फूलों से हँसना सीखो भौंरो से गाना

                                          

  


गेट्स ने कहा है
"learning is a process of improvement "
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में हमेशा कुछ न कुछ सीखता रहता है नये नये अनुभव एकत्र करता रहता है ये नवीन अनुभव व्यक्ति के व्यवहार में वृद्धि तथा संशोधन करते हैं

ये अनुभव तथा इनका उपयोग सीखना कहलाता है ।
मानव अपने जन्म से मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता रहता है उसके सीखने की प्रक्रिया में विराम और अस्थिरता नहीं आती है ।
स्किनर ने कहा कि सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है ।
क्रो एन्ड क्रो ने कहा है सीखना आदते, ज्ञान औऱ अभिवृत्तियों का अर्जन है ।


यदि किसी छोटे बच्चे के सामने दीपक रखा होता है तो वह स्वाभाविक ही दीपक की लौ को छूने के लिए हाथ आगे बढ़ाता है पर उसका हाथ जल जाता है उसे तकलीफ होने लगती है औऱ वह तुरंत अपना हाथ दीपक की लौ से हटा लेता है अब पुनः जब वह सामने रखे हुए दीपक को देखता है तो अगली बार दीपक की लौ को छूने का स्वाभाविक व्यवहारनहीं करता है यदि उसके सामने दीपक जलाया जाए तो वह दूर भागने लगता है । इस प्रकार स्वाभाविक व्यवहार में जो परिवर्तन हुआ इस क्रिया को सीखना कहते है।



सीखने की विशेषताएं

  • सीखना सम्पूर्ण जीवन चलता है ।
  • व्यक्ति सीखते हुए परिवर्तन करते हुए आगे बढ़ता है ।
  • सीखना व्यवहार के परिणामस्वरूप परिवर्तन है
  • सीखना विकास है व्यक्ति दैनिक कार्यों अनुभवों से सीखता है फिर उसका विकास होता है ।
  • सीखना व्यक्ति द्वारा नया कार्य करना है 
  • सीखना नये व पुराने अनुभवों का संगठन हैं 
  • मानव ही नहीं संसार के जीवधारी, पशु-पक्षी, कीड़े मकोड़े भी सीखते हैं ।
  • सीखने में लक्ष्य प्राप्त करना जरूरी है बिना लक्ष्य के सीखना संभव नहीं ।
  • जिस कार्य में बुद्धि और विवेक हो वह कार्य सरल होता है ।
  •  सक्रिय रहकर सीखना वास्तविक सीखना है 
  • व्यक्ति जो सीखता है उससे  व्यक्तिगत व सामाजिक लाभ होता है  
  • व्यक्ति का सम्बंध जैसे वातावरण होता है वह नई बाते सीखता है ।
  • सीखना किसी बात की खोज करना है ।


सीखने को प्रभावित करने वाले कारक

  1. विषय सामग्री का स्वरुप 
  2. शारिरिक मानसिक स्वास्थ्य
  3. परिपक्वता
  4. सीखने का समय व स्थान
  5. सीखने की इच्छा
  6. प्रेरणा
  7. अध्यापक व सीखने की प्रक्रिया
  8. सीखने का उचित वातावरण
  9. सीखने की विधि
  10. सम्पूर्ण परिस्थिति





सीखने की विधियां
1 करके सीखना
2 स्वंय निरीक्षण करके सीखना
3 परीक्षण करके सीखना
4 विचार व्यक्त करके प्रश्न पूछकर सीखना
5 वर्कशॉप से सीखना
6 सम्मेलन गोष्ठी द्वारा सीखना


हम जन्म से मृत्यु तक गलती करते हैं फिर पुनः करते हैं सीखते है । सीखना अत्यंत महत्वपूर्ण है मनुष्य जन्म के बाद से ही सीखना आरंभ कर देता है आज हम जो कुछ भी वह सीखने का ही परिणाम है ।

खाना,पीना, बोलना , चलना , पढ़ना, लिखना , कुछ नया करना, अन्य महत्वपूर्ण कार्य करते हुए अभ्यास करते हुए ही सीखते हैं औऱ आगे बढ़ते हैं हम जितना ज्यादा सीखेंगे उतना ही आगे बढ़ेंगे ।
" इसलिए सीखना विकास की प्रक्रिया है ।"

2 टिप्पणियाँ:

Jyoti khare ने कहा…

क्या सुंदर बात कही है कोपल
शुभकामनाएँ

Mahendra Kumar ने कहा…

बड़ी प्रेरक और सुन्दर तरीके से कही गई बातें हैं। शुभकामनाओं सहित

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