शैशवास्था में मनुष्य का प्रमुख आहार
होता है माँ का दूध । उसी से वह अपने पोषण और वृद्धि के लिए उचित विटामिन , प्रोटीन ,वसा व्
कार्बोहाइड्रेट आदि प्राप्त करता है । लेकिन जैसे जैसे वह बड़ा
होता है,माँ के दूध पर उसकी निर्भरता समाप्त हो जाती है और वह प्रकृति में उपलब्ध
अन्न,फल व यानी खाधापदार्थ ग्रहण कर सकता है यह हर सजीव का गुणधर्म है की वह एक निश्चित उम्र
तक ही वृद्धि कर सकता है चाहे वह मनुष्य हो पशु-पक्षी या पेड़-पौधे । उसके बाद उसकी बाढ़ तो रुक जाती है लेकिन जीवित रहने,अपने
क्रियाकलापों और शरीर को बनाये रखने के लिए उसे आहार की आवश्यकता होती है । यह उम्र उसकी युवाव्स्था
होती है उचित व संतुलित आहार ।
ऐसा
नहीं है की हम केवल भूख लगने पर ही खाते है ।
हममें से की कई युवा दिन में कई बार खाते है और कुछ युवा खुद को इतना युवा समझते
है की खाना खाते ही नहीं है और खाते भी है तो समोसा,नूडल्स,पिज़्ज़ा,बर्गर जैसे जंक
फ़ूड । इसलिए यह जानना जरूरी है की हम क्यों खाते है कितना खाते है,अपने
भोजन में किन तत्वों को शामिल करते है और उनसे क्या बनता है हमें यह भी मालूम होना
चाहिए की इन तत्वों की ज़रूरत हमें क्यों है और यदि यह पर्याप्त मात्रा में न मिलें
तो हमारे शरीर का क्या नुक्सान होगा ।
हमारे भोजन में प्रमुख पोषक तत्व है कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन, चर्बी , विटामिन और खनिज पदार्थ । इनमें कार्बोहाइड्रेट ,प्रोटीन,चर्बी
या वसा हमें ऊर्जा प्रदान करते है और युवावस्था में सबसे अधिकआवश्यकता ऊर्जा की ही
होती है खेलकूद के लिए , पढ़ने-लिखने के लिए भागदौड़ के लिए और साइकिल चलाने के लिए । जिस तरह स्कूटी या बाइक चलाने के लिए पेट्रोल की आवश्यकता होती है उसी
तरह हमारे शरीर को चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है । यह
उर्जा हम भोजन से प्राप्त करते है । यदि हम कोई काम ना भी करे तो दिल के धड़कने के लिए,फेफड़ो को सांस लेने के
लिए और पाचन क्रिया के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है । कहने का तात्पर्य यह है की
यदि हम कुछ न करें और सिर्फ सोते रहे तो भी हमें ऊर्जा की ज़रूरत होगी । लेकिन ऐसा
कौन सा युवा है जो इस उम्र में भी सोते रहना पसंद करेगा या आलस्य में अपना जीवन
बिताना चाहेगा ? इसलिए हम जितना परिश्रम करेंगे हमें उतनी ही ऊर्जा की ज़रूरत होगी
और उसी अनुपात में हमें कम या आधिक भोजन की आवश्यकता होगी
।
युवा लडकों को अक्सर उनकी
माताएं ताना देती रहती है की क्या दिनभर खाता ही रहता है ,वही लड़कियों को कहा जाता
है देखो दुबली रहने के चक्कर में सूख कर काँटा हो गई , कुछ खाती ही नहीं । सच देखा जाए तो यह दोनों स्थितियाँ ठीक नहीं है । आवश्यकता से अधिक या कम खाने पर शरीर से प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट ,चर्बी का संतुलन
बिगड़ जाता है और युवाओं को दैनिक कार्यो के लिए जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है
वह नहीं मिल पाती आगे चलकर शरीर पर इसका परिणाम भी अच्छा नही होता या तो वे दुबले
रह जाते है या आवश्यकता से अधिक मोटे हो जाते है और रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाने से
बीमार हो जाते है ।
आइये देखते है की ऊर्जा के प्रमुख
स्रोत , कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन, चर्बी
