1."स्वतंत्रता एक
वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर कोई है।" ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
2."एक छोटा कदम
छोटे लक्ष्य पर, बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता
है।" ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
3."जरुरी नही
कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने मे,
वीरता हो। वीरता तो विजय मे है।" ~ छत्रपति
शिवाजी महाराज
5."शत्रु को कमजोर
न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरना भी नही चाहिए।"
~ छत्रपति शिवाजी महाराज
6. "जब लक्ष्य जीत
की हो, तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य , क्यो न हो उसे चुकाना ही पङता
है।" ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
7."सर्वप्रथम
राष्ट्र, फिर गुरु, फिर माता-पिता,
फिर परमेश्वर।अतः पहले खुद को नही राष्ट्र को देखना चाहिए।"
~ छत्रपति शिवाजी महाराज
8."अगर मनुष्य
के पास आत्मबल है, तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय
पताका लहरा सकता है।" ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
9."इस जीवन मे
सिर्फ अच्छे दिन की आशा नही रखनी चाहिए, क्योकी दिन और रात
की तरह अच्छे दिनो को भी बदलना पङता है।" ~ छत्रपति
शिवाजी महाराज
10."अंगूर को
जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक
कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा
बाहर नही आती।" ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
11."जो मनुष्य समय के कुच्रक मे भी पूरी शिद्दत से, अपने
कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।" ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
12."प्रतिशोध मनुष्य
को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का उपाय
होता है।" ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
13."कोई भी
कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है; क्योकी
हमारी आने वाली पीढी उसी का अनुसरण करती है।" ~ छत्रपति
शिवाजी महाराज
14."अपने आत्मबल
को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और
मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य
कर सकता है।" ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
15."शत्रु चाहे
कितना ही बलवान क्यो न हो, उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र
से भी परास्त किया जा सकता है।" ~ छत्रपति शिवाजी
महाराज
16."उत्साह मनुष्य
की ताकत, संयम और अडिकता होती है। सब का कल्याण मनुष्य का
लक्ष्य होना चाहिए। तो कीर्ति उसका फल होगा।" ~ छत्रपति
शिवाजी महाराज
17."एक सफल
मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए, समुचित मानव जाति
की चुनौती स्वीकार कर लेता है।" ~ छत्रपति शिवाजी
महाराज
18."आत्मबल,
सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती
है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती
है।" ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
19."एक पुरुषार्थी
भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योकी पुरुर्षाथ
भी विद्या से ही आती है।" ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
20."जो धर्म, सत्य, क्षेष्ठता और परमेश्वर के सामने झुकता है।
उसका आदर समस्त संसार करता है।" ~ छत्रपति शिवाजी
महाराज
21 .''कभी अपना सर
मत झुकाओ, हमेशा उसे ऊँचा रखो.'' ~ छत्रपति
शिवाजी महाराज
22 .''भले हर किसी के हाथ में तलवार हो, यह इच्छाशक्ति है जो एक सत्ता स्थापित करती है.'' ~ छत्रपति
शिवाजी महाराज
23 .'' जो मनुष्य समय के कुच्रक मे भी
पूरी शिद्दत से, अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय
खुद बदल जाता है।'' ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
24 .'' जरूरी नहीं कि मुश्किलों का सामना दुश्मन
के सामने ही करने में वीरता हो, वीरता
तो विजय में है। '' ~ छत्रपति शिवाजी महाराज
25 .'' बदला लेने की भावना मनुष्य को जलाती रहती
है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एक मात्र उपाय है।''
~ छत्रपति शिवाजी महाराज
1 टिप्पणियाँ:
आपको सूचित किया जा रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (21-02-2018) को
"सुधरा है परिवेश" (चर्चा अंक-2886) पर भी होगी!
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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