आपने जब कभी अपने जीवन में किसी से पहली बार
मुहब्बत की होगी, तो वो आपके दिल की आवाज बना होंगे जब पहली
बार आपका दिल टूटा होगा, तो उसकी आवाज ने आपका दिल बहलाया
होगा. जब आप लंबे सफर पर चले होंगे, तो उस आवाज ने आपकी
तन्हाई बांटी होगी. मशहूर
गजल गायक जगजीत सिंह ऐसी ही मखमली आवाज के जादूगर
थे.
मैं भी कभी-कभी उनके कुछ गीत गज़ल सुनती हूँ वैसे
उतना शौक नहीं है दर्द भरे गीत सुनने का पर जगजीत सिंह जी के गीत गज़लो से तन्हाई
दूर हो जाती है बॉलीवुड में जगजीत सिंह का नाम एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया
जाता है जिन्होंने अपनी गजल गायकी से लगभग चार दशक तक गजल के दीवानों के दिल पर
अमिट छाप छोड़ी।
जगजीत सिंह ने अपने गायकी के करियर में करीब
150 से ज्यादा एल्बम बनाई हैं लेकिन 10 अक्टूबर 2011 में लोगों के दिलों पर राज करने वाली
ये आवाज शांत हो गई। साल 2003 में जगजीत सिंह को भारत सरकार
की ओर से पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
मेरी पसंद की कुछ
गीत आज भी जगजीत सिंह की कभी तन्हाई में कभी इश्क में याद दिलाते है -
चिट्टी ना कोई संदेश ( दुश्मन )
चिट्ठी ना कोई सन्देश
जाने वो कौन सा देश
जहाँ तुम चले गए
इस दिल पे लगा के ठेस
जाने वो...
जाने वो कौन सा देश
जहाँ तुम चले गए
इस दिल पे लगा के ठेस
जाने वो...
प्रेम गीत (होठों से छू लो तुम)
होंठों से छूलो तुम मेरा गीत अमर कर दो बन जाओ मीत मेरे मेरी प्रीत अमर कर दो
होशवालों को खबर (सरफरोश )
हूं हा हा हा हा हा हा होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है होश वालों को ...
झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं ...
तुमको देखा तो ख्याल आया ( साथ साथ )
तुम को देखा तो ये ख़याल आया ज़िंदगी धूप तुम घना साया तुम को...
मेरे जैसे बन जाओगे, जब इश्क तुम्हें हो जाये
दीवारों से सर टकराओगे, जब इश्क तुम्हें हो जायेगा,
तेरे
आने की जब खबर महके
तेरी खुशबू से सारा घर महके
तेरी खुशबू से सारा घर महके
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो तुम इतना...
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी
ये तेरा घर ये मेरा घर किसी को देखना हो गर तो पहले आ के माँग ले, मेरी नज़र तेरी नज़र ये तेरा घर ये मेरा घर ये घर बहुत हसीन है ...
तूने आँखों से कोई बात कही हो जैसे
जागते-जागते इक उम्र कटी हो जैसे
जान बाकी है मगर साँस रुकी हो जैसे
3 टिप्पणियाँ:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-02-2018) को "चोरों से कैसे करें, अपना यहाँ बचाव" (चर्चा अंक-2875) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
पूरा का पूरा कलैक्शन बढ़िया है...शिद्दत से चाहे गए गजलगायक जगजीत सिंह को श्रद्धांजलि
धन्यवाद अलकनंदा जी
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