tag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post8453186447749138490..comments2024-03-04T10:26:36.311+05:30Comments on नन्ही कोपल: वो 5 मार्च 1993 की शाम कोपल कोकासhttp://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-31372387594367978102018-03-10T19:42:38.121+05:302018-03-10T19:42:38.121+05:30धन्यवाद सजंय जीधन्यवाद सजंय जीकोपल कोकासhttps://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-36537422993812182222018-03-10T10:55:35.256+05:302018-03-10T10:55:35.256+05:30बहुत ही दिलचस्प संस्मरण लिखा है वैसे मैंने भी एक ब...बहुत ही दिलचस्प संस्मरण लिखा है वैसे मैंने भी एक बार बचपन में ग़ायब हुआ था गायब क्या बेड के नीचे घुस गया था माता जी बहुत परेशान हो गई थी भूल गया था बचपन की बात है पर जैसे ही आपका ब्लॉग पढ़ा तो वही घटना याद आ गयी..... कोपल जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!<br />बहुत व्यस्त था ! बहुत मिस किया ब्लोगिंग को ! बहुत जल्द सक्रिय हो जाऊंगा !<br />संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-82241416853992879892018-03-08T09:12:24.840+05:302018-03-08T09:12:24.840+05:30धन्यवाद ज्योति जीधन्यवाद ज्योति जीकोपल कोकासhttps://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-11862920604924760582018-03-08T09:12:08.371+05:302018-03-08T09:12:08.371+05:30धन्यवाद सन्ध्या जीधन्यवाद सन्ध्या जीकोपल कोकासhttps://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-78430236640473957802018-03-07T10:25:51.601+05:302018-03-07T10:25:51.601+05:30दिलचस्प संस्मरण।दिलचस्प संस्मरण।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-55699751424478344002018-03-07T07:15:19.144+05:302018-03-07T07:15:19.144+05:30ओह बहुत टची 👍👌ओह बहुत टची 👍👌Baya gharhttps://www.blogger.com/profile/15537853370625109086noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-55569218914345161852018-03-06T14:10:09.409+05:302018-03-06T14:10:09.409+05:30धन्यवाद तिथि दीदी धन्यवाद तिथि दीदी कोपल कोकासhttps://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-56431276979261040972018-03-06T13:51:15.313+05:302018-03-06T13:51:15.313+05:30बहुत दिलचस्प संस्मरण लिखा है कोपल ने। हम सभी बचपन ...बहुत दिलचस्प संस्मरण लिखा है कोपल ने। हम सभी बचपन में कभी न कभी ग़ायब हुए हैं और माता-पिता इसी तरह परेशान हुए हैं। मुझे इस ब्लॉग को पढ़ कर अपने बचपन की ऐसी ही एक घटना याद आ गयी। बचपन की याद ताज़ा करने के लिए कोपल का शुक्रिया।तिथि दानीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-17478522184092127512018-03-06T08:13:17.671+05:302018-03-06T08:13:17.671+05:30हैलो आँटी हैलो आँटी कोपल कोकासhttps://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-60971762464106922692018-03-06T08:12:57.330+05:302018-03-06T08:12:57.330+05:30धन्यवाद विश्वास जीधन्यवाद विश्वास जीकोपल कोकासhttps://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-29323007697200289632018-03-06T08:12:42.170+05:302018-03-06T08:12:42.170+05:30धन्यवाद अर्चना जीधन्यवाद अर्चना जीकोपल कोकासhttps://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-47444755569692695992018-03-06T04:33:10.709+05:302018-03-06T04:33:10.709+05:30पढते हुए मेरा भी दिल धक से रह गया था.
