ट्रिंग ट्रिंग |
आज अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का जन्मदिन है
जिन्होंने टेलीफोन का आविष्कार किया Alexander Graham Bell बेल
ने सिर्फ 29 साल की उम्र में ही सन 1876 में टेलीफोन की खोज कर ली थी | इसके एक साल बाद ही
सन 1877 में उन्होंने बेल टेलीफोन कम्पनी की स्थापना की ।
इसके बाद वह लगातार विभिन्न प्रकार की खोजो में लगे रहे | बेल टेलीफोन की खोज के बाद उसमे सुधार के लिए प्रयासरत रहे और सन 1915 में पहली बार टेलीफोन के जरिये हजारो किमी की दूरी से बात की | न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस घटना को काफी प्रमुखता देते हुए इसका ब्योरा प्रकाशित किया था | इससे न्यूयॉर्क में बैठे बेल ने सेन फ्रांसिस्को में बैठे अपने सहयोगी वाटसन से बातचीत की थी ।
टेलीफोन इलेक्ट्रोनिक साधन के सिग्नल के द्वारा तार के माध्यम से दुसरे टेलीफोन तक भेजता है जो दुसरे के टेलीफोन में ध्वनि तरंगो के माध्यम से सुनाई देती है टेलीफोन में दो उपकरण होते है जो महत्वपूर्ण भाग होते है रिसीवर और माइक्रोफोन इसके लिए अलावा घंटी के लिए एक रिनगेर भी होता है ।
राजा महाराजा के जमाने का टेलीफोन |
डायल वाला टेलीफोन |
सन 1960 तक जो टेलीफोन होता था उसमें नबंर घूमने के लिए एक डायल होता था जिसमें जिसके खांचे में उंगली डालकर नम्बर घुमाना पड़ता था उसके बाद पुश बटन वाले डायल का आविष्कार हुआ । टेलीफोन उपकरण में एक ट्रांसमीटर होता है जो ध्वनि तरंगो को इलेक्ट्रिक सिंगल में बदल देता है जो तार के माध्यम से दूसरे टेलीफोन तक पहुंचते है ।
टेलीफोन एक्सचेंज |
अपने शरुआती दिनों में सब टेलीफोन एक
एक्सचेज से जुड़े होते थे जब व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को फोन करता था तो सबसे टेलीफोन
एक्सचेज में पहुंचता था तब वह वहां उपस्थित कर्मचारी द्वारा दूसरे के टेलीफोन से
कनेक्ट कर दिया जाता था बाद में यह सिस्टम ऑटोमेटिक हो गया और इसके लिए रेडियो
सिस्टम का प्रयोग किया जाने लगा ।
बीसवी सदी के मध्य तक यह सम्पन्न हो चुका था
उसके बाद 1963 में मोबाइल फोन आया था और 1983 में एडवांस मोबाइल फोन सिस्टम लांच
हुआ ।
आज
हम सभी के घरों में टेलीफोन रहते है पहले के समय में हर घर में टेलीफोन नहीं हुआ
करते थे दूर पीसीओ टेलीफोन बूथ में लम्बी लाइन लगाकर बात करना पड़ता था पीसी ओ में
नम्बर डायल करने के लिए सिक्के डालने पड़ते थे औऱ जब फोन नहीं लगता था तो लोग अपने घुटने से टेलीफोन बूथ में रखे फोन के डब्बे को मारते थे एक फोन करने के लिए लोग 1 या 2 लोग साथ जाते थे ताकि बीच में बात करते वक़्त सिक्के ना खत्म हो ।
आज जिस तरह हम किसी भी विषय पर बात करने के
लिए फोन लगा लेते है उस समय लोग किसी अपने की मृत्यु की सूचना , शादी ब्याह की
सूचना या अन्य कोई बड़ी खबर के लिए दुसरे शहर में फोन लगाते थे अगर किसी को अपना फोन
नम्बर देना होता था तो पड़ोसी का फोन नम्बर देते थे जिसके आगे पी पी लिखा होता था जिसका
अर्थ प्राइवेट पार्टी या प्री प्रोसेसिंग होता है उस समय लोग पी पी का मतलब पास
पडोस भी बोलते थे लेकिन जिसके घर में टेलीफोन होता था वह पास - पड़ोसी से परेशान हो
जाता था इसलिए लोग कोई महत्वपूर्ण सूचना देंनी होती थी तभी फोन करते थे क्योंकि जब
कोई फोन अटेंड करने जाता था जिसके घर जाता था उसे उन्हें चाय नाश्ता भी करवाना
पड़ता था और लोग फोन नम्बर किसी डायरी में , दरवाजे के पीछे लटके हुए कैलेंडर पर
याद रखने के लिए लिखते थे ।
मेरे पापा टेलीफोन पर |
मेरी मम्मी फोन पर |
हर रोज हमारे फोन पर गोल्डन गैस का फोन
आया करता था क्योंकि उस गैस एजेंसी का नम्बर 8635 और हमारा 8653 हर व्यक्ति जब भी फोन आता था गैस सिलेंडर के बारे में ही पूछता था कि भैया
सिलेंडर कब मिलेगा , या अभी तक आया क्यों नही यह रोज का सिलसिला था ।
15 टिप्पणियाँ:
कोंपल आपका यह ब्लॉग बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक है। संस्मरण शैली में दी गयी सामग्री पाठकों को ज्यादा विश्वस्त लगती है। आपमें एक बड़े लेखक के गुण हैं। इसी तरह लिखते रहिए।
अच्छी जानकारी के साथ मधुर स्मृतियां भी जुड़ गईं ।
धन्यवाद कुमार मुकुल जी
धन्यवाद सरला जी
कोपल टैलीफोन का जो इतिहास लगभग भूल गए थे वह याद दिलाने का शुक्रिया बेटा। सही कहा तुमने ।हमें बुजुर्गों की तरह उन वस्तुओंका इतिहास भी जानना ही चाहिए।
कोपल टैलीफोन का जो इतिहास लगभग भूल गए थे वह याद दिलाने का शुक्रिया बेटा। सही कहा तुमने ।हमें बुजुर्गों की तरह उन वस्तुओंका इतिहास भी जानना ही चाहिए।
जी नीलिमा आंटी धन्यवाद ।
यह मेरा फ़र्ज है कि मैं लोगों को ऐसी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराती रहूँ ।
रोचक ऐतिहासिक व वैज्ञानिक जानकारी। ग्राहम बेल के आविष्कार में भारतीय वैज्ञानिक बोस की कमी खली।
Badhiya kopal badhai
धन्यवाद नरेंद्र जी
धन्यवाद पाल अंकल जी
रोचक एवं ज्ञानवर्धक पोस्ट कोपल जी। बहुत बहुत धन्यवाद ।।।🙏
धन्यवाद बविता जी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (05-03-2018) को ) "बैंगन होते खास" (चर्चा अंक-2900) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
ब्लॉग बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक
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