चाँद का मुँह काला

           
      


             चंद्र ग्रहण के बारे में हम बचपन से सुनते आये हैं यह तो हम जानते हैं कि सूर्य स्थिर है पृथ्वी उसकी परिक्रमा करती है और चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण की स्थिति इसी चक्कर में बनती है जब पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के बीच आती है, तब पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है जिससे चन्द्रमा का कुछ या संपूर्ण भाग अंधकारमय रहता है और पृथ्वी से नहीं दिखाई पड़ता है । यह चंद्रग्रहण होता है चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब पृथ्वी की छाया समस्त सम्मुख भाग पर पड़ती है और चंद्रमा का सम्पूर्ण भाग अंधकारमय हो जाता है इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) कहते है । ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्यपृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में हो । इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चंद्रग्रहण के प्रकार एवं अवधि चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं।

           सूर्यग्रहण के विपरीत, जो कि पृथ्वी के एक अपेक्षाकृत छोटे भाग से ही दिख पाता है, चंद्रग्रहण को पृथ्वी के रात्रि पक्ष के किसी भी भाग से देखा जा सकता है। जहाँ चंद्रमा की छाया की लघुता के कारण सूर्यग्रहण किसी भी स्थान से केवल कुछ मिनटों तक ही दिखता है, वहीं चंद्रग्रहण की अवधि कुछ घंटों की होती है। पूर्ण चंद्रग्रहण को देखने लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नही है ! सहायता रहित / नंगी आँखों से इसे देखा जा सकता है, क्योंकि चंद्रग्रहण की उज्ज्वलता पूर्ण चंद्र से भी कम होती है।


           चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण कोई अंधविश्वास नहीं है बल्कि यह एक खगोलीय घटना है परन्तु हमारे देश में पंडितो और ज्योतिषियों ने ग्रहण ना देखने के लिए अंधविश्वास फैला रखा है वे ग्रहण और उसके प्रभाव की धार्मिक व्याख्या करते है जैसे ग्रहण से बचने के लिए क्या करना चाहिए, गर्भवती माता ,बच्चों ,बुजुर्गो को ग्रहण नहीं देखना चाहिए , यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के वक्त नकारात्मक उर्जा निकलती है , ग्रहण के समय भोजन करना, भोजन पकाना, सोना नहीं चाहिए। इस दौरान सब्जी काटना, सीना-पिरोना आदि से बचना चाहिए। यह भी कहा जाता है ग्रहण से बचने के लिए जाप करना चाहिए किन्तु कहीं भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ग्रहण पर बातें नहीं होती है
          यह हमारा भारत देश ही जहां पर जनता को चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के वैज्ञानिक कारण नहीं बताये जाते है बल्कि उन्हें यह बताया जाता है कि ग्रहण का कौन सी राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा , सूतक कब प्रारंभ होगा , कौन - कौन से नक्षत्रों का योग है , अगर दान - पुण्य करेंगे तो ये होगा वो होगा , ग्रहण के दौरान खाने पीने में क्या - क्या वर्जित है यही सब  बताया जाता है


             लोगों की सोच बदलने में मीडिया एक बहुत बड़ा योगदान होता है किन्तु टीवी पर भी ज्योतिषियों आदि के इंटरव्यू प्रमुखता से बताये जाते हैं जब तक हमारे मीडिया का दृष्टिकोण वैज्ञानिक नहीं होगा जब तक हमारे देश में लोगों की वैज्ञानिक सोच ही नहीं होगी तब तक देश में किसी भी तरह की वैज्ञानिक सोच का प्रचार प्रसार सम्भव नहीं है ।
                             हमारे कुछ साथी जो ज्ञान विज्ञान के कार्यक्रम से जुड़े हैं , वे 31 जनवरी को विभिन्न स्कूलों में जाकर ग्रहण के कारणों, सौर तंत्र, ब्रम्हाण्ड की विशालता, अंतरिक्ष में निरंतर यात्रा करता मानव दूत वायेजर १ व २ का परिचय करवाने कार्य करेंगे ।

                             मूल रूप से इस कार्यक्रम में ग्रहण से जुड़े अंधविश्वासों और भ्रांतियों को दूर करना है, भोजन या खानपान की बात इसी लिए की जा रही है क्योंकि खानपान से जुड़ी भ्रांत धारणाएं ग्रहण के दिन से जुड़ी प्राचीन समय से रही हैं जिसे पूर्णतः खत्म किया जाना चाहिए, आपस में मिल कर अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित फ़िल्म देखना, व्याख्यान व चर्चा गोष्ठी साथ ही आकाशदर्शन , पर्यावरणीय चिंताओं को सांझा करना गीत गाना इसमें हो सकता है । 
 

साथियों यह एक महत्वपूर्ण सन्देश है, कृपया इसे पूरा पढ़े और अन्य साथियों को भी भेजें ।
                 
ताम्बे रंग का चंद्रोदय!

