निर्भया का बलत्कारी अब बड़ा हो गया

                         

" सामाजिक व्यवस्था को बनाये रखने के लिए कुछ कानून का पालन करना सबके लिए अनिवार्य होता है चाहे वह वयस्क हो या बालक ।


  •  यदि बालक या किशोर उन कानूनों अवहेलना करके समाज विरोधी कार्य करता है तो उसका यह कार्य बाल अपराध कहलाता है । "

 गुड़ ने कहा है कोई भी बालक जिसका व्यवहार सामान्य सामाजिक व्यवहार से भिन्न हो जाए कि उसे समाज विरोधी कहा जा सके बाल अपराधी है ।

  • अपराध वह कृत्य है जिसके लिए समाज दंड दे सकता है ।
  • बाल अपराध किसी स्थान विशेष के कानून के अनुसार किसी कम आयु के बच्चे द्वारा किया जाने वाला अपराध ।
  • भारतीय विधान धारा 83 के अनुसार 12 वर्ष से कम आयु वर्ग के कम आयु वर्ग के नासमझ बालक को अपराधी नहीं माना जाता ।
  • भारतीय दंड विधान के अनुसार 7 वर्ष से 16 वर्ष के मध्य कई गया किसी भी प्रकार का अपराध 'अपराध ' के अंर्तगत आता है । 
  • जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 1986 बालक /किशोर अपराधी की अधिकतम  आयु 16 वर्ष है ।


                      बाल अपराध के उदाहरण

चोरी करना , मारपीट, झगड़ा, झूठ बोलना , सिगरेट पीना, शराब पीना , रात में आवारा घूमना , हत्या, धोखा, जालसाजी , आत्महत्या, विद्यालय से भागना, तोड़ फोड़ आदि ।



"बाल अपराध के कारण कुछ होते हैं यूँही नहीं कोई बालक अपराध करता है उस बालक के जीवन में अवश्य ही ऐसी कोई घटना छुपी होती है जिसके कारण वह बाल अपराधी बन जाता है "


                       बाल अपराध के कारण

  • आनुवांशिकता
  •  माता पिता का तलाक या मृत्यु 
  •  अशिशित माता पिता 
  •  कुसामायोजन 
  •  मानसिक तनाव चिंता , कुंठा
  •  दहेज़ प्रथा , बेमेल विवाह, प्रेम विवाह सामाजिक कुप्रथाएँ
  •  बालश्रम या नौकरी 
  •  ग़रीबी भूखमरी 
  •  बुरे साथी बुरी संगत 
  •  मानसिक रोग 
  •  गन्दी घनी बस्तियां 
  •  सही मनोरंजन नहीं मिलना
  •  संवेगात्मक स्थिरता 
  •  बालक का मन्दबुद्धि या तीव्रबुद्धि होना 
  •  बालक के साथ दुर्व्यवहार
  •  विधालय के कारण की स्थिति , मनोरंजन का अभाव, परीक्षा की सही प्रणाली का अभाव 
  •  अनैतिक परिवार
  •  घर में सौतेली माँ का होना 
  •  अश्लील फिल्में व गीत , पुस्तकें 
  •  शारिरिक दोष 
  •  यौनांगो का तीव्र विकास 
  •  ज़रूरतें पूरी न होने पर मनोविकृति ।


   

                   बाल अपराध का निवारण

 परिवार की भूमिका - उचित वातावरण, सहयोग, प्रेम , सहानुभूति निर्देशन करना चाहिए।
 माता पिता को कुछ समय उनके साथ बिताकर उनकी गतिविधियों का निरीक्षण करना चाहिए और उचित परामर्श, अच्छी आदतों का निर्माण ।
विद्यालय की भूमिका - योग्य शिक्षक प्रेम और सहानुभूति का अच्छा वातावरण बालक के लिए पुस्तकालय में अच्छी पुस्तकों  की व्यवस्था , स्वतंत्रता, ध्यान उपचारात्मक कक्षा ।
 समाज की भूमिका - बालको को राजनीति से दूर रखें गन्दी बस्तियों , शराब , जुआ अड्डों को समाप्त कर अच्छा वातावरण बनाना चाहिए । सामाजिक संघ का निर्माण और सामाजिक कार्य करने को प्रेरित अनैतिक कार्यों पर प्रतिबंध ।
 कारावास - कारावास में बंदी की आयु बढ़ने पर उसके व्यवहार में बदलाव आता है मुक्त होने के बाद अपराधी प्रवृत्ति खत्म हो जाती है। कारावास में तब ही रखा जाता है जब बालक उम्र में अधिक हो या अपराध गम्भीर हो ।
जब कोई बालक अपराध करता है तो उसे सुधार गृह में भेजना चाहिए यहां बाल अपराधी को सुधारा जाता है ।
 मनोवैज्ञानिक उपचार - बाल अपराधी का विश्लेषण  , मनोवैज्ञानिक जांच , निर्देशन एवं उसकी दमित इच्छाओं का उपचार, साक्षात्कार , खेल, चिकित्सा साइको ड्रामा ।
 प्रोबेशन- 14 वर्ष से कम उम्र के बालपराधी को प्रोबेशन की देखरेख में सुधार के लिए रखा जाता है व मार्गदर्शन दिया जाता है ।

 सुधार विद्यालय - इनमें 14-15 वर्ष के बाल अपराधियो को 5 वर्ष तक रखा जाता है यहां पढ़ना लिखना सीखना के साथ बालक को उधोगों का प्रशिक्षण दिया जाता है ।


विशेष - हरलोक बताते हैं कि समाज विरोधी कार्य ज्यादातर 11 से 14 वर्ष की अवस्था में चरमसीमा पर होता है ।

4 टिप्पणियाँ:

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

बहुत बढ़िया बाल अपराध के कारणों व रोकने के सुझाव की विस्तृत जानकारी...
अच्छा आलेख...बधाई कोपल बिटिया

Sanjayy ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है कोपल...जानकारी से भरपूर..बधाई

Anita kumar ने कहा…

Bahut badhiya

Anita kumar ने कहा…

Bahut badhiya

एक टिप्पणी भेजें