मेरी पहली डायरी |
मेरे दादा जी की डायरी |
मेरे पापा की डायरियां |
मैं भी २००३ से डायरी लिख रही हूँ मुझे मेरे पापा ने एक छोटी सी प्यारी सी डायरी लाकर दी थी जब में ८ वी क्लास में थी नए साल में तब उन्होंने कहा था इस डायरी में कलर स्केच पेन से लाइन खींचकर आराम से छोटे -छोटे अक्षरों में आज से डायरी लिखना शुरू करो हर रोज की तारीख लिखो आज स्कूल में क्या हुआ , क्या किया , पढ़ाई कैसी हुई , उस दिन से मैंने डायरी लिखना शुरू किया वैसे मैं हर रोज तो नहीं पर जब फुर्सत मिलती है तब अपनी मित्र डायरी लिखती है आज मैं ब्लॉग लिखती हूँ यही मेरी मित्र डायरी है जिसे सारे देश के लोग पढ़ते है मुझे खुशी मिलती है जब लोग मुझसे कहते है की आपकी लेखनी आपके द्वारा दी गई सूचनाएं हमारे काम आ रही है । मित्रों मेरा डायरी लेखन बीच के कुछ समय बंद रहा फिर २००८ से २०१४ तक मैंने लगातार डायरी लेखन में सक्रिय रही पर एक दिन मेरे कोर्स की किताबे जो अब काम की नहीं थी वे बेची जा रही थी उनमें २००९ से २०११ तक डायरीयां भी कॉपियो में दबी थी सभी बिक गई मुझे बहुत अफ़सोस हुआ पर कुछ डायरियां कैसे की मेरे बचपन की पहली डायरी , दूसरी वो डायरी जो मैंने मेरी बचपन की सहेली डॉली के पापा के ना रहने और उसके दुर्ग से रायपुर चले जाने के दुःख में लिखी थी , एक डायरी जिसमें मेरे आने वाले जीवनसाथी की कल्पनाओं में नए सपनों के लिए लिखी थी वो डायरी मेरे शेल्फ में बची रह गई थी मुझे तब यह महसूस हुआ की शायद वो डायरियां जो कबाड़ी के भाव में चली गई उनका कोई मोल नहीं था हाँ उसमें भी बहुत सारी भावनाएं थी पर जो डायरियां बच गई वे ही अनमोल थी जो मैंने पहली दफा लिखी थी जब डायरी कैसे लिखी जाती थी यह नहीं पता था जो दुःख में डूबकर अपनी प्रिय सहेली के आंसुओ , उसे याद करते हुए अपने दर्द को अपना समझकर लिखे क्योंकि हम दोस्त एक शहर में साथ रहने के बाद दो अलग - अलग शहरों में रहने लगे उन दूरियों में जो रोज जो खालीपन महसूस किया वो सब लिखा ।
मुझे डायरी लिखने की प्रेरणा मेरे दादाजी और पापा से मिली क्योंकि मैं उन्हें अपने बचपन से डायरी लेखन का काम करते देख रही हूँ इसलिए उनसे प्रेरित होकर मैंने भी डायरी लेखन शुरू किया । डायरी लेखन के लिए एक बहुत अच्छी बात मुझे डायरी लेखन के बारे में हिन्दी के सुविख्यात कवि श्री रजत कृष्ण जो की मेरे बड़े भैया है उन्होंने कही थी की हर व्यक्ति को डायरी लिखना चाहिए डायरी लिखने से जो कुछ अच्छा या बुरा , डर बैचेनी , रोना , अकेलापन कोई उलझन हो , मन को सवाल हो खुशी या गम अपनी भावनाओं को जब हम एक - एक पन्ने में उतारते है तो अपने डर बैचेनी गम अकेलेपन को दूर करते जाते है और जब हम अपनी खुशी उत्साह किसी अच्छे पल के आरे में लिखते है तो उतनी ही खुशी बढती जाती है एक तरह से हमारी डायरी हमारी सबसे ख़ास मित्र होती है बस हम डायरी लेते है और पेन उठाकर अपने विचारों में डूबकर अपनी एक - एक भावनाओं को लिखते जाते है डायरी मित्र इसलिए है क्योंकि वो भले ही बोलती नहीं है पर हमारे दुखो को हमारे सूख में एक साझेदार बनकर हमारा साथ निभाती है जब हम डायरी लिखते है तब हम उसमें अपने आपको पूरा उतार देते है जब हमारे दिमाग में कोई सवाल होता है तब उसे हम डायरी में लिख देते है और लिखते हुए डायरी से हमें उस सवाल का जवाब भी मिल जाता है हम जितना लिखते है उतना अपने आप में सुधार लाते जाते है दरसल हम डायरी लिखने के काम में सारी चीजें भूलकर सक्रिय हो जाते है बस सारी परेशानियां हमारे सक्रिय होने से दूर हो जाती है इसलिए डायरी हमारी प्रिय मित्र होती है और हमें उससे जुड़े रहना चाहिए ।
आप जब मन चाहे डायरी लिखने की शुरुआत कर सकते है कोई जरूरी नहीं है आप बाजार से खरीद महंगी डायरी में ही लिखे आप घर में स्कूल की बची हुई कॉपी जिसके पन्ने खाली बचे हुए हो उसके आगे के पन्ने तरीके से निकाल कर अलग रख दीजिए बाक़ी बचे पन्नो को सुंदरता से सजा लें बाहर के कवर पर अच्छा सा कवर चढ़ा ले हो गई डायरी तैयार अब इस पर लिखना शुरू कीजिए या फिर आजकल तो ऑनलाइन डायरी लिखने का प्रचलन है आप चाहे तो पेन पेपर डायरी या फिर प्ले स्टोर से इन्सटाल्ड डायरी में लिख सकते है डायरी एक तरह से हमारा लिए एक अलमारी है जिसमें हम हमारा बहुत कुछ सहेजकर या यूं कहिए की छुपाकर रख देते है जिसपर एकमात्र हमारा ही अधिकार होता है । हम अलग अलग तरीके से डायरी लिख सकते हैं जैसे कि एक लाइन में पूरे दिनभर की घटनाएं या एक पेज दो पेज या उससे ज्यादा जितना आप लिखना चाहते हैं , डायरी लिखते रहिये आगे बढ़ते रहिए हो सकता है लिखते - लिखते हम कवि , लेखक , वक्ता या किसी और कला के क्षेत्र में अपनी एक पहचान बना सकते है ।
डायरी लेखन पर चंद लाइनें
यूं तो हर लिखने वाला लेखक नहीं होता पर
कभी कभी लिखते - लिखते व्यक्ति लेखक बन जाता है ।।
5 टिप्पणियाँ:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (13-01-2018) को "कुहरा चारों ओर" (चर्चा अंक-2846) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हर्षोंल्लास के पर्व लोहड़ी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अपने सेअपना ही इन्टर-व्यू लिवा डालती है न डायरी ,क्यों कोपन ?
यूं तो हर लिखने वाला लेखक नहीं होता पर
कभी कभी लिखते - लिखते व्यक्ति लेखक बन जाता है ।।
बहुत खूब कोपल जी
धन्यवाद संजय जी यह तो सच है कि हर लिखने वाला लेखक नहीं होता पर लिखने से ही अभ्यास होता है औऱ लोग एक सफल लेखक बन जाते हैं ।
एक टिप्पणी भेजें