हमारे आंगन से मिस्टर एंड मिसेज बजाज की विदाई

            


    ये मिस्टर एन्ड मिसेज बजाज हमारे आंगन के सदस्य है मिस्टर बजाज (स्कूटर) एंड मिसेज बजाज(लूना) हमारे घर करीबन श्रीमती लूना बजाज 31 साल और मिस्टर बजाज 25 साल रहे
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    सबसे पहले कुमारी लूना का परिचय ये जब हमारे घर आई तब कुमारी थी बाद में जब मिस्टर बजाज स्कूटर आये तो हमने लूना को मिस्त्र बजाज की मिसेज बजाज बना दिया । कुमारी लूना हमारे घर सन 30 अप्रैल 1986 को आई जब । मेरा जन्म हुआ उसके बाद हम इन्हीं श्रीमती बजाज से घूमने जाते थे इसे पहले मेरे पापा श्री शरद कोकास चलाते थे जब मम्मी पापा की शादी हुई तब मम्मी श्रीमती लता कोकास कुमारी लूना से ही स्कूल जाती थी। इसी मिसेज बजाज पर हम तीनों जब घूमने जाते थे तो मुझे सामने टॉवेल डालकर बैठा दिया जाता था ।
श्रीमती बजाज ने हमारे हर काम में पूरा साथ निभाया मम्मी इसी से मुझे स्कूल छोड़ने जाती थीं और लेने आती थी ।
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    मिसेज बजाज से ही मेरी मम्मी मुझे बैठाकर दूर-दूर लेकर जाती थी जैसे भिलाई । कई बार बहुत दूर जाने के कारण लूना बन्द हो जाती थी आधे रास्ते से उतरकर मम्मी औऱ मैं मिसेज बजाज को घसीटते और धक्के मारते हुए घर आते थे ।
    एक बार पापा मेरे जन्म से पहले मम्मी को स्कूटर से भिलाई घुमाने ले गए थे मिस्टर बजाज का पेट्रोल खत्म हो गया और मम्मी पापा मिलकर मिस्टर बजाज को पेट्रोल पम्प तक घसीटते लेकर गए थे उस दिन से पापा मिस्टर बजाज और मिसेज बजाज में फुल पेट्रोल करके ही कहीं भी जाते थे
    कभी जब मिसेस लूना की तबीयत खराब हो जाती थी तो पास ही दुकालू मैकेनिक उसके डॉक्टर को दिखाते थे उसकी तबीयत ठीक करना, दवाई देना ,हवा भरना, पंचर सुधारना टायर बदलना अन्य काम दुकालू ही करते थे पुराने घर केलाबाड़ी के आंगन में मिस्टर एन्ड मिसेस बजाज खड़े रहते थे ।

    
घर के गृहप्रवेश के दिन मिस्टर बजाज
मिस्टर बजाज स्कूटर फरवरी सन 1992 में हमारे घर आये जब मैं 2 साल की थी पापा मिस्टर बजाज से ही बैंक जाते थे इसी मिस्टर बजाज से बहुत सारे काम होते थे अनाज राशन, सब्जी लाने व ऐसे ना जाने अनगिनत सुख दुःख की भागीदार रहे मिस्टर एंड मिसेज बजाज

    ख़ास रविवार को हम तीनों मिस्टर बजाज से ही बहुत सारी जगह घूमने जाते थे
    कभी पापा के साथ मिस्टर बजाज पर ही बैठकर उनके बैंक जाती थी
    कभी मिसेज बजाज पर बैठकर मम्मी के स्कूल जाती
    मिस्टर बजाज की तबीयत खराब होने पर खण्डेलवाल मैकेनिक होम लेकर जाते थे स्कूटर की सर्विसिंग का खण्डेलवाल डॉक्टर के पास ही होता था ।

घर बनने तक के भागीदार

    सन 2007 में हमारा नया घर बना घर की नीवं रखने से गृहप्रवेश तक हर महत्वपूर्ण काम में मिस्टर एंड मिसेज बजाज ने बहुत साथ दिया घर का छोटा - छोटा सामान पापा की किताबें , कांच के बर्तन हमने इन्ही से पुराने घर से नए घर में शिफ्ट किया

       
     बहुत दिन तक मम्मी मिसेस बजाज से स्कूल जाती रही पापा मिस्टर बजाज से बैंक । सन 2008 में पापा ने नई गाड़ी एविएटर और सन 2011 में मम्मी ने नई गाड़ी प्लेजर आई इन्ही दोनों रामदुलारी 1 एन्ड रामदुलारी 2 से ही सारे काम होने लगे
     काफी दिनों तक मिस्टर एन्ड मिसेज बजाज आँगन में खड़े रहे क्योंकि इनके बदले रामदुलारी ही काम आती थी ।
      
