आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस है सब महिलाओं का दिन है हर स्त्री खास है । एक स्त्री को शब्दों को रूप देना आसान नहीं है उसके लिए जितना कहा जाए कम है क्योंकि जो वो करतीं है वो कोई नहीं कर सकता है ।
अपने घर की स्त्री का सम्मान कीजिए ये तो वो जीवन के हर सफर हर मोड़ पर साथ निभाती है कम मिले या ज्यादा उस हाल में सबकी मुस्कान बन जाती है ।
एक स्त्री ही तो जो
कभी वो बेटी कभी बहू बनती है ।
कभी प्रेमिका कभी हमराज़ बनती है ।
कभी वो बहन कभी ननद बनती है ।
कभी वो दुल्हन कभी पत्नी बनती है ।
कभी वो माँ कभी सास बनती है
कभी वो दोस्त कभी भाभी बनती है ।
कभी चाची कभी मामी बनती है ।
कभी देवरानी जेठानी बनती है ।
कभी दादी कभी नानी बनती है ।
एक स्त्री ही तो है जो
कभी रिश्तों को जन्म देती है ।
कभी रिश्तों को निभाती है ।
कभी जोश कभी जज्बा बनती है ।
कभी उम्मीद कभी हिम्मत बनती है ।
कभी उत्साह कभी उमंग बनती है ।
कभी दुख को खुशी बदलती है ।
कभी चेहरों की मुस्कान बनती है ।
सब रिश्तों के मनकों का धागा बनती है ।
एक स्त्री ही तो है जो
शिक्षा में आगे बढ़ती है नए रँग में ढलती है ।
नाम रोशन कर सबका मान बनती है ।
सबका मान नहीं अभिमान बनती है ।
अभिमान नहीं मान सम्मान बनती है ।
हर अंजान रिश्ते ही पहचान बनती है ।
पहचान नहीं हर रिश्ते की जान बनती है ।
सभी महिलाओं को मेरी ओर से महिला दिवस की शुभकामनाएं ।
अपने घर की स्त्री का सम्मान कीजिए ये तो वो जीवन के हर सफर हर मोड़ पर साथ निभाती है कम मिले या ज्यादा उस हाल में सबकी मुस्कान बन जाती है ।
एक स्त्री ही तो जो
कभी वो बेटी कभी बहू बनती है ।
कभी प्रेमिका कभी हमराज़ बनती है ।
कभी वो बहन कभी ननद बनती है ।
कभी वो दुल्हन कभी पत्नी बनती है ।
कभी वो माँ कभी सास बनती है
कभी वो दोस्त कभी भाभी बनती है ।
कभी चाची कभी मामी बनती है ।
कभी देवरानी जेठानी बनती है ।
कभी दादी कभी नानी बनती है ।
एक स्त्री ही तो है जो
कभी रिश्तों को जन्म देती है ।
कभी रिश्तों को निभाती है ।
कभी जोश कभी जज्बा बनती है ।
कभी उम्मीद कभी हिम्मत बनती है ।
कभी उत्साह कभी उमंग बनती है ।
कभी दुख को खुशी बदलती है ।
कभी चेहरों की मुस्कान बनती है ।
सब रिश्तों के मनकों का धागा बनती है ।
एक स्त्री ही तो है जो
शिक्षा में आगे बढ़ती है नए रँग में ढलती है ।
नाम रोशन कर सबका मान बनती है ।
सबका मान नहीं अभिमान बनती है ।
अभिमान नहीं मान सम्मान बनती है ।
हर अंजान रिश्ते ही पहचान बनती है ।
पहचान नहीं हर रिश्ते की जान बनती है ।
सभी महिलाओं को मेरी ओर से महिला दिवस की शुभकामनाएं ।
1 टिप्पणियाँ:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (09-03-2017) को "अगर न होंगी नारियाँ, नहीं चलेगा वंश" (चर्चा अंक-2904) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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