रखें शादी में १०० नहीं 5 आइटम

           

            हम सभी शादियों में जाते है हमारे घरों में भी शादियाँ होती है एक शादी में १०० तरह की तैयारियां घरवालों को करनी पड़ती है और सबसे ज्यादा तनाव घर के लोगों को इस बात का होता है कि विवाह के रिसेप्शन आशीर्वाद समारोह में  खाने में क्या रखा जाए कि वह आमंत्रित मेहमानों को अच्छा लगे क्योंकि हम सभी इस बात पर यकीन करते है कि जो लोग रिस्पेशन में शामिल होने आ रहे है उन्हें आपने लाइटिंग लगाई , स्टेज कैसा है , सजावटें कैसी है उन्हें इससे मतलब नहीं होता है उनका पहला केंद्र बिंदु सिर्फ खाना होता है और हम क्या करते है हर चीज पर व्यर्थ के खर्चे करते है ठीक है अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए सब पैसे खर्च करते है पर वे पैसे सही जगह उपयोग होने चाहिए


            शादी के खाने का नाम सुनते ही आपके मस्तिष्क में बहुत सारे स्वादिष्ट व्यंजनों वाली प्लेट याद आ जाती है शादी रिस्पेशन में आपने देखा होगा कितनी सारी चीजें खाने के मेनू में होती है मैं मानती हूँ चाहे वो किसी बेटी के पिता हो या बेटे के वे तो अपनी सारी जिन्दगी की जमा पूंजी अपने बच्चों के खुशियों में लगा देते है पर कितना व्यर्थ का खर्च सिर्फ खाने पर  करते हैं । माना कि मेहमान सिर्फ आशीर्वाद समारोह में खाने आते है पर जितनी जरूरत हो उतना ही खाना रखा जाना चाहिए


           














             तमाम चीजें बेफालतू रखी जाती है जैसे शादी के खाना में स्त्रटर में दाबेली , स्प्रिंग रोल , कबाब , सूप , विभिन्न सलाद , फ्रूट सलाद खाना खज़ाना में तीन तरह की सब्जी , पूड़ी, नान ,तन्दूरी रोटी ,तवा रोटी ,चावल में सादा चावल,पुलाव ,तवा फ्राई में भिन्डी ,आलू,करेला,शिमला मिर्च दाल, कढ़ी ,अचार ,रायता , पापड़ , मुगोड़ी और चाइनीज आइटम में चाउमीन , मंचूरियन ,पास्ता ,फिर साउथ इंडियन में डोसा , फिर गुपचुप ,चाट , दही बड़े , अप्पे , मिठाई में हलवा , रसगुल्ले , मावा बाटी , रबड़ी जलेबी , रसमलाई , मिक्स मिठाई , आइसक्रीम , चाय , कॉफ़ी , बोम्बे मिठाई , बर्फ गोला , पान इतना सब तो रखा जाता ही है इसके अलावा कुछ लोग विभिन्न प्रान्तों के व्यंजनों के स्टॉल में तमाम व्यंजन रखवाते है


            मेरा सोचना यह है कि इतने सारे व्यंजन रखने का फायदा क्या है बहुत सारे लोग जो शादियों में आते है वे ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 आइटम ही लेते है पूरे ३२ आइटम तक पहुंच ही नहीं पाते है खाते बना तो खाते है नहीं तो प्लेट में अधूरा खाकर छोड़ देते है और जो खाना बचता है उस खाने को बाहर कूड़े में फेंक दिया जाता है उसे फिर भूखे बच्चे जो भोजन की तलाश में भटकते है कूड़े में से बिनकर खाते है कितना बुरा लगता है कि हम लोग शादियों में तैयार होकर जाते है शौक से प्लेट लेकर तरह - तरह के व्यंजनों का स्वाद लेते है और सोचते भी नही है कि इतना उन बच्चों को मिलता भी नही होगा और नही खाया जाता तो फेंक देते है और आराम से गाड़ियों में बैठकर घर चले जाते है

            

शादी में खाना ऐसा रखना चाहिए जो भले ही सीमित हो पर जिसे व्यर्थ ना फेंका जाए 

कोई 1 / 2 सब्जी आप चाहे तो बैंगन की रख सकते है यह सबके लिए अच्छी होती है मतलब सबको पूर जाती है आप चाहे तो कोई १ सब्जी जो उस सीजन में उपलब्ध हो वह भी रख सकते है ।

दाल / कढ़ी
पुलाव या सादा चावल 
सादी रोटी
कोई १ मिठाई जो आप पसंद करना चाहे और आपकी स्वेच्छा चाहे तो आइसक्रीम नहीं तो एक मीठा ही रख सकते हैं ।
चाय / कॉफ़ी