मिसेज बजाज 
     पापा मुझसे अक्सर कहते बेटा दोनों पर जंग लग रही है अब मिस्टर एन्ड मिसेज की विदाई कर देते है पर इनसे मोह ही ऐसा की मन ही नहीं करता हर बार मैं यही कहती नही पापा रहने दो ना यह अच्छा नहीं लगता कि हम इन्हें बेच दे ।
      ऐसे ही बोलते - बहाने बनाते 10 साल बिता दिए । बात यह थी किसी तरह इन्हें ना बेचा जाए और ये हमारे आंगन में ही रहे मेरा मन में एक अनोखा विचार आया की हम इन्हें एक म्यूजियम बनाकर उसमें रख देंगे पर लगा की देखरख कर पाना आसान नहीं है सो यह विचार त्याग दिया
घर के सामने मिस्टर बजाज 
      आज शानदार 10 साल जब हो गए तो मिस्टर एन्ड मिसेज बजाज की हालत बिगड़ने लगी उनका हर मैकेनिकल डॉक्टर ने इलाज करने से मना कर दिया यह कहकर साहेब अब कबाड़ी वालों को देकर इनकी विदाई कर ही दीजिए इन्हें ज्यादा लम्बे समय तक रखने से फायदा नहीं है ।

      21 साल पहले 1996 में 7 अक्टूबर को एक बार हम तीनो का मिस्टर बजाज से दुर्घटना भी हो गई थी तब हमारे साथ - साथ मिस्टर बजाज को भी चोट लगी थी ऐसे ही ना जाने कितने एक्सीडेंट हुए पर हमने इनकी विदाई नहीं की
       इंसानों से मोह होता ही है पर गाड़ियों से होना मोह बहुत अनोखी बात है ।

       जब बचपन से लेकर मेरे बड़े होने तक ये मेरे आँगन में रहे मेरे पापा ने इतनी मेहनत से इन्हें लेकर आये फिर हम सबकी सवारी बने तो मोह होना स्वाभाविक है ।
सबसे पहले मैंने मिस्टर एंड मिसेज बजाज बहुत सारी फोटो खींच ली उसके बाद ही कबाड़ी वालो को दिया ले जाने के लिए


         और अंत: 7 अक्टूबर 2017 को हमने नम आंखों से मिस्टर एन्ड मिसेज बजाज को अपने आंगन से विदा कर दिया । विदाई वाले दिन हमने मिस्टर एंड मिसेज बजाज की बहुत सारी फोटो ली कबाड़ी वाले कहने लगे अरे फ़ोटो वोटो की क्या जरूरत है ? मैंने कहा कि जब इतने वक्त से आंगन में रहे है तो लगाव हो गया है इसलिए जरूरी है फोटो लेना यादों के लिए । जब कबाड़ी वाले इन्हें लेकर जा रहे थे घसीटते खींचते हुए मैं उन्हें कह रही थी भैया आराम से ले जाइए ।
         जिस बेदर्दी वे पेश आ रहे थे मिस्टर एन्ड बजाज के साथ मुझे बहुत कष्ट हो रहा था कि कितनी हिफाजत से प्यार से मेरे पापा - मम्मी पेश आते थे दोनों के साथ औऱ आज कितनी बेदर्दी की जा रही हैं ।
         हम तो मोह की बात करते है मुझे मिस्टर एंड मिसेज बजाज के हॉर्न की आवाज़ तक याद हो गई थी गली की शरुआत से जैसे ही मम्मी पापा आते थे मैं समझ जाती थी की मम्मी या पापा आ गए है और तुरंत गेट खोलने जाती ।

        
 मिसेज बजाज की विदाई 
सबसे अंत में जब अपनी कबाड़ी की गाड़ी में ले जाने लगे मेरे पापा ने मुझे यह कहकर अंदर भेज दिया बेटा अंदर जाओ वो लोग लेकर जायेगे तो तुम्हें कष्ट होगा ।
जब तक बाहर आई देखने के लिए की लेकर चले गये है या है अभी देखा तो घर के सामने की सड़क सूनी थी


 मिसेज बजाज की विदाई 
मिस्टर एन्ड मिसेज बजाज सदा के लिए कबाड़ी वालो की गाडी में जा चुके थे फिर ना कभी हमारे आँगन में आने के लिए ।

वाकई तुम वाहन नहीं जान ही हो जिसके ना रहने पर आंगन खाली हो जाता है
रो दिया था मेरा मन जब जा रहे थे मिस्टर एंड मिसेज बजाज





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