बात कोपल औऱ अनिल के प्यारे से रिश्ते की है । एक रिश्ते को लम्बे वक़्त तक निभाने के लिए विवाह बन्धन में बंधने के लिए जज्बा चाहिए थोड़ा सा प्यार ,एक दूसरे के लिए समझ , गहरी मित्रता और विश्वास । मुझे विश्वास था यह रिश्ता शादी की मंजिल तक जरूर पहुँचेगा ।
बस तीन साल पूरे होने से पहले 5 जनवरी को हम तीन जबलपुर पहुंच गए 11 जनवरी को मेरे हाथ पैर में पिया के नाम की मेहंदी रच गई 12 को रंग लिया रंग हल्दी । मेरी मेहंदी बहुत गहरी बहुत सुंदर रची थी ।13 जनवरी 2019 रविवार को जबलपुर मेरे ननिहाल की श्री राधा होटल में मैं लाल रंग के लहंगा चुनरी पहने हुए अपने पिया अनिल की बारात का इंतजार कर रही थी औऱ घबराते शर्माते मैं हाथों में वरमाला लिए अपने निल के पास पहुंच गई ।
हमने गुलाब के फूलों से सजी वरमाला एक दूसरे को पहना दी । सबने स्टेज पर आकर हमें बधाई आशीर्वाद दिए फ़ोटो खिंचवाई ।

रात ढलने लगी मम्मी पापा की प्यारी सी नन्ही कोपल बनारसी साड़ी , आशीर्वाद स्वरूप गहने पहन और सर पर लाल औऱ चमकीले सितारों वाली चुनर ओढ़कर तैयार हो गई अपने पिया अनिल संग सात फेरे लेने के लिए । मंद मंद मुस्कुराते दुल्हे राजा बने शेरवानी में अनिल जंच रहे थे ।





फिर शुरू अनिल संग कोपल का नया सफर,नया जीवन ,नए सपने ,नई उम्मीदें । मन में नए परिवार के लिए प्यार लिए मैं अन्नपूर्णा बनकर चावल से भरा कलश गिराकर घर मे प्रवेश कर गई ।

कुछ दिन ससुराल में बिताए । फिर हम दुर्ग के लिए रवाना हो गए वहां पापा ने एक रिस्पेशन रखा था वहां हमने विवाह के बाद के कुछ शानदार दिन बिताए कुछ दिन बाद निल मुझे मम्मी डैडी के पास छोड़कर नौकरी ज्वाइन करने के सिलवासा गुजरात चले गए ।
खुद को देखा तो लगा मांग में सिंदूर , गले में मंगलसूत्र माथे पर बिंदी हाथों में चूड़ियां , पैरों में पायल ,बिछिया तन पर दुपट्टा एक अवतार मैं आ गई थी मेरा पूरा जीवन बदल गया था । मैं अपनी पिया की प्यारी बन गई थी । एक ही दिन में मैं पत्नी , बहू, भाभी नए रिश्तों से बंध गई थी ।


2 महीने मायके में बिताने के बाद मेरी विदाई कराने के लिए ससुराल से पापा जी औऱ बड़े भाई साहब आ गए । मम्मी की चुनाव की ट्रेनिंग में डयूटी लग गई थी तो मम्मी नहीं आ सकी स्टेशन मुझे छोड़ने मैं शादी के बाद पहली बार पापा से लिपटकर बहुत रोई । हौले से नन्ही कोपल घर को सूना करके चली गईं औऱ जैसे ही ट्रेन ने गति पकड़ी मुझसे बहुत सी चीज़े दूर पीछे छूट गई थी ।
दुबारा ससुराल आने पर शुरू हुई जद्दोजहद अलहड़ कोपल से एक सुदढ़ गृहणी बनने की समझ आया कि अपने मायके के नियम , तौर तरीके , रहन सहन बहुत अलग होते हैं । नई जिम्मेदारियां मुझे जकड़ रही थी ।

धीरे धीरे नई चीजों में ढल रही हूं
मैं अंदर ही अंदर कुछ बदल रही हूँ ।