हमें कहाँ से प्रापर होते अहि और शरीर पर इनका क्या प्रभाव पड़ता है । चावल,गेहूं ,बाजार ,ज्वार जैसे अन्न कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख स्रोत है । गुड़ और शक्कर गाढ़े कार्बोहाइड्रेट होते है और ये हमारे शरीर को भरपूर
ऊर्जा देते है । यह हमारे भोजन के आवश्यक अंग है इसलिए हम इन्हें अधिक मात्रा में लेते भी
है ।
ऊर्जा का दूसरा स्रोत है प्रोटीन
हमारे शरीर की हर इकाई जैसे कोशिका , हड्डी, रक्त,मस्तिष्क,चमड़ी व् बाल आदि में
प्रोटीन होते है । हमारा शरीर प्रोटीन से ही बना है जैसे कि इट - गारे से मकान बनता है । यदि खेलकूद या दुर्घटना में हमें चोट लगती है तो प्रोटीन ही उसे ठीक करता
है शरीर में कोई घाव् हो जाए ,कोई हिस्सा गल जाए या सड़ जाए तो प्रोटीन ही उसकी
मरम्मत करता है । जिस तरह एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट से हमें चार कैलोरी ऊर्जा मिलती है उसे
तरह एक ग्राम प्रोटीन से भी चार कैलोरी ऊर्जा मिलती है लेकिन युवाओं को चाहिए की
ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार का सेवन करें और प्रोटीन को शरीर की
मरम्मत के लिए सुरक्षित रखें ।
अब हम देखेंगे की यह प्रोटीन हमें
मिलता कहाँ से है पशुओं से प्राप्त होने वाले प्रोटीन हमें मांस-मछली , अंडे , दूध
से प्राप्त होते है । यदि पोषक तत्वों के आधार पर देखें तो अंडे से प्राप्त प्रोटीन को सौ में
से नब्बे अंक मिलेंगे ,मॉस औए दूध से प्राप्त प्रोटीन को सौ में से सत्तर संक दाल
और चने से प्राप्त प्रोटीन को सौ में से पचपन अंक तथा सब्जियों से प्राप्त प्रोटीन
को इससे भी कम अंक ।
यदि ऐसे है तो हमारी माताएं हमें सब्जी अधिक
खाने को क्यों कहती है इसलिए की हम में से बहुत सारे युवा शाकाहारी है और प्रोटीन
के मांसाहारी स्रोत हमें पसंन्द नहीं है । हाँ सब्जी हमें रोज खाते
है यह बात अलग है घर में पकने वाली सब्जियों में से बहुत सारी सब्जियाँ युवाओं को
नापसंद होती है ।
हम अपने भोजन में दूध-घी व दाल शामिल कर सकते है इसके अलावा मूंगफल्ली
,बादाम, अखरोट और नारियल में भी प्रोटीन होता है ऐसा भी नहीं है की गेहूं - चावल
और अन्न खाधान्न में बिलकुल प्रोटीन नही होता । होता है लेकिन कम
क्योंकि हम लोग रोज काफी मात्रा में गेहूं-चावल खाते है इसलिए उनसे भी प्रोटीन की
आवश्यकता पूरी हो जाती है इस तरह कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन
ग्रहण करने में संतुलन बनाना जरूरी होता है ।
युवाओं को आवश्यक ऊर्जा का तीसरा स्रोत है वसा या चर्बी जो हमे तेल ,
वनस्पति और घी से प्राप्त होता है जैसे गुड़ , शक्कर शुद्ध कार्बोहाइड्रेट
है वैसे ही तेल या घी शुद्ध वसा है । यह चर्बी शरीर में इंधन की तरह जलती है और एक ग्राम चर्बी नौ कैलोरी
ऊर्जा देती है । फिर ऐसा क्यों नहीं है की यदि हमें अधिक ऊर्जा चाहिए तो अधिक घी या तेल
का सेवन करें ? दरअसल हमारे शरीर की बनावट ऐसी है की कार्बोहाइड्रेट हो या प्रोटीन
या वसा जो भी अधिक मात्रा में होगा वह शरीर में विकार उत्पन्न करेगा । अधिक चर्बी या तेल में तली चीजें खाने से ऊर्जा तो भरपूर मिल जाती है
लेकिन चर्बी रक्त नलिकाओं की अंदरुनी सतह पर जम जाती है और ह्दय तक कम रक्त
पहुँचता है । आप जानते होंगे दिल के धड़कने के रक्त बहुत जरुरी है । और यह अतिरिक्त चर्बी पेट , कमर व कूल्हों पर जमा हो जाती है । बताइए कौन युवक या युवती अपने आपको मोटा या बदसूरत कहलाना पसंद करेगा ?
