शेर राजा और चूहे महाराज की मित्रता की कहानी

         जब मैं बहुत छोटी थी तो मेरी मम्मा मुझे खाना खिलाते समय कुछ कहानियाँ सुनाया करती थी ये कहानियाँ बहुत शिक्षाप्रद होती है जिनका मतलब बचपन की उम्र में ज्यादा नहीं थोड़ा बहुत समझ आता था आज अच्छे अमझ आता है की हर कहानी में एक सीख छुपी हुई होती है जिनका वास्तविक जीवन में बहुत महत्व होता है मेरी मम्मी मुझे एक शेर और एक चूहे की कहानी सुनाती थी मम्मी इस कहानी को सुनाते वक्त खुद चूहा बन जाती थी और मुझे शेर बना देती थी फिर सुनाना शुरू करती थी
तो लीजिए आप भी पढ़िए शेर राजा और चूहे महाराज की कहानी यहाँ मैं इस कहानी में मजा बढाने के लिए कहानी को  थोड़ा बदल रही हूँ
                    एक बार एक जंगल में एक शेर अपने गुफा में सो रहा था तभी एक चूहा अपने बिल से शेर की गुफा में आ गया और शेर की पीठ पर कूद कूदकर उसे तंग करने लगा चूहे जी के तंग करने से शेर की प्यारी नींद जिसमें वो अभी तक सोया था वो खुल गई और शेर ने अपने पंजे  में चूहे को पकड़ कर रख लिया शेर चूहे को खाने के बारे में सोचने लगा तभी चूहे ने डरे हुए शेर से बोला हे मेरे प्यारे शेर भाई मुझसे गलती हो गई की मैंने आपको तंग किया आपको उठा दिया अगर आप मुझे माफ़ कर दोगे तो मैं आपके इस उपकार को कभी न कभी जरुर पूरा करंगा यह जैसे ही शेर ने सुना उसे चूहे पर दया आ गी और शेर ने दया करके छोड़ दिया पर शेर मन ही मन यह सोच रहा था की ये तो छोटा सा चूहा है ये मेरी क्या मदद करेगा
      
        फिर एक दिन जब शेर अपने लिए कुछ भोजन लेने जंगल में गया तो वहां एक शिकारी के शेर राजा के लिए एक जाल बनाया और उस जाल में शेर राजा फंस गया शेर उस जाल से निकलने की बहुत कोशिश कर रहा था पर शेर उस जाल से निकल ही नहीं पा रहा था और मदद मांगने के लिए जोर जोर से दहाड़ने और रोने चिल्लाने लगा उसे कोई नजर ही नहीं आ रहा था की कोई उसकी मदद करे उसे जाल से बाहर निकाल ले बहुत देर बेचारा रोता दहाड़ता जाल में अपने पंजे मारता रहा मगर कोई नहीं आया
       बहुत देर बाद उसी चूहे को शेर के दहाड़ने की आवाज सुनाई आई वः जल्दी - जल्दी दौड़ता हुआ शेर राजा के पास पहुंचा और उसने अपने नुकीले - नुकीले दांतों से उस जाल को काट दिया और शेर को उस जाल बाहर निकलकर आजाद कर दिया उसके बाद उस शेर ने चूहे को मदद करने के लिए धन्यवाद दिया और शेर ने उसी वक्त खुद से एक वादा किया की वो कभी भी किसी को अपने छोटा या निर्बल नहीं समझेगा उसपर हंसेगा नहीं उसके बाद शेर और चूहे की दोस्ती हो गई

        इस कहानी से शिक्षा मिलती है की हमें कभी भी किसी के शरीर को देखकर उसकी काबिलियत की तुलना नहीं करना चाहिए की वो व्यक्ति हमसे छोटा है या दुबला है या मोटा है वो हमारी मदद नहीं कर पायेगा क्योंकि जब कोई मुश्किल वक्त आता है तब हो सकता है वो व्यक्ति जो या तो दुबला है या छोटा है या मोटा है या कैसा भी है वही हमारी सबसे पहले मदद कर सकता है इसलिए हमें व्यक्ति का काम उसके विचार , उसकी सोच , उसका व्यवहार देखना चाहिए ना की उसके शरीर को देखकर उसकी काबलियत तुलना करनी चाहिए

2 टिप्पणियाँ:

Jyoti Dehliwal ने कहा…

शिक्षाप्रद कहानी।

कोपल कोकास ने कहा…

धन्यवाद Jyoti Dehliwal जी

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