           बाक़ी व्यंजन तो व्यर्थ के होते है एक सीधा सादा भोजन अति उतम होता है यदि जीवनसाथी ये कहें कि हमें व्यर्थ का खाना नहीं रखना है तो बहुत अच्छा होगा क्योंकि बहुत सारा खाना बेकार फेंक दिया जाता है लोग आपको आशीर्वाद देने आ रहे है आपकी खुशियों का हिस्सा बनने आ रहे है फिर आप अपनी सहमति से उन्हें चाहे पूरा खाना खिलाएं या उनका मुहं मीठा कराएं ये आप पर निर्भर करता है खाने पर व्यर्थ वेस्ट होने वाले पैसों को आप अपने आने वाले जीवन में इस्तेमाल कर सकते है शादियों में बहुत से खर्चे होते है आप अपनी पसंद की चीजें ले सकते है जो आपको अपने नए जीवन की शुरुआत में इस्तेमाल में आयेंगी


            ऐसे विचार यदि हर विवाह करने वाले जोड़े के हो तो कितना अच्छा होगा साथ आपको जीवनभर रहना है एक दुसरे के सुख से लेकर दुःख और अन्य उतार चढ़ावों में मजबूती से साथ निभाना है सबकी खुशियाँ बनना है तो ऐसा विवाह कीजिए कि उस विवाह की तारीफ़ सबकी ज़ुबान पर हो एक बात याद रखिए कि एक दूसरे के अच्छे में बुरे में आप दोनों ही संग होंगे अन्य व्यक्ति आपको अपने विचार देने वाले बहुत मिलेंगे सर / मैडम खाने में यह भी रख लीजिए वह भी रख लीजिए । इसलिए आप सिर्फ अपने स्वयं की और अपने परिवार की सुनिए क्योंकि आपको अपने और अपने परिवार के बारे में भविष्य के बारे में सोचना है और ज्यादा अच्छा है कि दोनों जीवनसाथी स्वयं मिलकर खाना बनाएं और साथ जाकर किसी अनाथ आश्रम , वृद्धाश्रम  या गरीबों के पास जाए उन्हें प्यार से खिलाएं ये भोजन खिलाएं उनकी सेवा करें , दोनों पति पत्नी मिलकर गरीब बच्चों को खिलौने या जरूरत का सामान भी दे सकते हैं । ये सबसे अच्छा पुण्य का काम है हम सभी क्या कहते है कि पूजापाठ करने से या धार्मिक काम करने से पुण्य मिलेगा अरे मित्रों सेवा सबसे बड़ा पुण्य का काम है कर लीजिए उनकी सेवा से जो पुण्य मिलेगा उसमें सबसे ज्यादा खुशी मिलेगी


            जरुर आप ये पोस्ट पढ़कर सोचेंगे कि मैंने तो रिसेप्शन पार्टी के विरोध पर लिखा है नहीं नहीं ऐसा नहीं है मुझे कोई आपति नहीं है रिसेप्शन करना चाहिए क्योंकि शादी एक ऐसा अवसर होता है जिसमें दो नहीं कई परिवार कई लोग आपस में बहुत से रिश्तों नातों से जुड़ते है एक मजबूत बंधन बंधता है परिवार के लोगों को खुशियाँ मनाने का , बातें करने का मौका मिलता है क्योंकि आजकल शादियाँ पहले की तरह नहीं होती है ज्यादा से ज्यादा 3 दिन इसलिए इन लम्हों का मजा लीजिये पर जितना हो सके खर्च कम कीजिए





9 टिप्पणियाँ:

radha tiwari( radhegopal) ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (12-03-2018) को ) "नव वर्ष चलकर आ रहा" (चर्चा अंक-2907) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी

BUDDHI LAL PAL ने कहा…

Main sahmat.

कोपल कोकास ने कहा…

धन्यवाद पाल अंकल जी

KAMLESH ने कहा…

Bahut acchhi baatein batai aapne.dhanybaad

Unknown ने कहा…

SB psnd ni krenge

युवा ने कहा…

सही कहा

Pramod Kumar Sen ने कहा…

मैम आपकी राय बहुत अच्छी है ऐसा ही होना चाहिए यही उचित भी है पर ऐसा कर पाना मुश्किल होता है मैं नहीं चाहता कि बीड़ी तंबाकू या सिंगरेट गुटखा भी रखूं पर न रखने पर चार रिश्तेदार गाना गाने लगेंगे और तो और बहुतों के तो मुंह टेंढे हो जायेंगे दिखावा करने वाले तो दुनियाभर में अपना अपमान मानते हुए ढिंढोरा पीटते हैं।

Pramod Kumar Sen ने कहा…

मैम आपकी राय बहुत अच्छी है ऐसा ही होना चाहिए यही उचित भी है पर ऐसा कर पाना मुश्किल होता है मैं नहीं चाहता कि बीड़ी तंबाकू या सिंगरेट गुटखा भी रखूं पर न रखने पर चार रिश्तेदार गाना गाने लगेंगे और तो और बहुतों के तो मुंह टेंढे हो जायेंगे दिखावा करने वाले तो दुनियाभर में अपना अपमान मानते हुए ढिंढोरा पीटते हैं।

Unknown ने कहा…

बिल्कुल सही दावत मतलब घर का खाना।जब घर जैसा ही खाना हो
फिर कोई दावत में क्यों जाएगा। सीधी बात है घर पर रहो कोरोना है।ये ज्ञान सिर्फ ..............

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