                           इस बार 31 जनवरी 2018 की शाम चंद्रोदय के समय पूर्ण चंद्रग्रहण घटित होगा ! ग्रहण में चाँद छिपेगा नहीं, लेकिन अद्‌भुत ताम्बे रंग का दिखाई देगा ! इसका समय शाम साढ़े पांच से आठ के बीच रहेगा पूर्ण चंद्रग्रहण श्याम ६:२२ से तकरीबन एक घंटा चलेगा, और उसके बाद आंशिक ग्रहण और दो घंटे चलेगा ! इसका पूरा टाइम टेबल इस टेबल में देखिये


                      ऐसा कहा जा रहा है कि इस चंद्रग्रहण पर चन्द्रमा तीन रंगो में दिखाई देगा लेकिन छतीसगढ़ विज्ञान सभा के संयोजक श्री विश्वास मेश्राम ने बताया की " ब्लू मून ब्लू रंग का नहीं होगा । सुपर मून के सुपर होने की कोई सुपरलेटिव डिग्री नहीं । कापर मून , सीधे सूर्य प्रकाश की अनुपस्थिति में प्राकिरण और अपवर्तन के कारण होने वाली लालिमा से दिखाई देगा। जैसे जैसे पृथ्वी की छाया हटती जाएगी वैसे वैसे चांद की चांदी जैसी चमक लौटती आएगी।"

                     चंद्रग्रहण के इस अवसर पर आप एक पिकनिक का आयोजन कर ताम्बे रंग के चाँद और चंद्रग्रहण का लुफ्त उठा सकते हैं!

                         चंद्रोदय के पहले आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ एक जगह निर्धारित कर ले जहाँ से पूर्वी दिशा में चाँद को अच्छे से देखा जा सके! और आपके शहर या गाँव में उस दिन चंद्रोदय जितने बजे होगा उस समय पर वहाँ पहुँच जाएं।

          
                      हमारे सौर मंडल से जुड़ी बातें, ग्रहण और प्रकाश का भौतिक विज्ञान, और प्राकृतिक घटनाओं की वैज्ञानिक समझ फैलाने में मदद करें। अपने घर के बच्चों ,बुजुर्गो , महिलाओं सभी को बताएं की चंद्रग्रहण कैसा होता है , चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है इसमें अंधविश्वास जैसी कोई बात नहीं होता है अंधविश्वासों से बाहर निकालिए और अपने विज्ञान को पढ़िए

                    कोई भी व्यक्ति ग्रहण को देखने के लिए उत्साह के साथ पिकनिक जैसे कार्यक्रम का आयोजन कर सकता है! इस अद्वितीय यशस्वी अवसर की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाये!

अधिक जानकारी के लिए देखिए:


और


         
                       छतीसगढ़ ज्ञान विज्ञान सभा के साथी इस अवसर पर रायपुर भिलाई दुर्ग आदि स्थानों पर चंद्रग्रहण देखने हेतु कॉपर मून पिकनिक आयोजित कर रहे हैं भिलाई में यह पिकनिक जीवन बीमा निगम के साथियों द्वारा सिविक सेंटर में आयोजित है यहाँ बी आई टी के विद्यार्थियों द्वारा टेलिस्कोप से चन्द्रमा के गड्ढे भी दिखाए जायेंगे रायपुर में यह पिकनिक शासकीय बहुउद्देशीय विद्यालय नलघर चौक पर आयोजित है

                       यह जानकारी आपके परिचय में जितने भी लोग है सबको भेजें , तथा हमारे देशवासी  विज्ञान के ज्ञान से ज्ञानवान हो ,तथा चन्द्रग्रहण के अन्धविश्वास से दूर हो सकें ।





17 टिप्पणियाँ:

शरद कोकास ने कहा…

Badhiya hai

तिथि दानी ने कहा…

विचारोत्तेजक

Unknown ने कहा…

Very good information kopal..

Unknown ने कहा…

ज्ञानवर्धक

कोपल कोकास ने कहा…

Thanks anjana ji

कोपल कोकास ने कहा…

धन्यवाद
कृपया अपना नाम बताइए ।

कोपल कोकास ने कहा…

धन्यवाद तिथि जी

कोपल कोकास ने कहा…

धन्यवाद डैडी

Unknown ने कहा…

सूर्य भी स्थिर नहीं है , वो भी आकाशगंगा का चक्कर लगा रहा है , यहां स्थिर कुछ नहीं है

Sheetal ने कहा…

Bahut Achha lekh/ compilation hai.

Lekin takiniki rup se (vigyan ki dristi se) kuch sudhar ki aawasyakta h.


Jaise first photo apne post ki vo I think solar eclipse ka h.

Dusra abhi(31 Jan.) ke chandragrahan me especial/interesting h copper color (Lal rang) ka chand. To sayad title ... chand ka muh Lal '
ya isi tarah ka title jyada logical hoga.

Tisra. . Meshram ji ke statement me chand ke copper color ka karan prakash ka prakirnan (scattering) aur apvartan (refraction) hai na ki vikarnan.

Fir bhi kafi sarahniy karya h.

कोपल कोकास ने कहा…

धन्यवाद शीतल जी मुझे सही लगेगा तो मैं सुधार कर लूंगी।

Sheetal ने कहा…

Ji dhanyavad. Anyatha na le

कोपल कोकास ने कहा…

शीतल जी लोगों में यह भ्रांति अंधविश्वास फैला हुआ है कि काला रंग अशुभ होता है लोग इसी अंधविश्वास के कारण काले रंग के चाँद को नहीं देखते है कि अगर काले रँग चाँद को देखेगे तो कुछ गलत हो जाएगा ।

इसी अंधविश्वास को दूर करने के लिए मैंने इस पोस्ट का टाइटल चाँद का मुंह काला ताकि लोग इस अंधविश्वास से बाहर निकले और विज्ञान को समझे ।यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम लोगों को प्रेरित करे की अंधविश्वासों से बाहर निकले ।

Unknown ने कहा…

जानकारी बढि़या है💐💐👍

Unknown ने कहा…

बहुँत बढ़िया । बेहद विस्तार पूर्वक जानकारी आपने लिखी है ।
बधाई ।

कोपल कोकास ने कहा…

धन्यवाद क्रान्ति जी यह इसलिए ताकि लोग यह जाने की इन सभी घटनाओ का कारण खगोलीय घटनाएं है

Sheetal ने कहा…

Agree.

Dhanyavad kopal ji

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