुआ हो तो महिलाओं को साल में एक बार मेमोग्राफी अवश्य कराना चाहिए ।
वर्ष में एक बार आंखों की जांच, कानों की जांच भी करा सकें तो अच्छा है। इसके अलावा साल में एक बार अपने डॉक्टर से अपना पूर्ण परीक्षण कराएं और जो जांचें वे जरूरी समझें, उन्हें कराएं ।
यह समय है सेहत के प्रति जागरूक रहने का इस आयु में जहां व्यक्ति अपने करियर व गृहस्थी के मामले में सेटल होने लगता है, वहीं कार्य का दबाव बच्चों के भविष्य की चिंता, जीवन में स्थायित्व लाने का तनाव आदि उसके स्वास्थ्य के लिए स्ट्रेस का काम करते हैं, साथ ही शरीर युवावस्था की सक्रियता व ऊर्जा से वंचित होने लगता है। विभिन्न शारीरिक क्रियाएं व मांसपेशियों की मजबूती कम होने लगती है।
याद रखें यदि आपका शरीर कई बीमारियों का घर बन गया तो आप परिवार के लिए बोझ बन जाएंगे आपसे जिनका जीवन चलता है बल्कि आप उस आराम और सुकून से भी वंचित हो जाएंगे जिसे हासिल करने के लिए आपने जी-तोड़ मेहनत की है। इसलिए आप परिवर्तनों चेतावनी के संकेतों, अलार्म सिग्नल्स को पहचानें और अपनी स्वास्थ्य के लिए सावधान रहते हुए मेहनत करे ।
यह समय है सेहत के प्रति जागरूक रहने का इस आयु में जहां व्यक्ति अपने करियर व गृहस्थी के मामले में सेटल होने लगता है, वहीं कार्य का दबाव बच्चों के भविष्य की चिंता, जीवन में स्थायित्व लाने का तनाव आदि उसके स्वास्थ्य के लिए स्ट्रेस का काम करते हैं, साथ ही शरीर युवावस्था की सक्रियता व ऊर्जा से वंचित होने लगता है। विभिन्न शारीरिक क्रियाएं व मांसपेशियों की मजबूती कम होने लगती है।
याद रखें यदि आपका शरीर कई बीमारियों का घर बन गया तो आप परिवार के लिए बोझ बन जाएंगे आपसे जिनका जीवन चलता है बल्कि आप उस आराम और सुकून से भी वंचित हो जाएंगे जिसे हासिल करने के लिए आपने जी-तोड़ मेहनत की है। इसलिए आप परिवर्तनों चेतावनी के संकेतों, अलार्म सिग्नल्स को पहचानें और अपनी स्वास्थ्य के लिए सावधान रहते हुए मेहनत करे ।
व्यायाम ना करने पर कैल्शियम की कमी आर्थराइटिस अनेक बीमारियाँ हो सकती है इन जांचों को एक बेसलाइन के रूप में हमेशा सामने रखें। किसी समस्या की शुरुआत हो रही होगी तो उसका उपचार शुरू किया जा सकेगा ।
जरूरी जांचों में लिपिड प्रोफाइल, ब्लड यूरिया, सीरम क्रिएटिनीन, लीवर फंक्शन टेस्ट, ईसीजी, चेस्ट एक्स-रे, एब्डोमिनल सोनोग्राफी, टीएमटी (ट्रेडमिलटेस्ट), यूरिन व कम्पलीट हीमोग्राम साथ ही महिलाओं के लिए बोनमेरो डेन्सिटी (बीएमडी), सरवाइकल पेप स्मीअर व मेमोग्राफी आदि जांचें सामान्यतया कम से कम एक बार करवाकर रखना चाहिए।
खाने पर नहीं अपनी जीभ अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल कीजिए ।
संतुलित आहार ले अपने डॉक्टर के हिसाब से सब चीजे निर्धारित करे ।
अपने वजन पर खास ध्यान दें ना तो बहुत अधिक वजन बढने दे ना ज्यादा घटने दे ।
घी, तेल, और मीठे, बिलकुल बंद तो नहीं पर मात्रा जरुर कम कर दे ।
जीरो ऑइल की बहुत रेसिपी होती है उन्हें खा सकते है ।
नमक भी सीमित मात्रा में लें, खाने में फीका लेगे तो मुहं बंद करके चुपचाप है खाना जितना है उसी में है काम चलाना पर अमल करे पर ऊपर से नमक लेना बिलकुल बंद कर दे ।
भोजन में पर्याप्त मात्रा में हरी सब्जियां, सलाद व अन्य रेशेदार पदार्थ लें।
अंकुरित मूंग, चने व फल और सलाद ,फलों का रस नाश्ते में शामिल करें।
अकेलापन खत्म करे अपनी शौक को पूरा करे ।
बहुत अधिक संयमित आहार न लें । कभी-कभी कुछ तले पदार्थ भी खाएं। संयमित आहार में शरीर के लिए सभी तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें । संयमित आहार लेने से रक्त में हीमोग्लोबिन के कम होने की संभावना रहती है ।
भरपूर नींद ले किसी भी विषय पर ज्यादा ना सोचे मानसिक तनाव हो तो अपने जीवनसाथी घर के लोगो से बात करे ।
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