मेरी पहली कविता

मैंने अपने जीवन की पहली कविता तब लिखी जब मै केवल 12 साल की थी और वह कविता देशबंधु अखबार में प्रकाशित हुई थी उसे lalit surjan अंकल ने प्रकाशित किया था :कोपल कोकास

मच्छर जी

जान गंवाते मच्छर जी
नाली में रहते मच्छर जी
मलेरिया फैलाते मच्छर जी
सबको सताते मच्छर जी
कछुआ जलाओ जी मचलाए
अल आउट जलाओ जी घबराए
मच्छरदानी में घुस जाते मच्छर जी
कानो में गीत सुनाते मच्छर जी
खून पी जाते मच्छर जी
मच्छर जी भाई मच्छर जी.
(PUBLISHED IN "DESHBANDHU" BY LALIT SURJAN ON 12.01.2002)

7 टिप्पणियाँ:

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

आज तक मैंने किसी की पहली कविता नहीं पढ़ी थी!
आज पढ़ी, तो बहुत अच्छा लगा और अच्छी भी लगी!
अब दूसरी कविता कब पढ़वाओगी?
अब कित्ती बड़ी हो?
ज़रा प्रोफ़ाइल ठीक-ठाक करो, तो कुछ पता चले!
दूसरी कविता के लिए अभी से
बधाई, शुभकामनाएँ, आशीर्वाद!

अभिषेक मिश्र ने कहा…

Acchi kavita. Agli kavita bhi jald hi bhejo.

अजित वडनेरकर ने कहा…

इस कविता के जरिये तो पक्की बात है कि मच्छरों से दुश्मनी बढ़ गई होगी। बड़ो का आदर करती हो इसीलिए तो मच्छर के साथ जी जैसा आदरसूचक लगाया है!!!
बहुत बढ़िया। हमें मज़ा आया तुम्हारी कविता पढ़ कर। नियमित अपडेट करती रहो।
शुभकामनाएं...

alka mishra ने कहा…

इतनी प्यारी कोंपल को मच्छर परेशान करते हैं ,रुको अभी बताती हूँ उनको
अगर आप अपने अन्नदाता किसानों और धरती माँ का कर्ज उतारना चाहते हैं तो कृपया मेरासमस्त पर पधारिये और जानकारियों का खुद भी लाभ उठाएं तथा किसानों एवं रोगियों को भी लाभान्वित करें

M VERMA ने कहा…

मच्छरनामा बहुत अच्छा लगा

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

मजेदार कविता है। बहुत बहुत बधाई।
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बारिश की बूंदें क्या कहती हैं?
सुरक्षा के नाम पर इज्जत से खेलना कितना सही है?

Paise Ka Gyan ने कहा…

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