श्रेया घोषाल जिनका मधुर स्वर गीतों में एक अलग
सी मिठास घोल देता है श्रेया घोषाल एक भारतीय पार्श्व गायिका
हैं। श्रेया हिंदी फिल्मों के अलावा कन्नड़, मराठी, तेलगु, तमिल, बंगाली
और पंजाबी फिल्मों में भी पार्श्व गायन करती हैं। श्रेया घोषाल को अब तक पांच फिल्म
फेयर अवार्ड्स से नवाजा जा चुका है मैं जब भी श्रेया जी के गीतों को सुनती हूँ एक आराम
सा महसूस होने लगता है चाहे वो कोई भी गीत हो वे अपने सुरीले स्वर से हर गीत में जान
डाल देती है और गीत अपने आप लोकप्रिय बन जाते है ।
मैं इनके गीतों को 2006 से सुन रही हूँ एक गीत जो मुझे स्कूल के दिनों
में बहुत पसंद था वो था जहर फ़िल्म का अगर तुम मिल जाओ जमाना छोड़ देंगे हम जिस दर्द
के साथ श्रेया जी ने गाया वह गीत उस वक्त बहुत पसंद था उसके बाद चाहे वे विवाह फ़िल्म
के गीत हो या अन्य किसी फ़िल्म के गीत एक बाद एक गीत मुझे बहुत पसंद आये श्रेया के गीतों
में जो सुरीलापन है वो शायद आज की किसी गायिका में नहीं है ।
ऐसी मेलोडी क्वीन को जन्मदिन की शुभकामनाएं और मेरी पसंद के कुछ गीत जो श्रेया
जी की मधुर आवाज में है ।
bairi piya
silsila yye chahat ka
dola re dola
jaadu hai nasha hai chalo tumko lekar
waada raha dil dooba
suna suna
main hoon na ,
hum tumko nigahon
mujhe tumse mohabbat
ahista ahista
piya bole
keh raha hai dil
janeman
pal pal har pal
pyar ki ek kahani
chori chori
koi tumsa nahi
tumhi se
bolo na tum zara
yaad teri yaad
main agar kahoon
ye ishq haye
thode badmash
dholna
barso re
mujhme zinda hai , jhirmir meha , sans sang ,dekhe akele
teri ore
kaise mujhe
zoobi dobbi
tere naina
soniyo
humko kehna hai
sau baar
chori kiya re jiya
tere mast do nain
dagabazz re
pia ore piya
jeene laga hoon ,
,chandniya
aashiyaan
saans
banaraisya
nagada sng dhol
chaar kadam
love is waste of time
journey song
deewani mastani
, pinga
jab tum hote ho
has mat pagli
1 टिप्पणियाँ:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-03-2017) को "सफ़र आसान नहीं" (चर्चा अंक-2908) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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