रोचक लिखा है...पढते हुए मेरा भी दिल धक से रह गया था.<br />रोचक लिखा है. विश्वास मेश्रामhttps://www.blogger.com/profile/01019547731470197186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-61054632528812669172018-03-06T01:01:24.044+05:302018-03-06T01:01:24.044+05:30कोपल बहुत बढ़िया लिखा तुमने ।बहुत बहुत बधाई !कोपल बहुत बढ़िया लिखा तुमने ।बहुत बहुत बधाई !Archana Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/03801957649492620777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-18628486656447684412018-03-06T00:51:59.670+05:302018-03-06T00:51:59.670+05:30हलो कोपल !हलो कोपल !Archana Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/03801957649492620777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-35759195380444762222018-03-05T23:52:43.820+05:302018-03-05T23:52:43.820+05:30धन्यवाद नीलिमा आँटी
जी हाँ बच्चे तो जान होते हैं ...धन्यवाद नीलिमा आँटी <br />जी हाँ बच्चे तो जान होते हैं मम्मी पापा के ।कोपल कोकासhttps://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-5875921952020651582018-03-05T23:51:57.758+05:302018-03-05T23:51:57.758+05:30धन्यवाद महेन्द्र जीधन्यवाद महेन्द्र जीकोपल कोकासhttps://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-85932754612981669802018-03-05T23:51:33.359+05:302018-03-05T23:51:33.359+05:30धन्यवाद अजीत जीधन्यवाद अजीत जीकोपल कोकासhttps://www.blogger.com/profile/01917151189401334338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-75022269940937396922018-03-05T23:30:24.483+05:302018-03-05T23:30:24.483+05:30बहुत रोचक संस्मरण और सीख बजी। एक साँस में पढ़ने लाय...बहुत रोचक संस्मरण और सीख बजी। एक साँस में पढ़ने लायक। बधाई।Mahendra Kumarhttps://www.blogger.com/profile/18337119583904668611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-36168918180652192322018-03-05T23:27:24.108+05:302018-03-05T23:27:24.108+05:30ओह!!!!!! हम उस तकलीफ को समझ सकते हैं कोपल कि उतनी ...ओह!!!!!! हम उस तकलीफ को समझ सकते हैं कोपल कि उतनी देर का समय कैसे कटा होगा जान ही नहीं जाती बाकीकुछ नहीं बचता आँखों को अपने बच्चे के सिवा कुछ दिखता नहीं है उसके नाम के सिवा कुछ सुनाई नहीं देता।<br />हमारे बड़े बेटे कोभी देखना पड़ता था ।नीची नजर करके सड़क देखकर चलता था। स50-60 केपरिवार में सबकी नजर रहती, मुहल्ले की भी ,पर एक दिन पीछे की तरफ से निकल गया 2घंटे ढूँढा फिर किसी ने घाट की तरफ जाते देखा था । उसे सिर्फ माँ बोलना आता था।मजे से सीढ़ी पर बैठ पैर नर्मदाजी में छप-छपकर रहा था सुबह11_12 बजे के करीब की घटना है।बच्चे जान होते हैं।<br />अच्छा संस्मरण लिखा हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16532806770702526396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-41141538664222063712018-03-05T23:26:45.076+05:302018-03-05T23:26:45.076+05:30ओह!!!!!! हम उस तकलीफ को समझ सकते हैं कोपल कि उतनी ...ओह!!!!!! हम उस तकलीफ को समझ सकते हैं कोपल कि उतनी देर का समय कैसे कटा होगा जान ही नहीं जाती बाकीकुछ नहीं बचता आँखों को अपने बच्चे के सिवा कुछ दिखता नहीं है उसके नाम के सिवा कुछ सुनाई नहीं देता।<br />हमारे बड़े बेटे कोभी देखना पड़ता था ।नीची नजर करके सड़क देखकर चलता था। स50-60 केपरिवार में सबकी नजर रहती, मुहल्ले की भी ,पर एक दिन पीछे की तरफ से निकल गया 2घंटे ढूँढा फिर किसी ने घाट की तरफ जाते देखा था । उसे सिर्फ माँ बोलना आता था।मजे से सीढ़ी पर बैठ पैर नर्मदाजी में छप-छपकर रहा था सुबह11_12 बजे के करीब की घटना है।बच्चे जान होते हैं।<br />अच्छा संस्मरण लिखा हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16532806770702526396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7131867711170332802.post-35373893184624419522018-03-05T22:36:29.709+05:302018-03-05T22:36:29.709+05:30बहुत रोचकबहुत रोचकAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16737180493882090068noreply@blogger.com