अब थोड़ी सी बात विटामिन और खनिज
पदार्थो पर भी हमारे शरीर को सुचारू रूप से काम करने और संक्रामक रोगों से लड़ने के
लिए विटामिनों की आवश्यकत होती है जैसे की आँखों के लिए विटामिन ए और त्वचा के लिए
विटामिन सी और डी इत्यादि विटामिन बाढ़ प्रकार के होते है जो हमें दूध दही अंडे आदि
के अलावा गाजर , पालक , धनिया, पुदीना ,टमाटर जैसी सब्जियों के अलावा
आम,आंवला,पपीता,अमरूद ,संतरे जैसे फलों से प्राप्त होते है यहाँ तक कद्दू जैसे
सब्जी में भी जिसे देखकर युवा नाक भौं सिकोड़ते है भरपूर विटामिन होता है । सर्वाधिक विटामिन व् खनिज मौसमी फलों में पाए जाते है इसलिए हर मौसम में
उपलब्ध फल खाने चाहिए यह सस्ते भी होते है और हर जगह मिल जाते है ।
खनिज पदार्थो में रक्त संचालन के लिए
नमक बहुत आवश्यक है ।
दांतों व हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम तथा रक्त में लाल कण व नई कोशिकाएं बनने के लिए
आयरन की आवश्यकता होती है । यह तत्व हरी - पत्तेदार सब्जियों के अलावा अंकुरित अनाजों ,किशमिश व खजूर
में पाया जाता है ।
किशमिश व् खजूर न भी मिलें तो अंकुरित
अनाज तो हम रोज ही खा सकते है वैसे भी सुंदर घने व काले बालों के लिए अंकुरित अनाज
खाना चाहिए ।
तात्पर्य है की यदि हम अपने भोजन में
इन सब पदार्थो को संतुलित मात्रा में ग्रहण करे तो हमें न किसी टॉनिक की आवश्यकता
होगी न किसी स्वास्थ्यवर्धक पेय या दवा की । ऐसा भी नहीं की युवास्था
में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हमें मंहगे भोजन या मंहगे फलो या सोखे मेवों की
जरूरत हो । बहुत सारे सस्ते और सहज उपलब्ध खाद्द पादर्थ मंहगे पदार्थो का विकल्प है
जैसे की बादाम का विकल्प मूंगफल्ली ।
यह याद रखे की कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन, वसा की हमारे शरीर में क्या
भूमिका है और हमे उन्हें कितनी मात्रा में लेना है ।
और हां ... भोजन के साथ पानी पीना न
भूलें इसलिए क्योंकि हमारे शरीर का दो-तिहाई भाग तो
पानी से ही बना है । शरीर के तत्वों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए तथा शरीर
के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए पानी पीना बहुत जरुरी है । इसलिए खूब पानी पियें लिकिन दूषित नहीं बल्कि साफ करके या छानकर । हमारे यहाँ कहावत भी है ना ... '
गुरु बनाओ जानकार और पानी पियो छानकर '
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